जयपुर. वैक्सीन की अनुपलब्धता के कारण प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम धीमा पड़ चुका है. ICMR की ओर से कहा गया है कि जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है उन्हें 9 महीने या 1 साल के बाद बूस्टर डोज लगवानी पड़ेगी, नहीं तो शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी खत्म हो सकती है.
वहीं, प्रदेश के मौजूदा हालात की बात करें तो आगामी 2 साल तक बूस्टर डोज की संभावना कहीं भी नजर नहीं आ रही, क्योंकि प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम बीते 7 महीनों से चल रहा है और सिर्फ 14 फीसदी लोगों को ही अभी वैक्सीन कि दोनों डोज लग पाई है.
वैक्सीन की कमी से जूझ रहा राजस्थान
प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल वैक्सीन की बूस्टर डोज की संभावना कहीं नजर नहीं आ रही है. मामले को लेकर डायरेक्टर आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला का कहना है कि वैक्सीन की अनुपलब्धता के चलते बीते कुछ समय से प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्यक्रम धीमा पड़ चुका है. उनका कहना है कि चिकित्सा विभाग हर दिन तकरीबन 15 लाख लोगों को वैक्सीन लगा सकता है. राजस्थान ने 1 दिन में 10 लाख का आंकड़ा भी छुआ है. ऐसे में जब तक पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन प्राप्त नहीं होती, तब तक वैक्सीनेशन कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाना काफी मुश्किल है.
सिर्फ 14 फीसदी लोगों को ही लगी है वैक्सीन की दोनों डोज
चिकित्सा विभाग की मानें तो प्रदेश में 5 करोड़ 14 लाख लोगों को अभी वैक्सीन लगाई जानी है, जबकि अभी तक करीब 3 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा चुकी है. इनमें से वैक्सीन की पहली डोज 47.7 प्रतिशत लोगों को लग चुकी है, जबकि सिर्फ 14 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज लग पाई है. बताया जा रहा है कि वैक्सीन लगाने की रफ्तार यही रही तो आने वाले 2 साल में भी सभी लोगों तक वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं पहुंच पाएगी.
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नए वेरिएंट के लिए बूस्टर जरूरी!
हालही में एम्स के चिकित्सकों ने दावा किया था कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के खिलाफ लड़ने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत है, लेकिन बूस्टर डोज तभी संभव हो पाएगी जब तकरीबन 70 फीसदी से अधिक लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हो. कोविड-19 वायरस के अलग-अलग वेरिएंट भी देखने को मिले हैं, यहां तक कि अन्य देशों में वैक्सीन लगने के बाद भी कोविड-19 संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार
प्रदेश की बात की जाए तो पिछले कुछ समय से वैक्सीन की कमी लगातार बनी हुई है. इसके कारण प्रदेश के अधिकतर वैक्सीनेशन सेंटर बंद कर दिए गए हैं. प्रदेश में तकरीबन 4 हजार वैक्सीनेशन सेंटर तैयार किए गए थे, लेकिन मौजूदा समय में लगभग 1200 से 1300 वैक्सीनेशन सेंटर पर ही वैक्सीन लगाई जा रही है. वैक्सीन की कमी के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने भी कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिख चुके हैं. उनका कहना है कि अभी भी प्रदेश को जितनी जरूरत है उससे काफी कम वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है.