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स्कूल ऑफ आर्ट में 'टैगोर' का स्कल्पचर की अनदेखी, नहीं ले रहा कोई सुध

शिक्षा संकुल में संचालित प्रदेश के सबसे पुराने आर्ट कॉलेज राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स में प्रशासन की अनदेखी से दिवंगत कलाकार एमके शर्मा 'सुमहेन्द्र' की ओर से बनाई गई रवीन्द्र नाथ टैगोर की मूर्ति दुर्दशा की कहानी को बयां कर रही है. सुमहेन्द्र ने यह मूर्ति साल 1983 में बनाई थी. जब ये कॉलेज किशनपोल बाजार में संचालित होता था. तब सुमहेन्द्र मूर्ति कला विभाग में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे थे.

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Published : Jul 29, 2019, 8:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट किशनपोल बाजार से शिक्षा संकुल की नई बिल्डिंग में शिफ्ट होने के बाद से ही सीनियर कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को भी शिक्षा संकुल स्थित परिसर में लगा दिया गया था. लेकिन अब यह कृतियां अपना सम्मान और पहचान खोती नजर आ रही हैं.

स्कूल ऑफ आर्ट में टैगोर का स्कल्पचर हुआ दरकिनार

स्थिति यह है कि अनदेखी के चलते इस मूर्ति के पास ही प्रशासन ने गार्डरूम बना दिया है. ऐसे में मूर्ति का डिस्प्ले भी छुप गया है और अब यह एक कोने में नजर आती है. इसी के साथ टैगोर के स्कल्पचर पर एक हाथ भी टूट चुका है. मिली जानकारी के अनुसार आयुक्तलाय में गार्ड रूम तो बना दिया है. लेकिन अब रूम को अवैध बताया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः फीस बढ़ोतरी और NRI कोटे को लेकर सरकार के विरोध में उतरे मेडिकल छात्र

इसको लेकर स्टूडेंट्स में भी गुस्सा है. स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत करवाया है. लेकिन अभी तक इस स्कल्पचर को दूसरी जगह पर डिस्प्ले नहीं किया गया है. ऐसा करने से कला का तो अपमान हो ही रहा है. साथ ही टैगोर को भी दरकिनार करने जैसा है. गौरतलब है कि सुमहेन्द्र द्वारा बनाई गई टैगोर एक कृति रविंद्र मंच के एंट्रेंस पर भी डिस्प्ले है.

जयपुर. राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट किशनपोल बाजार से शिक्षा संकुल की नई बिल्डिंग में शिफ्ट होने के बाद से ही सीनियर कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को भी शिक्षा संकुल स्थित परिसर में लगा दिया गया था. लेकिन अब यह कृतियां अपना सम्मान और पहचान खोती नजर आ रही हैं.

स्कूल ऑफ आर्ट में टैगोर का स्कल्पचर हुआ दरकिनार

स्थिति यह है कि अनदेखी के चलते इस मूर्ति के पास ही प्रशासन ने गार्डरूम बना दिया है. ऐसे में मूर्ति का डिस्प्ले भी छुप गया है और अब यह एक कोने में नजर आती है. इसी के साथ टैगोर के स्कल्पचर पर एक हाथ भी टूट चुका है. मिली जानकारी के अनुसार आयुक्तलाय में गार्ड रूम तो बना दिया है. लेकिन अब रूम को अवैध बताया जा रहा है.

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इसको लेकर स्टूडेंट्स में भी गुस्सा है. स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत करवाया है. लेकिन अभी तक इस स्कल्पचर को दूसरी जगह पर डिस्प्ले नहीं किया गया है. ऐसा करने से कला का तो अपमान हो ही रहा है. साथ ही टैगोर को भी दरकिनार करने जैसा है. गौरतलब है कि सुमहेन्द्र द्वारा बनाई गई टैगोर एक कृति रविंद्र मंच के एंट्रेंस पर भी डिस्प्ले है.

Intro:इस खबर पर कॉलेज प्रशासन कोई बाईट देने को तैयार नहीं है

जयपुर- शिक्षा संकुल में संचालित प्रदेश के सबसे पुराने आर्ट कॉलेज राजस्थान स्कूल आफ आर्ट्स में प्रशासन की अनदेखी से दिवगंत कलाकार एमके शर्मा 'सुमहेन्द्र' की ओर से बनाई गयी रविन्द्र नाथ टैगोर की मूर्ति दुर्दशा की कहानी को बयां कर रही है। सुमहेन्द्र ने यह मूर्ति 1983 में बनाई थी, जब ये कॉलेज किशनपोल बाजार में संचालित होता था। तब सुमहेन्द्र मूर्ति कला विभाग में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे थे।




Body:राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट किशनपोल बाजार से शिक्षा संकुल की नई बिल्डिंग में शिफ्ट होने के बाद से ही सीनियर कलाकारों द्वारा बनाई गयी कलाकृतियों को भी शिक्षा संकुल स्थित परिसर में लगा दिया गया था लेकिन अब यह कृतियां अपना सम्मान और पहचान खोती नजर आ रही है, स्थिति यह है कि अनदेखी के चलते इस मूर्ति के पास ही प्रशासन ने गार्डरूम बना दिया है। ऐसे में मूर्ति का डिस्प्ले भी छुप गया है और अब यह एक कोने में नजर आती है। इसी के साथ टैगोर के स्कल्पचर पर एक हाथ भी टूट चुका है। मिली जानकारी के अनुसार आयुक्तलाय में गार्ड रूम तो बना दिया है लेकिन अब रूम को अवैध बताया जा रहा है।

इसको लेकर स्टूडेंट्स में भी गुस्सा है। स्टूडेंट्स ने कॉलेज प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत करवाया है लेकिन अभी तक इस स्कल्पचर को दूसरी जगह पर डिस्प्ले नहीं किया गया है। ऐसा करने से कला का तो अपमान हो ही रह है साथ ही टैगोर को भी दरकिनार करने जैसा है। गौरतलब है कि सुमहेन्द्र द्वारा बनाई गयी टैगोर एक कृति रविंद्र मंच के एंट्रेंस पर भी डिस्प्ले है।

बाईट- स्टूडेंट की बाईट


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