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International Tea Day : गुलाब जी चाय वाले की अनूठी कहानी ! आजादी के पहले से हर दिन चाय का पहला पतीला गरीबों के लिए...मंत्री से लेकर संत्री तक हर कोई है मुरीद

सुबह की शुरुआत चाय के बगैर हो, ऐसा मुश्किल ही है. कुछ इसे लत कहते हैं तो कुछ जिंदगी की खुराक. लेकिन ये कम लोगों को ही पता है कि चाय का भी एक विशेष दिन है. वह है 21 मई, यानी कि अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस. आज हम आपको (International Tea Day 2022) गुलाबी नगरी के मशहूर 'गुलाब जी' चाय वाले की कहानी बता रहे हैं. इस दुकान पर आजादी के पहले से लेकर आज तक चाय का पहला पतीला गरीब-असहाय लोगों के लिए चढ़ता है.

International Tea Day 2022
गुलाब जी चाय वाले की अनूठी कहानी...
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Published : May 21, 2022, 6:03 AM IST

जयपुर. दुनियाभर में एक बात बहुत सामान्य मानी जाती है, वह है हिंदुस्तानियों की चाय पीने की आदत. पानी के बाद अगर सबसे ज्यादा कुछ पिया जाता है तो वह है चाय. चाय जिसका हर भारतीयों के साथ एक अलग ही रिश्ता है. सुबह की शुरुआत चाय के बगैर हो ऐसा मुश्किल ही है. कुछ इसे लत कहते हैं तो कुछ जिंदगी की खुराक, लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि मेहमान नवाजी की प्रतीक इस चाय का भी अपना एक विशेष दिन आता है. आज वही दिन है, 21 मई यानी अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस.

यह दिन खासतौर से चाय और इसके शौकीनों को समर्पित है. आज इस खास दिन हम एक ऐसे चाय वाले की बात (International Tea Day 2022) करने वाले हैं जो अपनी चाय के स्वाद के लिए फेमस है. यहां चाय पीने वालों की लाइन लगती है, लेकिन आजादी से पहले से यहां चाय का पहला पतीले में उन गरीब असहाय लोगों को लिए चाय बनती है जो पैसे देकर नहीं पी सकते.

गुलाब जी चाय वाले की अनूठी कहानी...

गुलाबी नगरी के गुलाबजी चायः एक अनुमान के मुताबिक़ भारत के लगभग तीन चौथाई लोगों की सुबह की शुरुआत एक प्याली चाय से होती है. घर-घर में पैठ बना चुके इस चाय का इतिहास लगभग 200 साल पहले का है. हिन्दुस्तानियों के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए इसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. देश के साथ विदेशों में भी चाय का स्वाद लोगों को भा रहा है. आज हम भारत के किसी भी शहर में चले जाएं, आपको वहां मशहूर चाय की दुकान जरूर मिल जाएगी. उन्हीं में से एक गुलाबी नगरी जयपुर के गुलाब जी चाय. अगर आप चाय के शौकीन हैं और गुलाबी नगर के सफर पर हो फिर आपने 'गुलाब जी चाय वाले' की दुकान की चाय नही पी तो आपका यह सफर थोड़ा अधुरा होगा. जयपुर शहर के एमआई रोड पर लगने वाली इस दुकान को चलते 76 साल से अधिक हो गए. देश की आजादी से पहले गुलाब जी ने साल 1946 में इस चाय की दुकान की शुरुआत की. चाय का स्वाद ऐसा कि आज भी लोगों की जुबान पर सिर चढ़कर बोलता है.

पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस : चलो चलें चाय की चुस्की लें

पहला पतीला गरीब असहाय के लिएः गुलाब जी आज इस दुनिया में नहीं रहे, उनकी इस विरासत को उनके गोद लिए बेटे शिवपाल सिंह संभाल रहे हैं. शिवपाल सिंह कहते हैं कि 1946 में 'गुलाब जी' ने एक ठेले पर चाय की शुरुआत की. पहले दिन और पहली चाय उन्होंने उस गरीब को पिलाई जिसके पास चाय पीने के पैसे नहीं थे. उसके बाद यह एक परम्परा बन गई कि हर दिन दुकान पर बनने वाली पहली चाय गरीब और असहाय को पिलाई जाए. उस परम्परा को आज भी निभा रहे हैं. शिवपाल बताते हैं जब सुबह 5 बजे दूकान शुरू होती है, उस वक्त भी 'गुलाब जी' की चाय के फैन युवा से लेकर बुजुर्ग सब यहां लाइन में खड़े रहते हैं. लेकिन पहला चाय का पतीला गरीब और असहाय के लिए होता है. हर दिन 200 से ज्यादा लोगों को सुबह सुबह फ्री चाय के साथ नाश्ता दिया जाता है.

International Tea Day 2022
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

स्वाद ऐसा की मंत्री से संतरी तक आते हैंः शिवपाल सिंह बताते हैं कि 'गुलाब जी' के बेटियां थी. बेटा नहीं था, वो उनकी बहन के बेटे (Unique Story of Gulab ji Chai Wale Jaipur) यानी गुलाब जी के भांजे हैं. बचपन से ही वो 'गुलाब जी' के साथ रहते थे. बाद में गुलाब जी ने उन्हें गोद लेते हुए बेटा बना लिया. शिवपाल कहते हैं कि उन्होंने बचपन से देखा है 'गुलाब जी' की चाय का स्वाद कुछ इस तरह से लोकप्रिय था कि गुलाबी नगरी के ही नहीं, बल्कि देश विदेश से आने मेहमान भी खिंचे चले आते हैं. सालों से 'गुलाब जी' की दुकान की चाय का स्वाद लेने के लिए मंत्री से संतरी तक आते हैं. साथ ही राजपरिवार से लेकर सिटी में आए बड़े फिल्म स्टार 'गुलाब जी' की चाय का स्वाद लिए बिना नहीं जाते.

पढ़ें : International Tea Day : आइए, एक कप चाय हो जाए...

मामूली रेहड़ी से बने जयपुर के मशहूर गुलाब जी चाय वालेः शिवपाल बताते हैं गुलाब ने रेहड़ी से 1946 में चाय बनाने की शुरुआत की थी. 'गुलाब जी' का जन्म 1926 में सरना डूंगरी गांव में हुआ. 'गुलाब जी' एक राजपूत परिवार से थे, उन्होंने एक चाय की रेहड़ी लगाई तो समाज और रिश्तेदारों की नाराजगी झेलनी पड़ी. मुश्किल था, लेकिन उनका मानना था कि चाय का धंधा सबसे बढ़िया होता है. ईमानदारी और क्वालिटी के साथ काम करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हो. इसी विश्वास के साथ उन्होंने छोटी सी रेहड़ी लगाई. देखते ही देखते उनकी चाय के लोग इतने दीवाने बन गए कि गुलाब जी देश दुनिया में मशहूर हो गए. वो हमेशा कहते हैं कि ग्राहक से तब तक पैसे मत लो जब तक वो चाय के स्वाद से संतुष्ट नहीं हो जाता. इसलिए आज लोगों की जुबां पर 'गुलाब जी' की चाय का नाम है. शिवपाल कहते हैं कि 'गुलाब जी' भले ही हमारे बीच में नहीं हों, लेकिन उन्होंने जो क्वालिटी बनाई उसे आज भी बनाए हुए हैं.

हर रोज 200 गरीबों को मुफ्त में खिलाते है खानाः बहुत कम लोगों को पता है कि 'गुलाब जी' चाय वाले के साथ एक समाजसेवी भी थे. गरीब की बेटी की शादी में सहायता करनी हो या फिर गरीब को भोजन कराना हो, वो हमेशा मदद को तैयार रहते. गरीबों को फ्री चाय-नाश्ता के साथ साथ हर दिन गरीबों को भेजना भी करवाते हैं. गणपति प्लाजा के पास महादेव का मंदिर है. इस मंदिर में 'गुलाब जी' शुरुआत से ही गरीब और जरूरतमंदों के लिए खाना बनाते हैं. हर दिन 200 से ज्यादा लोगों को भोजन 'गुलाब जी' चाय वाले की तरफ से दिया जाता है. खास बात यह है कि वर्षों से ही 'गुलाब जी' भी खुद सुबह का भोजन उसी खाने से करते हैं जो जरूरतमंदों के लिए बनता है, जिससे खाने की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं हो. 'गुलाब जी' के बाद आज भी उनके बेटे शिवपाल और उनका पूरा स्टाफ सुबह का नाश्ता और भोजन वही करता है जो उन जरूरतमंदों के लिए बनता है.

