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भारतीय मजदूर संघ का आरोप- डाकघरों की फ्रेंचाइजी को बिना कारण किया जा रहा है बंद

जयपुर में रविवार को एक प्रेस वार्ता में भारतीय मजदूर संघ ने कई खुलासे किए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान परिमंडल ने 24 फ्रेंचाइजी डाकघरों को बिना किसी कारण के बंद कर दिया है, जबकि यह फ्रेंचाइजी डाकघर सफलतापूर्वक चल रहे थे. साथ ही प्रशासन नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से राजस्थान के डाकघरों को भी बंद करवाया है.

डाकघरों की फ्रेंचाइजी हो रही बंद, Franchisees of post offices closed
भारतीय मजदूर संघ ने की प्रेस वार्ता
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Published : Jul 5, 2020, 3:47 PM IST

जयपुर. डाक प्रशासन के राजस्थान परिमंडल में चल रही अनियमितताओं को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने कई खुलासे किए हैं. इन खुलासों को लेकर जयपुर स्थित भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में रविवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन भी किया गया. इस प्रेस वार्ता को क्षेत्रीय संगठन मंत्री अनुपम ने संबोधित किया.

भारतीय मजदूर संघ ने की प्रेस वार्ता

प्रेस वार्ता में अनुपम ने बताया कि राजस्थान परिमंडल ने 24 फ्रेंचाइजी डाकघरों को बिना किसी कारण के बंद कर दिया गया है और यह फ्रेंचाइजी डाकघर सफलतापूर्वक चल रहे थे. इन फ्रेंचाइजी को बंद करने से डाक विभाग के राजस्व पर प्रभाव पड़ा है. साथ ही सैकड़ों लोग भी बेरोजगार हुए हैं.

गांधी नगर डाकघर में तीन, मालवीय नगर में तीन, सीतापुरा डाकघर में तीन, वैशाली नगर डाकघर में पांच, वीकेआई में तीन, जवाहर नगर में तीन, मुरलीपुरा में दो और शास्स्तनागर में चार फ्रेंचाइजी को बिना किसी कारण के बंद कर दिया गया है.

पढ़ेंः जयपुर के चिकित्सकों ने होम्योपैथी की 3 दवाओं से किया कोरोना के इलाज का दावा

भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अनुपम ने बताया कि प्रशासन ने नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से राजस्थान के डाकघरों को भी बंद कर दिया गया है. इसके कारण मूलभूत सेवाओं के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. इनमें से अधिकांश डाकघर सरकारी सरकारी भवनों में संचालित किए जा रहे थे. उनकी जमीन पर भूमाफिया की नजर थी, अब उनके लिए कब्जा करना और अतिक्रमण करना आसान हो जाएगा.

जयपुर में बरकत नगर में ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहां अब उस डाकघर की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. अनुपम ने आरोप लगाया कि डाकघर, भूमाफिया और डाक विभाग के अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के चलते यह डाकघर बंद किए गए हैं और इसकी जांच होना आवश्यक है. इसी तरह से चांदपोल बाजार और राजापार्क में भी सरकारी बिल्डिंग में चल रहे डाकघरों को बंद कर दिया गया है. यह डाकघर मात्र 1 रुपये के किराए पर चल रहे थे.

अनुपम ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवकों की स्थिति कोरोना काल में खराब चल रही है. ग्रामीण डाक सेवकों पर आधार इनेबल्ड भुगतान और खाता खोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है और नहीं करने पर उनकी सैलरी रोकी जा रही है. प्रेस वार्ता में बताया गया कि ग्रामीण डाक सेवकों को कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है. साथ ही किसी भी डाकघर में शाखा को सैनिटाइज नहीं कराया गया और ना ही कर्मचारियों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि जयपुर रेड जोन में है.

प्रेस रिलीज में बताया गया कि राजस्थान परिमंडल प्रशासन ने संचार मंत्री रविशंकर की पत्नी माया शंकर के नाम पर कर्मचारियों से चंदा उगाने का काम किया था. बाद में विरोध करने पर इसे रोका गया और लोगों का पैसा वापस लौटाना पड़ा. अनुपम ने कहा कि राजस्थान राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जहां सिविल और इलेक्ट्रिक विंग से सभी अधिकार छीन लिए गए हैं और समय से पहले सभी टेंडर खत्म कर बाजार दरों पर अन्य ठेकेदारों से करोड़ों के काम कराए जा रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा है.

