जयपुर. राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश की जेलों से 1349 कैदियों को समय से पहले रिहा किया गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 27 मार्च को जेल महकमे की समीक्षा बैठक के दौरान राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश की जेलों में बंद सदाचारण वाले कैदियों को छोड़ने की घोषणा की थी. जेलों से रिहा हुए कैदियों के चेहरों पर खुशी की लहर देखने को मिली.
जेल से रिहा होने पर कैदियों ने सभी को संदेश दिया कि जीवन में गलती को सुधारने का एक बार मौका जरूर मिलता है, हमें भी अपनी गलतियां सुधारने चाहिए. इसके साथ ही जेल में होने वाले व्यवहार के बारे में भी कैदियों ने बताया कि जेल एक सुधार ग्रह है, जहां पर कैदियों को सुधारने का काम किया जाता है. इसके साथ ही सर्वांगीण विकास के लिए भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं. रिहा हुए कैदियों में युवा से लेकर बुजुर्ग तक के कैदी शामिल थे. कैदियों ने कहा कि आज रिहा होकर काफी खुशी मिल रही है. अपने परिवार के साथ रहने का मौका मिलेगा. रिहा हुए कैदियों को लेने के लिए उनके परिवारजन भी जेल डीजी कार्यालय पहुंचे. लंबे समय से जेल में बंद कैदियों ने कहा कि अब आगे का जीवन जेल में नहीं काटकर परिवार के साथ जीने का मौका मिलेगा. बुजुर्ग कैदियों के चेहरों पर खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, रिहाई के वक्त अपने परिजनों को देखकर उनकी आंखें भी नम हो गई. कैदियों ने राज्य सरकार का आभार जताते हुए कहा कि आज हमें समाज में जीने का मौका मिला है. जेल में जीवन काटना काफी मुश्किल हो रहा था.
जेल से रिहा हुए कैदी सुनील कुमार ने बताया कि सर्वांगीण विकास और समाज में पुनर्स्थापित करने के लिए जेल प्रशासन की ओर से कई कार्य किए जा रहे हैं. इन कार्यक्रमों से बंदी लाभान्वित होते हैं. सुनील ने बताया कि एक गलती से आजीवन कारावास का दंड दिया गया था. जेल प्रशासन की ओर से काफी सहयोग मिला. अधिकारियों ने पढ़ाई लिखाई के लिए प्रेरित किया. जेल में रहते हुए काम के साथ पढ़ाई करते करते एमए की परीक्षा पास की. कैदियों में सुधार के लिए जेल प्रशासन की ओर से कई प्रयास किए जाते हैं. जेल में सिखाएं जाने वाले काम बाहर निकलने के बाद भी रोजगार के रूप में काफी कारगर साबित होते हैं. जेल एक सुधार ग्रह है, जो कि कैदियों में सर्वांगीण विकास के साथ ही सुधार का भी काम करता है. जिंदगी में एक बार कोई गलती या अपराध हो जाए तो आगे का जीवन सुधारना चाहिए, ना कि गलत रास्ते पर चलना चाहिए. सुनील ने सभी कैदियों को संदेश देते हुए कहा कि जिंदगी में गलती को सुधारने का एक बार मौका जरूर मिलता है. सभी को सुधार करना चाहिए.
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जयपुर मंडल की जेलों से 516 कैदियों को रिहा किया गया है. वहीं, जयपुर सेंट्रल जेल से एक महिला समेत 39 कैदियों को रिहा किया गया है. इनमें ज्यादातर स्थाई पैरोल पर चल रहे थे. इसके अलावा 70 वर्ष के पुरुष बंदी और 65 वर्ष की महिला बंदी को भी रिहा किया गया. जयपुर में कैदियों को रिहाई पर बैंड बाजे के साथ समारोह पूर्वक विदा किया गया. कैदियों को जेल अधिकारियों की ओर से मिठाई खिलाकर विदा किया गया. डीजी जेल राजीव दासोत ने कैदियों को उनके भावी जीवन की शुभकामनाएं देते हुए पुनः अपराध जगत की ओर अग्रसर नहीं होने की सलाह दी है.
बता दें कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद 28 मार्च को गृह विभाग ने रिहा किए जाने वाले कैदियों की श्रेणी निर्धारित करते हुए रिहाई के आदेश जारी किए. गृह विभाग की ओर से तय किए गए मापदंडों पर खरे उतरे 1349 कैदियों को रिहा दे दी गई है. डीजी जेल के मुताबिक समय से पूर्व रिहाई किए गए कैदियों में ऐसे बंदी है, जिन्होंने 14 वर्ष की वास्तविक सजा काट ली है और अच्छे व्यवहार के कारण ढाई वर्ष का परिहार (रेमीशन) भी अर्जित किया है. ऐसे बंदी जो 70 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं और एक तिहाई सजा भी काट चुके हैं. इनमें कुछ ऐसे बंदी भी है जो आजीवन कारावास से कम सजा से दंडित है और दो तिहाई सजा काट चुके हैं. इसके साथ ही उनका आचरण भी अच्छा है. उन्होंने बताया कि 28 प्रकार के गंभीर अपराधों में सजा काट रहे कैदियों को रिहा नहीं किया गया है. जिनमें बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब डालने से संबंधित अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, विस्फोटक पदार्थ, अधिनियम गोवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम जैसी श्रेणियों के बंदियों को इस योजना के तहत रिहा नहीं किया गया है. जेलों से रिहा हुए कैदियों को भावपूर्ण विदाई दी गई है.
डीजी जेल राजीव दासोत ने बताया कि राजस्थान जेल प्रशासन की इस पहल के बाद अन्य राज्यों के डीजी जेल ने भी इस संबंध में जानकारी मांगी है. दूसरे राज्यों की जेलों में भी इस तरह की पहल करने का प्लान सोचा जा रहा है. इस बारे में कई राज्यों द्वारा जानकारी मांगी जा रही है. हाल ही में जनवरी 2021 में टाटा ट्रस्ट ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2021 रिलीज की है, जिसमें राजस्थान की जिले संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रही है. इसी कड़ी में आज का कदम भी सराहनीय रहा है. इस पहल से राजस्थान की जेलों का स्थान और भी उच्चतम आएगा.
12 बंदियों में से दो बंदियों को किया रिहा
प्रतापगढ़. प्रदेश में जेलों में बंदियों के समय पूर्व रिहा करने के आदेश पर यहां जिला जेल में भी 12 बंदी पात्र माने गए हैं. इनमें से 2 बंदियों को प्रमाण पत्र देकर रिहा किया गया. जिला जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने बताया कि स्थाई पैरोल पर रिहा बंदियों में 12 बंदी समय पूर्व रिहाई के पात्र माने गए. इन बंदियों में से दो को जुर्माना राशि जमा करवाने पर शेष सजा समाप्त करवा कर शपथ दिलवा कर रिहा किया गया. रिहाई के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रश्मि आर्य, अतिरिक्त जिला कलेक्टर गोपाललाल स्वर्णकार, उपअधीक्षक ऋषिकेश मीणा, सामाजिक अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक डॉ. केआर आमेटा मौजूद रहे.