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SPECIAL: कोरोना भी नहीं हरा पाया इन विशेष बच्चों को, Online क्लास ने बनाया टेक्नोलॉजी फ्रेंडली

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाएं लॉकडाउन के बाद से उन्हें ऑनलाइन क्लास के जरिए ट्रेनिंग और शिक्षित करने का काम कर रही हैं. कोरोना के इस संकट काल ने जहां एक ओर बच्चों और उनके परिजनों की दिक्कतों को बढ़ाया. वहीं, दूसरी ओर उन्हें टेक्नोलॉजी फ्रेंडली भी बनाया है.

online classes for autism children, Approach Institute in jaipur
विशेष बच्चों की ऑनलाइन क्लास
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Published : Aug 20, 2020, 10:46 PM IST

जयपुर. कोरोना और लॉकडाउन के चलते मार्च 2020 से पूरे देश में चारों तरफ अफरा तफरी मची हुई है. इस बीमारी ने हर किसी को हैरान और परेशान किया है. खास तौर पर उन विशेष बच्चों के लिए समस्या खड़ी हो गई, जो सामान्य नहीं हैं.

लेकिन इस बीमारी के आगे घुटने टेकने की जगह दिव्यांग बच्चों ने भी ऑनलाइन पढ़ाई की ओर रुख किया. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों ने भी लॉकडाउन के दौरान नई टेक्नोलॉजी को उसी तरह अपना लिया जैसे आम बच्चे अपनाते हैं. एक निजी संस्था संचालिका गरीमा श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी संस्था में ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की पढ़ाई और ट्रेनिंग कराई जाती है.

विशेष बच्चों की ऑनलाइन क्लास

लेकिन जब से लॉकडाउन लागू हुआ तब से यह बच्चे संस्था में नहीं आ पा रहे थे. ऐसे इन बच्चों की ट्रेनिंग और शिक्षा में कोई कमी नहीं आए इसके लिए ऑनलाइन क्लास लगाई जा रही है. साथ ही टीचर के द्वारा एक्टिविटिज के वीडियो भी तैयार कर के पैरेंट्स को भेजे जा रहे हैं, ताकि वो बच्चों को दिखा कर उन्हें शिक्षित कर सकें.

पढ़ें- Special: अपने ही अपनों को दे रहे 'दर्द'...बांसवाड़ा में अब तक 50 प्रतिशत लोगों ने एक दूसरे को किया संक्रमित

ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए काम करने वाले अनुराग श्रीवास्त बताते हैं कि इन विशेष बच्चों के लिए कोरोना काल ज्यादा दिक्कत भरा है. क्योंकि इन बच्चों की इम्यूनिटी पावर सामान्य बच्चों की तहर ज्यादा स्ट्रांग नहीं है. अनुराग बताते हैं कि इन बच्चों को घर में भी वही माहौल मिलना चाहिए, जो इन्हें ट्रेनिंग सेंटर और स्कूल में मिलता है. ऐसा नहीं होने पर इनमें एंजाइटी बढ़ जाती है, जो इनके लिए बहुत घातक होती है.

अनुराग बताते हैं कि यह बच्चे ज्यादा समझते नहीं हैं. जिसके चलते यह मास्क या सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों को फॉलो नहीं कर सकते. ऐसे में परिजनों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है कि वो बच्चे का अच्छे से खयाल रखें.

स्कूल, ट्रेनिंग संस्थाओं के बंद होने से बढ़ी मुश्किलें

कोरोना काल में ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के स्कूल और ट्रेनिंग संस्थाओं के बंद होने से पैरेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई है. एक बच्चे की मां बताती हैं कि इन विशेष बच्चों के साथ पूरे दिन घर में हैंडल करना बहुत मुश्किल होता है. हालांकि धीरे-धीरे बच्चों के हिसाब से पैरेंट्स भी एडजेस्ट कर लेते हैं. लेकिन इस वक्त जब देश भर में कोरोना फैल रखा है, तो बहुत दिक्कत हो रही है.

पढ़ें- Special Report: कोरोना काल में सामान्य बीमारियों के मरीज 'गायब', OPD में 60 फीसदी तक घटी संख्या

बच्चे की मां बताती हैं कि जो प्रॉपर ट्रेनिंग बच्चों को मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है. हालांकि इन दिनों ऑनलाइन क्लास से बच्चों को सिखाया जा रहा है. जिसके लिए पैरेंट्स को भी बच्चों के साथ घुल मिलकर रहना पड़ता है.