पढ़ेंः राजस्थान ब्यूरोक्रेसी पर सर्जरी जारी, 2 IAS और 9 RPS के तबादले

अनुपम ने कहा कि पिछले 16 और 17 जून को डाकघर प्रशासन ने सर्किल ऑफिस का अवकाश घोषित कर दिया है और सभी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है. इसके बाद डेढ़ सौ से 200 जीडीएस कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिए कर दिया गया. यह भी कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है.

जयपुर. डाक प्रशासन के राजस्थान परिमंडल में चल रही अनियमितताओं को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने कई खुलासे किए हैं. इन खुलासों को लेकर जयपुर स्थित भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में रविवार को एक प्रेस वार्ता का आयोजन भी किया गया. इस प्रेस वार्ता को क्षेत्रीय संगठन मंत्री अनुपम ने संबोधित किया.

भारतीय मजदूर संघ ने की प्रेस वार्ता

प्रेस वार्ता में अनुपम ने बताया कि राजस्थान परिमंडल ने 24 फ्रेंचाइजी डाकघरों को बिना किसी कारण के बंद कर दिया गया है और यह फ्रेंचाइजी डाकघर सफलतापूर्वक चल रहे थे. इन फ्रेंचाइजी को बंद करने से डाक विभाग के राजस्व पर प्रभाव पड़ा है. साथ ही सैकड़ों लोग भी बेरोजगार हुए हैं.

गांधी नगर डाकघर में तीन, मालवीय नगर में तीन, सीतापुरा डाकघर में तीन, वैशाली नगर डाकघर में पांच, वीकेआई में तीन, जवाहर नगर में तीन, मुरलीपुरा में दो और शास्स्तनागर में चार फ्रेंचाइजी को बिना किसी कारण के बंद कर दिया गया है.

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भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अनुपम ने बताया कि प्रशासन ने नियम विरुद्ध और मनमाने तरीके से राजस्थान के डाकघरों को भी बंद कर दिया गया है. इसके कारण मूलभूत सेवाओं के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. इनमें से अधिकांश डाकघर सरकारी सरकारी भवनों में संचालित किए जा रहे थे. उनकी जमीन पर भूमाफिया की नजर थी, अब उनके लिए कब्जा करना और अतिक्रमण करना आसान हो जाएगा.

जयपुर में बरकत नगर में ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहां अब उस डाकघर की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है. अनुपम ने आरोप लगाया कि डाकघर, भूमाफिया और डाक विभाग के अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के चलते यह डाकघर बंद किए गए हैं और इसकी जांच होना आवश्यक है. इसी तरह से चांदपोल बाजार और राजापार्क में भी सरकारी बिल्डिंग में चल रहे डाकघरों को बंद कर दिया गया है. यह डाकघर मात्र 1 रुपये के किराए पर चल रहे थे.

अनुपम ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवकों की स्थिति कोरोना काल में खराब चल रही है. ग्रामीण डाक सेवकों पर आधार इनेबल्ड भुगतान और खाता खोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है और नहीं करने पर उनकी सैलरी रोकी जा रही है. प्रेस वार्ता में बताया गया कि ग्रामीण डाक सेवकों को कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं है. साथ ही किसी भी डाकघर में शाखा को सैनिटाइज नहीं कराया गया और ना ही कर्मचारियों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि जयपुर रेड जोन में है.

प्रेस रिलीज में बताया गया कि राजस्थान परिमंडल प्रशासन ने संचार मंत्री रविशंकर की पत्नी माया शंकर के नाम पर कर्मचारियों से चंदा उगाने का काम किया था. बाद में विरोध करने पर इसे रोका गया और लोगों का पैसा वापस लौटाना पड़ा. अनुपम ने कहा कि राजस्थान राजस्थान ऐसा पहला राज्य है, जहां सिविल और इलेक्ट्रिक विंग से सभी अधिकार छीन लिए गए हैं और समय से पहले सभी टेंडर खत्म कर बाजार दरों पर अन्य ठेकेदारों से करोड़ों के काम कराए जा रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा है.

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अनुपम ने कहा कि पिछले 16 और 17 जून को डाकघर प्रशासन ने सर्किल ऑफिस का अवकाश घोषित कर दिया है और सभी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है. इसके बाद डेढ़ सौ से 200 जीडीएस कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिए कर दिया गया. यह भी कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है.

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