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महिलाओं ने किया सोलह श्रंगार, मनाया सिंजारा महोत्सव

जयपुर में हरियाली तीज की अलग ही छठा देखने को मिलती है. इस दिन तीज माता की पूजा अर्चना के बाद तीज माता की सवारी निकाली जाती है. वहीं गुलाबी नगरी में तीज महोत्सव के एक दिन पूर्व शुक्रवार को लोकपर्व सिंजारे के रंग में रंगी नजर आई.

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Published : Aug 2, 2019, 10:30 PM IST

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जयपुर. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किया. घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए. नव विवाहिता के पीहर से विशेष रुप से गेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेजी गई. कई महिला संगठन ने सामूहिक रुप से सिंजारा महोत्सव को सेलिब्रेट किया.

शुक्रवार को मनाया गया सिंजारा महोत्सव

सिंजारा महोत्सव में महिलाओं ने खुले स्थान पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर बंधे हुए झूले पर स्त्रियों और बच्चों के लिए बहुत ही मनभावन होते हैं. मल्हार गाते हुए मेहंदी रची हुए हाथों से रस्सी पकड़े झूलना एक अनूठा अनुभव होता है. नारियां सखी सहेलियों के संग सज-संवर कर लोकगीत कजरी आदि गाते हुए झूला-झूलती दिखाई दीं. पूरा वातावरण ही गीतों के मधुर स्वरों से संगीत में गीत रस में हो उठा. शनिवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा.

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ये है पैराणिक मान्यताएं
पैराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकारा था. अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्योहार भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने के साथ ही आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्योहार है. इसके अलावा यह पर्व पति-पत्नी को एक दूसरे के लिए त्याग करने का संदेश भी देता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं.

जयपुर में हरियाली तीज शनिवार को

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तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह श्रृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है. इससे त्योहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नव-विवाहित लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है. इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं. पूजन में सुहाग की सभी सामग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए. नैवेध में भगवान को खीर, पूरी, हलवा, मालपुए, गेवर से भोग लगाकर प्रसन्न करें. तत्पश्चात भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. पूजा के बाद इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है.

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जयपुर में निकलेगी तीज माता की सवारी
श्रावणी तीज पर शनिवार को जनानी ड्योढ़ी से पारंपरिक तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी. शाम को पूरे लवाजमे के साथ निकलने वाली शाही सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ होते हुए तालकटोरा पहुंचेगी. रविवार को बूढ़ी तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी. इसके लिए तालकटोरा पर दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन होगा. हजारों लोग इस दौरान माता के दर्शन के लिए उमड़ते हैं. सुसज्जित हाथी और घोड़े इस जुलूस की शोभा को बढ़ा देते हैं.

जयपुर. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किया. घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए. नव विवाहिता के पीहर से विशेष रुप से गेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेजी गई. कई महिला संगठन ने सामूहिक रुप से सिंजारा महोत्सव को सेलिब्रेट किया.

शुक्रवार को मनाया गया सिंजारा महोत्सव

सिंजारा महोत्सव में महिलाओं ने खुले स्थान पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर बंधे हुए झूले पर स्त्रियों और बच्चों के लिए बहुत ही मनभावन होते हैं. मल्हार गाते हुए मेहंदी रची हुए हाथों से रस्सी पकड़े झूलना एक अनूठा अनुभव होता है. नारियां सखी सहेलियों के संग सज-संवर कर लोकगीत कजरी आदि गाते हुए झूला-झूलती दिखाई दीं. पूरा वातावरण ही गीतों के मधुर स्वरों से संगीत में गीत रस में हो उठा. शनिवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा.

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ये है पैराणिक मान्यताएं
पैराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकारा था. अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्योहार भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने के साथ ही आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्योहार है. इसके अलावा यह पर्व पति-पत्नी को एक दूसरे के लिए त्याग करने का संदेश भी देता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं.

