जयपुर. जरूरतमंदों को अच्छा और सस्ता खाना पहुंचाने के लिए प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में 20 अगस्त से इंदिरा रसोई की शुरुआत होगी. प्रदेश में 358 रसोई शुरू की जाएंगी, जिन्हें व्यवस्थित करने के लिए सरकार 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी. इसके संचालन को लेकर राज्य सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. साथ ही नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं में रसोइयों की संख्या भी निर्धारित की है.
कोई भूखा ना सोए के संकल्प को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में इंदिरा रसोई संचालित करने की निर्देश दिए हैं. जहां जरूरतमंद को 8 रुपए में भोजन उपलब्ध हो सकेगा. जयपुर में 20, कोटा और जोधपुर में 16, अजमेर, बीकानेर और उदयपुर में 10, जबकि भरतपुर में 5 इंदिरा रसोई का संचालन होगा. इसके अलावा प्रदेश की 34 नगर परिषदों में प्रत्येक में तीन रसोई और 169 नगर पालिकाओं में प्रत्येक में एक रसोई संचालित होगी.
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योजना का संचालन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय और मॉनिटरिंग समिति के निर्देशन में किया जाएगा. जानकारी के अनुसार इन रसोइयों का बजट 100 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है. राज्य सरकार प्रत्येक कैंटीन संचालक को 5 लाख रुपए मुहैया कराएगी. इससे इंफ्रास्ट्रक्चर, वेटर के लिए ड्रेस आदि का इंतजाम किया जा सकेगा. इसके अलावा स्थानीय निकाय कैंटीन के लिए जमीन उपलब्ध कराएगा.
इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने वाली जनसंख्या, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल, मजदूर चौकड़ी, विभिन्न मंडियों और कच्ची बस्ती में रहने वाले गरीब परिवारों को पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन उपलब्ध कराना है. इंदिरा रसोई में मिलने वाली थाली की कीमत 20 रुपए होगी, लेकिन ग्राहकों से केवल 8 रुपए लिए जाएंगे. शेष 12 रुपए का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 15वीं विधानसभा के बजट सत्र में इंदिरा रसोई योजना की घोषणा की थी. साथ ही पिछली सरकार की अन्नपूर्णा रसोई योजना में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने का जिक्र करते हुए, इन्हें ठीक करने का अलग से कार्य किए जाने की भी बात कही थी.