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जयपुरः राजधानी में देखने को मिली BHU से उलट तस्वीर, मुस्लिम विद्यार्थी ले रहे संस्कृत की तालीम

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Published : Nov 24, 2019, 1:08 AM IST

जहां एक ओर उत्तर प्रदेश की बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में विद्यार्थियों की ओर से संस्कृत के मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध किया जा रहा है, तो वहीं दुसरी ओर राजस्थान की राजधानी में इस मामले से उलटी तस्वीर समाने आ रही है. जहां एक एक सरकारी स्कूल में 80 फीसदी मुस्लिम बच्चें संस्कृत की तालीम ले रहे हैं.

जयपुर बच्चे संस्कृत तालीम,Jaipur children Sanskrit training

जयपुर. बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में जहां एक ओर विद्यार्थियों ने मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान से संस्कृत न पढ़ने को लेकर विरोध किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर जयपुर की एक ऐसी तस्वीर भी है जहां पर एक सरकारी स्कूल में 80 फीसदी मुस्लिम बच्चें संस्कृत की तालीम ले रहे है. यह नजारा राजधानी के शास्त्री नगर के पटेल मार्ग के तंग गलियों में स्थित राजकीय ठाकुर हरी सिंह संस्कृत विद्यालय का है.

मुस्लिम विद्यार्थी ले रहे संस्कृत की तालीम

ले रहे संस्कृत की तालीम
बता दें, इस स्कूल में 80 प्रतिशत मुस्लिम विद्यार्थी है जो संस्कृत की तालीम ले रहे है. इतना ही नहीं इन बच्चों को वैदिक श्लोकों और नीतिगत श्लोक कंठस्थ याद है, जिसे कोई भी देखकर हैरान रह जाएगा. वहीं यह बच्चे अपना परिचय भी संस्कृत में देते है. इस स्कूल बड़ी बात यह है कि स्कूल में पढ़ने वालों में बालिकाओं की संख्या अधिक है.

222 विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय
वहीं विभाग के अधीन दसवीं तक के इस स्कूल में 277 विद्यार्थियों का नामांकन है. जिसमें से 222 विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय के है, जो संस्कृत की तालीम लेने के लिए इस स्कूल में आते है और उर्दू सीखने के लिए मदरसा भी जाते है. इतना ही नहीं ये बच्चे संस्कृत में सीखे गए यह वैदिक श्लोक घर जाकर भी सुनाते है. बच्चों को संस्कृत में श्लोक पाठ करते देख परिजन भी खुश नजर आते है, वो कहते है की बच्चे संस्कृत के साथ -साथ उर्दू भी सीखते है और मजहब में यह नहीं देखा जाता की हमारे बच्चे कौनसी भाषा में पढ़ते है. बस नैतिकता का पाठ पढ़े, चाहे वो संस्कृत में हो या उर्दू में सब बराबर है.

पढ़ेंः स्पेशल: अनूठा विद्यालय...जहां प्रारंभिक शिक्षा के साथ बच्चों को बना रहे संस्कारी, पढ़ा रहे वेद

स्कूल भवन के लिए लाख की घोषणा
तंग गलियों के बीच यह स्कूल 2004 में क्रमोन्नत हुआ, क्योंकि उस समय इस स्कूल के पास खुद का भवन नहीं था. बच्चों में संस्कृत पढ़ने के उत्साह को देखते हुए ठाकुर हरिसिंह मंडावा के पोत्र ने खाली पड़ी जमीन स्कूल को दे दी. इसके बाद स्कूल का नाम भी राजकीय ठाकुर हरिसिंह मंडावा प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय खेतड़ी हाउस हो गया. साल दर साल स्कूल में संस्कृत पढ़ने वालों की संख्या तो बढ़ती गई, लेकिन भवन निर्माण नहीं किया गया. अब स्थानीय विद्यायक अमीन कागजी भी स्कूल के विकास के लिए आगे आए और विद्यायक कोष से स्कूल का नया भवन बनाने के लिए 10 लाख की घोषणा की है.