जयपुर में हरियाली तीज शनिवार को

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तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह श्रृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है. इससे त्योहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नव-विवाहित लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है. इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं. पूजन में सुहाग की सभी सामग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए. नैवेध में भगवान को खीर, पूरी, हलवा, मालपुए, गेवर से भोग लगाकर प्रसन्न करें. तत्पश्चात भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए. पूजा के बाद इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है.

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जयपुर में निकलेगी तीज माता की सवारी
श्रावणी तीज पर शनिवार को जनानी ड्योढ़ी से पारंपरिक तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी. शाम को पूरे लवाजमे के साथ निकलने वाली शाही सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ होते हुए तालकटोरा पहुंचेगी. रविवार को बूढ़ी तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी. इसके लिए तालकटोरा पर दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन होगा. हजारों लोग इस दौरान माता के दर्शन के लिए उमड़ते हैं. सुसज्जित हाथी और घोड़े इस जुलूस की शोभा को बढ़ा देते हैं.

Intro:जयपुर- राजधानी जयपुर में हरियाली तीज की अलग ही छठा देखने को मिलती है। इस दिन तीज माता की पूजा अर्चना के बाद तीज माता की सवारी निकाली जाती है। वही गुलाबी नगरी में तीज मोहत्सव के एक दिन पूर्व शुक्रवार को लोकपर्व सिंजारे के रंग में रंगी नजर आई। सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किया। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए। नव विवाहिता के पियर से विशेष रूप से गेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रृंगार की सामग्री भेजी गई। कई महिला संगठन ने सामूहिक रूप से सिंजारा महोत्सव को सेलिब्रेट किया। सिंजारा महोत्सव में महिलाओं ने खुले स्थान पर बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं पर बंधे हुए झूले पर स्त्रियों व बच्चों के लिए बहुत ही मनभावन होते हैं। मल्हार गाते हुए मेहंदी रची हुए हाथों से रस्सी पकड़े झूलना एक अनूठा अनुभव होता है। नारियां सखी सहेलियों के संग सज संवर कर लोकगीत कजरी आदि गाते हुए झूला झूलती दिखाई दी। पूरा वातावरण ही गीतों के मधुर स्वरों से संगीत में गीत रस में हो उठा। शनिवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा।


Body:ये है पैराणिक मान्यताएं
पैराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकारा था। अखंड सौभाग्य का प्रतीक यह त्यौहार भारतीय परंपरा में पति पत्नी के प्रेम को और प्रगाढ़ बनाने के साथ ही आपस में श्रद्धा और विश्वास कायम रखने का त्योहार है। इसके अलावा यह पर्व पति पत्नी को एक दूसरे के लिए त्याग करने का संदेश भी देता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखकर अपने लिए शिव जैसे वर की कामना करती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं अपने सुहाग को भगवान शिव तथा पार्वती से खून बनाए रखने की कामना करती है।

तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह श्रृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है। इससे त्यौहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नव विवाहित लड़कियों को ससुराल से पियर बुला लिया जाता है। इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती है। पूजन में सुहाग की सभी सामग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए। नैवेध में भगवान को खीर, पूरी, हलवा, मालपुए, गेवर से भोग लगाकर प्रसन्न करे। तत्पश्चात भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज माता की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए। पूजा के बाद इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है।

जयपुर में निकलेगी तीज माता की सवारी
श्रावणी तीज पर शनिवार को जनानी ड्योढ़ी से पारंपरिक तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी। शाम को पूरे लवाजमे के साथ निकलने वाली शाही सवारी त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ होते हुए तालकटोरा पहुंचेगी। रविवार को बूढ़ी तीज की शाही सवारी निकाली जाएगी। इसके लिए तालकटोरा पर दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन होगा। हजारों लोग इस दौरान माता के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते है। सुसज्जित हाथी और घोड़े इस जुलूस की शोभा को बढ़ा देते हैं।


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