जयपुर. दुनियाभर में एक बात बहुत सामान्य मानी जाती है, वह है हिंदुस्तानियों की चाय पीने की आदत. पानी के बाद अगर सबसे ज्यादा कुछ पिया जाता है तो वह है चाय. चाय जिसका हर भारतीयों के साथ एक अलग ही रिश्ता है. सुबह की शुरुआत चाय के बगैर हो ऐसा मुश्किल ही है. कुछ इसे लत कहते हैं तो कुछ जिंदगी की खुराक, लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि मेहमान नवाजी की प्रतीक इस चाय का भी अपना एक विशेष दिन आता है. आज वही दिन है, 21 मई यानी अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस.

यह दिन खासतौर से चाय और इसके शौकीनों को समर्पित है. आज इस खास दिन हम एक ऐसे चाय वाले की बात (International Tea Day 2022) करने वाले हैं जो अपनी चाय के स्वाद के लिए फेमस है. यहां चाय पीने वालों की लाइन लगती है, लेकिन आजादी से पहले से यहां चाय का पहला पतीले में उन गरीब असहाय लोगों को लिए चाय बनती है जो पैसे देकर नहीं पी सकते.

गुलाब जी चाय वाले की अनूठी कहानी...

गुलाबी नगरी के गुलाबजी चायः एक अनुमान के मुताबिक़ भारत के लगभग तीन चौथाई लोगों की सुबह की शुरुआत एक प्याली चाय से होती है. घर-घर में पैठ बना चुके इस चाय का इतिहास लगभग 200 साल पहले का है. हिन्दुस्तानियों के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए इसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. देश के साथ विदेशों में भी चाय का स्वाद लोगों को भा रहा है. आज हम भारत के किसी भी शहर में चले जाएं, आपको वहां मशहूर चाय की दुकान जरूर मिल जाएगी. उन्हीं में से एक गुलाबी नगरी जयपुर के गुलाब जी चाय. अगर आप चाय के शौकीन हैं और गुलाबी नगर के सफर पर हो फिर आपने 'गुलाब जी चाय वाले' की दुकान की चाय नही पी तो आपका यह सफर थोड़ा अधुरा होगा. जयपुर शहर के एमआई रोड पर लगने वाली इस दुकान को चलते 76 साल से अधिक हो गए. देश की आजादी से पहले गुलाब जी ने साल 1946 में इस चाय की दुकान की शुरुआत की. चाय का स्वाद ऐसा कि आज भी लोगों की जुबान पर सिर चढ़कर बोलता है.

पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस : चलो चलें चाय की चुस्की लें

पहला पतीला गरीब असहाय के लिएः गुलाब जी आज इस दुनिया में नहीं रहे, उनकी इस विरासत को उनके गोद लिए बेटे शिवपाल सिंह संभाल रहे हैं. शिवपाल सिंह कहते हैं कि 1946 में 'गुलाब जी' ने एक ठेले पर चाय की शुरुआत की. पहले दिन और पहली चाय उन्होंने उस गरीब को पिलाई जिसके पास चाय पीने के पैसे नहीं थे. उसके बाद यह एक परम्परा बन गई कि हर दिन दुकान पर बनने वाली पहली चाय गरीब और असहाय को पिलाई जाए. उस परम्परा को आज भी निभा रहे हैं. शिवपाल बताते हैं जब सुबह 5 बजे दूकान शुरू होती है, उस वक्त भी 'गुलाब जी' की चाय के फैन युवा से लेकर बुजुर्ग सब यहां लाइन में खड़े रहते हैं. लेकिन पहला चाय का पतीला गरीब और असहाय के लिए होता है. हर दिन 200 से ज्यादा लोगों को सुबह सुबह फ्री चाय के साथ नाश्ता दिया जाता है.