छात्रों की संख्या में हो सके इजाफा
वहीं स्कूल बच्चों और स्थानीय निवासियों से भी प्रशासन ने मांग की है, कि स्कूल की जर-जर हालत को जल्द ठीक किया जाए. जिससे संस्कृत शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या मे इजाफा हो सके, दरअसल, स्कूल में अभी 277 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है, लेकिन भवन कम और जर-जर हालत मे होने के कारण विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं दिया जाता है. ऐसे में स्कूल प्रशासन, विद्यार्थी और स्थानीय निवासी भी प्रशासन से मांग करने में लगे है.

जयपुर. बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में जहां एक ओर विद्यार्थियों ने मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान से संस्कृत न पढ़ने को लेकर विरोध किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर जयपुर की एक ऐसी तस्वीर भी है जहां पर एक सरकारी स्कूल में 80 फीसदी मुस्लिम बच्चें संस्कृत की तालीम ले रहे है. यह नजारा राजधानी के शास्त्री नगर के पटेल मार्ग के तंग गलियों में स्थित राजकीय ठाकुर हरी सिंह संस्कृत विद्यालय का है.

मुस्लिम विद्यार्थी ले रहे संस्कृत की तालीम

ले रहे संस्कृत की तालीम
बता दें, इस स्कूल में 80 प्रतिशत मुस्लिम विद्यार्थी है जो संस्कृत की तालीम ले रहे है. इतना ही नहीं इन बच्चों को वैदिक श्लोकों और नीतिगत श्लोक कंठस्थ याद है, जिसे कोई भी देखकर हैरान रह जाएगा. वहीं यह बच्चे अपना परिचय भी संस्कृत में देते है. इस स्कूल बड़ी बात यह है कि स्कूल में पढ़ने वालों में बालिकाओं की संख्या अधिक है.

222 विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय
वहीं विभाग के अधीन दसवीं तक के इस स्कूल में 277 विद्यार्थियों का नामांकन है. जिसमें से 222 विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय के है, जो संस्कृत की तालीम लेने के लिए इस स्कूल में आते है और उर्दू सीखने के लिए मदरसा भी जाते है. इतना ही नहीं ये बच्चे संस्कृत में सीखे गए यह वैदिक श्लोक घर जाकर भी सुनाते है. बच्चों को संस्कृत में श्लोक पाठ करते देख परिजन भी खुश नजर आते है, वो कहते है की बच्चे संस्कृत के साथ -साथ उर्दू भी सीखते है और मजहब में यह नहीं देखा जाता की हमारे बच्चे कौनसी भाषा में पढ़ते है. बस नैतिकता का पाठ पढ़े, चाहे वो संस्कृत में हो या उर्दू में सब बराबर है.

पढ़ेंः स्पेशल: अनूठा विद्यालय...जहां प्रारंभिक शिक्षा के साथ बच्चों को बना रहे संस्कारी, पढ़ा रहे वेद

स्कूल भवन के लिए लाख की घोषणा
तंग गलियों के बीच यह स्कूल 2004 में क्रमोन्नत हुआ, क्योंकि उस समय इस स्कूल के पास खुद का भवन नहीं था. बच्चों में संस्कृत पढ़ने के उत्साह को देखते हुए ठाकुर हरिसिंह मंडावा के पोत्र ने खाली पड़ी जमीन स्कूल को दे दी. इसके बाद स्कूल का नाम भी राजकीय ठाकुर हरिसिंह मंडावा प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय खेतड़ी हाउस हो गया. साल दर साल स्कूल में संस्कृत पढ़ने वालों की संख्या तो बढ़ती गई, लेकिन भवन निर्माण नहीं किया गया. अब स्थानीय विद्यायक अमीन कागजी भी स्कूल के विकास के लिए आगे आए और विद्यायक कोष से स्कूल का नया भवन बनाने के लिए 10 लाख की घोषणा की है.