अप्रोच जयपुर की एक मात्र संस्था नहीं है जो इन विशेष बच्चों के लिए काम कर रही है. ऐसी कई संस्थाएं हैं जो लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन तौर पर ट्रेनिंग दे रही हैं. वहीं, खास बात ये भी है कि कोरोना काल के चलते ये बच्चे भी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हो गए हैं.

जयपुर. कोरोना और लॉकडाउन के चलते मार्च 2020 से पूरे देश में चारों तरफ अफरा तफरी मची हुई है. इस बीमारी ने हर किसी को हैरान और परेशान किया है. खास तौर पर उन विशेष बच्चों के लिए समस्या खड़ी हो गई, जो सामान्य नहीं हैं.

लेकिन इस बीमारी के आगे घुटने टेकने की जगह दिव्यांग बच्चों ने भी ऑनलाइन पढ़ाई की ओर रुख किया. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों ने भी लॉकडाउन के दौरान नई टेक्नोलॉजी को उसी तरह अपना लिया जैसे आम बच्चे अपनाते हैं. एक निजी संस्था संचालिका गरीमा श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी संस्था में ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की पढ़ाई और ट्रेनिंग कराई जाती है.

विशेष बच्चों की ऑनलाइन क्लास

लेकिन जब से लॉकडाउन लागू हुआ तब से यह बच्चे संस्था में नहीं आ पा रहे थे. ऐसे इन बच्चों की ट्रेनिंग और शिक्षा में कोई कमी नहीं आए इसके लिए ऑनलाइन क्लास लगाई जा रही है. साथ ही टीचर के द्वारा एक्टिविटिज के वीडियो भी तैयार कर के पैरेंट्स को भेजे जा रहे हैं, ताकि वो बच्चों को दिखा कर उन्हें शिक्षित कर सकें.

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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए काम करने वाले अनुराग श्रीवास्त बताते हैं कि इन विशेष बच्चों के लिए कोरोना काल ज्यादा दिक्कत भरा है. क्योंकि इन बच्चों की इम्यूनिटी पावर सामान्य बच्चों की तहर ज्यादा स्ट्रांग नहीं है. अनुराग बताते हैं कि इन बच्चों को घर में भी वही माहौल मिलना चाहिए, जो इन्हें ट्रेनिंग सेंटर और स्कूल में मिलता है. ऐसा नहीं होने पर इनमें एंजाइटी बढ़ जाती है, जो इनके लिए बहुत घातक होती है.

अनुराग बताते हैं कि यह बच्चे ज्यादा समझते नहीं हैं. जिसके चलते यह मास्क या सैनिटाइजर सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों को फॉलो नहीं कर सकते. ऐसे में परिजनों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है कि वो बच्चे का अच्छे से खयाल रखें.

स्कूल, ट्रेनिंग संस्थाओं के बंद होने से बढ़ी मुश्किलें

कोरोना काल में ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के स्कूल और ट्रेनिंग संस्थाओं के बंद होने से पैरेंट्स की मुश्किलें बढ़ गई है. एक बच्चे की मां बताती हैं कि इन विशेष बच्चों के साथ पूरे दिन घर में हैंडल करना बहुत मुश्किल होता है. हालांकि धीरे-धीरे बच्चों के हिसाब से पैरेंट्स भी एडजेस्ट कर लेते हैं. लेकिन इस वक्त जब देश भर में कोरोना फैल रखा है, तो बहुत दिक्कत हो रही है.

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बच्चे की मां बताती हैं कि जो प्रॉपर ट्रेनिंग बच्चों को मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही है. हालांकि इन दिनों ऑनलाइन क्लास से बच्चों को सिखाया जा रहा है. जिसके लिए पैरेंट्स को भी बच्चों के साथ घुल मिलकर रहना पड़ता है.

अप्रोच जयपुर की एक मात्र संस्था नहीं है जो इन विशेष बच्चों के लिए काम कर रही है. ऐसी कई संस्थाएं हैं जो लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन तौर पर ट्रेनिंग दे रही हैं. वहीं, खास बात ये भी है कि कोरोना काल के चलते ये बच्चे भी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली हो गए हैं.

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