जयपुर. प्रदेश सरकार ने किसी भी व्यक्ति के घर से बाहर निकलते वक्त उसके मुंह पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है. लेकिन क्या जो मास्क आप इस्तेमाल कर रहे हैं, वो आपके लिए पूरी तरह सुरक्षित है. इसको जानने और समझने के लिए हमारे संवाददाता ने कुछ ऐसे कोरोना योद्धाओं से बात की. जो हर दिन सैकड़ों की संख्या में मास्क और सेनिटाइजर कोरोना में ड्यूटी कर रहे कोरोना योद्धाओं को नि:शुल्क उपलब्ध करवा रहे हैं.
इतना ही नही मित्र मंडली के नाम से काम कर रहे यह ग्रुप कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को भी मास्क और सेनेटाइजर के साथ खाने के पैकेट्स भी नि:शुल्क उपलब्ध करवा रहे हैं. मित्र मंडली के रूप में काम कर रहे हनुमंत सिंह बताते हैं कि प्रदेश में घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना अनिवार्य है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं की आप सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करें. बल्कि कपड़े के बने मास्क का उपयोग ज्यादा किफायती और लाभदायक है.
यह भी पढ़ेंः कौन हैं राजेश्वरी?...जो दो जिंदगियों को लेकर करोना से कर रहीं दो-दो हाथ
हनुमंत सिंह ने बताया कि जब से कोरोना का असर प्रदेश में बढ़ा है, तब से मेडिकल की दुकानों पर मास्क की किल्लत बढ़ गई है. साथ ही कालाबाजारी शुरू हो गई है. लोग सर्जिकल मास्क को खरीदने में लग गए, लेकिन ऐसा नहीं है कि सर्जिकल मास्क ही ज्यादा इफेक्टिव है. बल्कि कपड़े से बना मास्क काफी इफेक्टिव भी है और किफायती भी.
सर्जिकल मास्क डॉक्टर और नर्सेज के काम में आने के लिए बनाया जाता है. सर्जिकल मास्क का उपयोग के साथ उसके प्रोटोकॉल का भी ध्यान रखना जरूरी है. अगर उसका ध्यान नहीं रखा गया तो फायदे से ज्यादा उससे नुकसान होने की संभावनाए बन जाती है.
सर्जिकल मास्क का उपयोग करने की क्षमता 6 घंटे तक ही है. इसका उपयोग करने के बाद जलाना जरूरी है. नहीं तो डस्टबीन में फेकने से इससे इंफेक्शन ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में मेडिकल विभाग से जुड़े व्यक्ति के अलावा दूसरे व्यक्ति को ज्यादा ज्यादा कपड़े के मास्क का उपयोग करना चाहिए. वो ज्यादा इफेक्टिव है. कपड़े के मास्क को वोस करके फिर से काम मे ले सकते हैं. लेकिन सर्जिकल मास्क एक बार काम आने के बाद दोबरा काम में नहीं लिया जा सकता.