छात्रों की संख्या में हो सके इजाफा
वहीं स्कूल बच्चों और स्थानीय निवासियों से भी प्रशासन ने मांग की है, कि स्कूल की जर-जर हालत को जल्द ठीक किया जाए. जिससे संस्कृत शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या मे इजाफा हो सके, दरअसल, स्कूल में अभी 277 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है, लेकिन भवन कम और जर-जर हालत मे होने के कारण विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं दिया जाता है. ऐसे में स्कूल प्रशासन, विद्यार्थी और स्थानीय निवासी भी प्रशासन से मांग करने में लगे है.

Intro:जयपुर- बनारस हिन्दू विश्विद्यालय में जहां एक ओर विद्यार्थियों द्वारा मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान का विरोध किया जा रहा है तो वही दूसरी ओर राजधानी जयपुर की एक ऐसी तस्वीर भी है जहां पर एक सरकारी स्कूल में 80 फीसदी मुस्लिम बच्चें संस्कृत की तालीम ले रहे है। ये नजारा राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर के पटेल मार्ग के तंग गलियों में स्थित राजकीय ठाकुर हरी सिंह संस्कृत विधालय का है।

इस स्कूल में 80 प्रतिशत मुस्लिम विद्यार्थी है और वे संस्कृत की तालीम ले रहे है। इतना ही नहीं इन बच्चों को वैदिक श्लोकों और नीतिगत श्लोक कंठस्थ याद है, जिसे कोई भी देखकर हैरान रह जाएगा। वही बच्चे अपना परिचय भी संस्कृत में देते है। बड़ी बात यह है कि स्कूल में पढ़ने वालों में बालिकाओं की संख्या अधिक है। विभाग के अधीन दसवीं तक के इस स्कूल में 277 विद्यार्थियों का नामांकन है जिसमें से 222 विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय के है, जो संस्कृत की तालीम लेने के लिए इस स्कूल में आते है तो उर्दू सीखने के लिए मदरसा भी जाते है। इतना ही नहीं ये बच्चे संस्कृत में सीखे गए ये वैदिक श्लोक घर जाकर भी सुनाते है।Body:बच्चो को संस्कृत में श्लोक पाठ करते देख परिजन भी खुश नजर आते है, वो कहते है की बच्चे संस्कृत के साथ साथ उर्दू भी सीखते है और मजहब में यह नहीं देखा जाता की हमारे बच्चे कोनसी भाषा में पढ़ते है। बस नैतिकता का पाठ पढ़े, जो संस्कृत में हो या उर्दू में, सब बराबर है।

तंग गलियों के बीच यह स्कूल यहां 2004 में क्रमोन्नत हुआ, तब इस स्कूल के पास खुद का भवन नहीं था। बच्चों में संस्कृत पढ़ने के उत्साह को देखते हुए ठाकुर हरिसिंह मंडावा के पोत्र ने खाली पड़ी जमीन स्कूल को दे दी। इसके बाद स्कूल का नाम भी राजकीय ठाकुर हरिसिंह मंडावा प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय खेतड़ी हाउस हो गया। साल दर साल स्कूल में संस्कृत पढ़ने वालो की संख्या तो बढ़ती गयी लेकिन भवन निर्माण नहीं किया गया। अब स्थानीय विधायक अमीन कागजी भी स्कूल के विकास के लिए आगे आए है। विधायक कोष से स्कूल का नया भवन बनाने के लिए 10 लाख की घोषणा की है वही स्कूल बच्चो और स्थानीय निवासियो से भी प्रशासन ने मांग की है कि स्कूल की जर-जर हालत को जल्द ठीक किया जाए जिससे संस्कृत शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रो की संख्या मे इजाफा हो सके। दरअसल, स्कूल मे अभी 300 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है लेकिन भवन कम और जर-जर हालत मे होने के कारण विद्यार्थियों को एडमिशन नही दिया जाता है। ऐसे मे स्कूल प्रशासन, विद्यार्थी और स्थानीय निवासी भी प्रशासन से मांग करने मे लगे है।

बाइट - परवीन, छात्रा
बाइट - मोहम्मद सद्दाम, छात्र
बाइट - ज़ाकिर हुसैन, स्थानीय निवासी
बाइट - हाशिना, स्थानीय निवासीConclusion:
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