International Tea Day 2022
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

स्वाद ऐसा की मंत्री से संतरी तक आते हैंः शिवपाल सिंह बताते हैं कि 'गुलाब जी' के बेटियां थी. बेटा नहीं था, वो उनकी बहन के बेटे (Unique Story of Gulab ji Chai Wale Jaipur) यानी गुलाब जी के भांजे हैं. बचपन से ही वो 'गुलाब जी' के साथ रहते थे. बाद में गुलाब जी ने उन्हें गोद लेते हुए बेटा बना लिया. शिवपाल कहते हैं कि उन्होंने बचपन से देखा है 'गुलाब जी' की चाय का स्वाद कुछ इस तरह से लोकप्रिय था कि गुलाबी नगरी के ही नहीं, बल्कि देश विदेश से आने मेहमान भी खिंचे चले आते हैं. सालों से 'गुलाब जी' की दुकान की चाय का स्वाद लेने के लिए मंत्री से संतरी तक आते हैं. साथ ही राजपरिवार से लेकर सिटी में आए बड़े फिल्म स्टार 'गुलाब जी' की चाय का स्वाद लिए बिना नहीं जाते.

पढ़ें : International Tea Day : आइए, एक कप चाय हो जाए...

मामूली रेहड़ी से बने जयपुर के मशहूर गुलाब जी चाय वालेः शिवपाल बताते हैं गुलाब ने रेहड़ी से 1946 में चाय बनाने की शुरुआत की थी. 'गुलाब जी' का जन्म 1926 में सरना डूंगरी गांव में हुआ. 'गुलाब जी' एक राजपूत परिवार से थे, उन्होंने एक चाय की रेहड़ी लगाई तो समाज और रिश्तेदारों की नाराजगी झेलनी पड़ी. मुश्किल था, लेकिन उनका मानना था कि चाय का धंधा सबसे बढ़िया होता है. ईमानदारी और क्वालिटी के साथ काम करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हो. इसी विश्वास के साथ उन्होंने छोटी सी रेहड़ी लगाई. देखते ही देखते उनकी चाय के लोग इतने दीवाने बन गए कि गुलाब जी देश दुनिया में मशहूर हो गए. वो हमेशा कहते हैं कि ग्राहक से तब तक पैसे मत लो जब तक वो चाय के स्वाद से संतुष्ट नहीं हो जाता. इसलिए आज लोगों की जुबां पर 'गुलाब जी' की चाय का नाम है. शिवपाल कहते हैं कि 'गुलाब जी' भले ही हमारे बीच में नहीं हों, लेकिन उन्होंने जो क्वालिटी बनाई उसे आज भी बनाए हुए हैं.

हर रोज 200 गरीबों को मुफ्त में खिलाते है खानाः बहुत कम लोगों को पता है कि 'गुलाब जी' चाय वाले के साथ एक समाजसेवी भी थे. गरीब की बेटी की शादी में सहायता करनी हो या फिर गरीब को भोजन कराना हो, वो हमेशा मदद को तैयार रहते. गरीबों को फ्री चाय-नाश्ता के साथ साथ हर दिन गरीबों को भेजना भी करवाते हैं. गणपति प्लाजा के पास महादेव का मंदिर है. इस मंदिर में 'गुलाब जी' शुरुआत से ही गरीब और जरूरतमंदों के लिए खाना बनाते हैं. हर दिन 200 से ज्यादा लोगों को भोजन 'गुलाब जी' चाय वाले की तरफ से दिया जाता है. खास बात यह है कि वर्षों से ही 'गुलाब जी' भी खुद सुबह का भोजन उसी खाने से करते हैं जो जरूरतमंदों के लिए बनता है, जिससे खाने की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं हो. 'गुलाब जी' के बाद आज भी उनके बेटे शिवपाल और उनका पूरा स्टाफ सुबह का नाश्ता और भोजन वही करता है जो उन जरूरतमंदों के लिए बनता है.

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