जयपुर. साल 2020 का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगने जा रहा है. चंद्रग्रहण ब्रह्मांड की एक खगोलीय घटना है और यह पृथ्वी से लाखों मील दूर घटित होती है, लेकिन इसके बावजूद इसका मानव जीवन पर असर होता है. ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि किसी भी ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर देखा जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला यह चंद्रग्रहण उपच्छाया ग्रहण है, अर्थात इसका कोई सूतक काल नहीं होगा. ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस ग्रहण का कोई सूतक काल नहीं होता, वह ज्यादा प्रभावशाली नहीं होता. ग्रहण का समय भारतीय समयानुसार दोपहर 1:02 बजे रहेगा, यह एक छाया से पहला स्पर्श दिखेगा और फिर दोपहर 3:11 बजे पर परमग्रास चंद्रग्रहण होगा. वहीं शाम 5:24 बजे पर उपच्छाया से अंतिम स्पर्श होगा.
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हालांकि राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में यह खगोलीय घटना दिखाई नहीं देगी और इसका प्रभाव भी विशेष नहीं पड़ेगा. लेकिन ज्योतिषविज्ञों का मानना है कि चंद्रग्रहण की समयावधि में इष्टदेव की उपासना करनी चाहिए और ॐ श्रीकृष्णाय नमः का जप करना चाहिए. दरअसल चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया पर ना जाकर उसकी उपच्छाया से ही लौट जाती है, तो इसे उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में चांद पर एक धुंधली परत बनी नजर आती है.