जयपुर. प्रदेश में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. विभिन्न जिलों में लोग पानी को लेकर सड़कों पर उतरे हुए हैं. सरकार ने दावे किए थे की प्रदेश में पानी की किल्लत से निपटने के लिए पर्याप्त वैकल्पिक इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि लोकसभा चुनाव को लेकर लगी आचार संहिता के चलते प्रदेश में पानी की किल्लत ज्यादा बढ़ गई है.
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कई जिलों के कलेक्टर ने पानी की समस्या को लेकर अपनी-अपनी बात रखी. मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने उन्हें जिले में चल रही पेयजल योजनाओं के लिए मेंटेनेंस कार्य के टेंडर को तेज गति से पूरा करने के निर्देश दिए हैं. मुख्य सचिव गुप्ता ने कुछ जिलों के कलेक्टर से अलग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेयजल की समस्या को लेकर फीडबैक लिया. फीडबैक में सामने आया कि प्रदेश में पिछले ढाई महीने से लगी आचार संहिता के चलते पेयजल से जुड़े काम प्रभावित हुए. नए टेंडर आचार संहिता के चलते जारी नहीं कीए जा सके. बैठक में मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने सभी कलेक्टर्स को सख्त निर्देश दिए कि वह वैकल्पिक प्रबंध करके पेयजल की समस्या से लोगों को निजात दिलाएं.
प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों में पानी की किल्लत बनी हुई है. जबकि सरकार और जलदाय विभाग अपनी तरफ से दावे करता रहा है की आचार संहिता से पूर्व उन्होंने पानी की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए टेंडर जारी किए हुए हैं. आचार संहिता की बाध्यता के चलते कोई भी दिक्कत नहीं आएगी. जलदाय विभाग ने यही बात पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पेयजल की समस्या को लेकर ली गई उच्चस्तरीय बैठक में भी कही थी. लेकिन आज जब मुख्य सचिव डी बी गुप्ता ने कलेक्टर्स के साथ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करी तो कलेक्टर ने आचार संहिता का हवाला देते हुए टेंडर जारी नहीं करने की बात कही.