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उद्योग विभाग ने की 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई, 50 का किया निस्तारण

उद्योग विभाग द्वारा अगस्त में 4 सूक्ष्म लघु सुविधा परिषद का गठन किया गया था, जिसमें विभाग द्वारा 3 माह में ही 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई की गई थी. जिस पर उद्योग विभाग के द्वारा 50 प्रकरणों में बड़ी राहत दी गई है.

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Published : Nov 21, 2019, 5:33 PM IST

जयपुर न्यूज, jaipur news

जयपुर. उद्योग विभाग द्वारा 8 अगस्त 2019 को सूक्ष्म लघु सीधा परिषद का गठन किया गया था. जिस पर विभाग द्वारा 3 माह में 9 बैठक कर 275 प्रकरणों पर सुनवाई की गई थी. जिसमें 50 प्रकरण निस्तारित कर उद्यमियों को बड़ी राहत भी दी है.

बता दें कि उद्योग विभाग द्वारा 4 सूक्ष्म लघु सुविधा परिषद का गठन किया गया था, जिसमें विभाग द्वारा 3 माह में ही 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई की गई थी. जिस पर विभाग ने 50 प्रकरणों का निस्तारण भी कर उद्यमी को बड़ी राहत दी है.

सूक्ष्म एवं लघु सुविधा परिषदों ने 3 माह में 275 प्रकरणों की सुनवाई की

जानकारी के अनुसार उद्यमों के विलंबित भुगतान और उनसे संबंधित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए राज्य में अब एक के स्थान पर 4 सूक्ष्म एवं लघु सीधा परिषदों का गठन किया गया था. जिस पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से प्राप्त सामान का 45 दिनों में भुगतान नहीं होने की स्थिति में सुविधा परिषद ने वाद दायर कर उद्यमियों को राहत दी गई है.

पढ़ें- चुनावी बॉन्ड में सरकारी भ्रष्टाचार हुआः कांग्रेस

यह परिषदें एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने और भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए भी परिषद दोनों पक्षों को सुनकर आपसी समझाएं कर निस्तारण कर रही है. इसके साथ ही 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को जारी होने की स्थिति में मूलधन एवं विलंबित एफडी की ब्याज दर की 3 गुना दर से ब्याज का भुगतान भी करना पड़ रहा है. बता दें कि उद्योग विभाग के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1750 प्रकरण उद्योग विभाग को ऑनलाइन तो वही बाकी के ऑफलाइन शिकायत आई थी.

जयपुर. उद्योग विभाग द्वारा 8 अगस्त 2019 को सूक्ष्म लघु सीधा परिषद का गठन किया गया था. जिस पर विभाग द्वारा 3 माह में 9 बैठक कर 275 प्रकरणों पर सुनवाई की गई थी. जिसमें 50 प्रकरण निस्तारित कर उद्यमियों को बड़ी राहत भी दी है.

बता दें कि उद्योग विभाग द्वारा 4 सूक्ष्म लघु सुविधा परिषद का गठन किया गया था, जिसमें विभाग द्वारा 3 माह में ही 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई की गई थी. जिस पर विभाग ने 50 प्रकरणों का निस्तारण भी कर उद्यमी को बड़ी राहत दी है.

सूक्ष्म एवं लघु सुविधा परिषदों ने 3 माह में 275 प्रकरणों की सुनवाई की

जानकारी के अनुसार उद्यमों के विलंबित भुगतान और उनसे संबंधित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए राज्य में अब एक के स्थान पर 4 सूक्ष्म एवं लघु सीधा परिषदों का गठन किया गया था. जिस पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से प्राप्त सामान का 45 दिनों में भुगतान नहीं होने की स्थिति में सुविधा परिषद ने वाद दायर कर उद्यमियों को राहत दी गई है.

पढ़ें- चुनावी बॉन्ड में सरकारी भ्रष्टाचार हुआः कांग्रेस

यह परिषदें एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने और भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए भी परिषद दोनों पक्षों को सुनकर आपसी समझाएं कर निस्तारण कर रही है. इसके साथ ही 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को जारी होने की स्थिति में मूलधन एवं विलंबित एफडी की ब्याज दर की 3 गुना दर से ब्याज का भुगतान भी करना पड़ रहा है. बता दें कि उद्योग विभाग के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1750 प्रकरण उद्योग विभाग को ऑनलाइन तो वही बाकी के ऑफलाइन शिकायत आई थी.

Intro:जयपुर एंकर-- उद्योग विभाग द्वारा 8 अगस्त 2019 को सूक्ष्म लघु सीधा परिषद का गठन किया गया था. जिस पर विभाग द्वारा 3 माह में नो बैठक कर 275 प्रकरणों पर सुनवाई की गई थी. जिसमें 50 प्रकरण निस्तारित कर उद्यमियों को बड़ी राहत भी दी है.


Body:जयपुर-- उद्योग विभाग द्वारा बनाई गई सूक्ष्म लघु सुविधा परिषदों ने 3 माह में 275 प्रकरणों की सुनवाई की गई थी. जिस पर उद्योग विभाग के द्वारा 50 प्रकरणों में बड़ी राहत दी है. आपको बता दे की उद्योग विभाग द्वारा चार सूक्ष्म लघु सुविधा परिषद का गठन किया गया था. जिसमें विभाग द्वारा तीन माह में ही 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई की गई थी. जिस पर विभाग ने 50 प्रकरणों का निस्तारण भी कर उद्यमी को बड़ी राहत दी है. जानकारी के अनुसार उद्यमों के विलंबित भुगतान और उनसे संबंधित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए राज्य में अब एक के स्थान पर चार सूक्ष्म एवं लघु सीधा परिषदों का गठन किया गया था. जिस पर सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से प्राप्त सामान का 45 दिनों में भुगतान नहीं होने की स्थिति में सुविधा परिषद ने वाद दायर कर उद्यमियों को राहत दी है. एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने व भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए भी परिषद दोनों पक्षों को सुनकर आपसी समझाएं कर निस्तारण कर रही है. इसके साथ ही 45 दिन मैं भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को जारी होने की स्थिति में मूलधन एवं विलंबित एफडी की ब्याज दर की 3 गुना दर से ब्याज का भुगतान भी करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि उद्योग विभाग के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1750 प्रकरण उद्योग विभाग को ऑनलाइन तो वही बाकी के ऑफलाइन शिकायत आई थी. आपको बता दें कि इस परिषद का गठन 8 अगस्त 2019 को किया गया था. और करीब 3 माह में ही 15 नवंबर तक 9 बैठकों का आयोजन कर 275 प्रकरणों की सुनवाई कर 50 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है.


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