जयपुर. राजधानी के परकोटे को यूनेस्को ने विश्व विरासत के तमगे से नवाजा, लेकिन दिनोंदिन होते नए निर्माणों, अवैध कब्जों और दुकानदारों के अतिक्रमण के चलते परकोटे पर 'पैबंद' लगता जा रहा है. परकोटे के मुख्य बाजार खासकर रामगंज अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है. यहां हालात बेहद खराब हो गए हैं. क्षेत्र में अतिक्रमण के कारण यहां की खूबसूरती जिसके लिए यह जाना जाता था, वह खत्म होती जा रही है. हालांकि बीते दिनों ड्रोन सर्वे कराकर अतिक्रमण करने वालों को चिन्हित कर नोटिस दिए गए हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया गया है.
धरोहर पर हावी अतिक्रमण
वर्ष 1727 में बना जयपुर शहर चारों तरफ परकोटे से घिरा था. गौर करने वाली बात यह है कि इस परकोटे की महत्ता यूनेस्को ने तो समझी लेकिन शहरवासियों ने नहीं. यही वजह है कि यह विरासत समय के साथ बड़ी-बड़ी इमारतों के बोझ तले दबकर रह गई है. अतिक्रमण इस धरोहर पर हावी हो चुका है. आलम ये है कि कुछ जगह तो परकोटा लुप्त हो गया है. वहीं रामगंज से घाटगेट जाते हुए बरामदे सड़क तक आते दिखते हैं. इन्हीं बरामदों पर डिब्बे जैसी ऊंची इमारतें बना दी गईं हैं. जो न केवल अतिक्रमण को दर्शाती हैं बल्कि खतरे का भी एहसास दिलाती हैं. आलम ये है कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है.
ड्रोन सर्वे के बाद 3100 को नोटिस
हालांकि विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए बीते दिनों अतिक्रमण को लेकर ड्रोन से परकोटे का सर्वे किया गया था. इसमें 3100 से ज्यादा मामले सामने आए जिन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं. अतिक्रमण को अल्प, मध्यम और गंभीर स्तर में बांटकर नोटिस भी दिए गए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं ड्रोन सर्वे के अलावा जोन स्तर पर भी अवैध निर्माण और अतिक्रमण की सूची तैयार की गई है.
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स्टेट लेवल हेरिटेज कमेटी लेगी एक्शन
इस संबंध में हेरिटेज निगम आयुक्त अवधेश मीणा ने बताया कि अतिक्रमण चिन्हित करने के लिए ड्रोन सर्वे कराया गया. इसे मॉनिटर करने के लिए स्टेट लेवल हेरिटेज कमेटी बनी है जिसकी मीटिंग होना बाकी है. कमेटी मीटिंग में ही तय होगा कि अतिक्रमण पर किस तरह का एक्शन लेना है. इसके अलावा सरकारी जमीन पर हो रहे अन्य अतिक्रमण पर नियमित कार्रवाई की जा रही है और अब अतिक्रमण को लेकर जोन अधिकारी को ही पूरी जिम्मेदारी दी जाएगी. हालांकि हेरिटेज निगम के मुखिया को तो ये तक नहीं पता कि ड्रोन सर्वे के तहत कितने अतिक्रमण स्थान चिन्हित किए गए हैं.
भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर मढ़ रहे आरोप
उधर, अतिक्रमण के मसले पर विपक्ष भी हमलावर हो रहा है. बीजेपी की वरिष्ठ पार्षद कुसुम यादव ने कहा कि सरकार अतिक्रमण को लेकर गंभीर नहीं है. और न ही विश्व विरासत के संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार का ध्यान अवैध निर्माण कराने पर है, हटाने पर नहीं. इस आरोप पर पलटवार करते हुए कांग्रेस पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने तो अतिक्रमण पर ध्यान दिया नहीं, जबकि कांग्रेस सरकार ने अतिक्रमण को लेकर ड्रोन सर्वे कराया और नोटिस भी दिए. कोरोना काल में लोगों को कष्ट नहीं दिया, लेकिन कार्रवाई जरूर होगी. उन्होंने कहा कि यूनेस्को से मिले तमगे को बरकरार रखने के लिए कांग्रेस कटिबद्ध है.
बहरहाल, राज्य सरकार ने अतिक्रमण को लेकर ड्रोन सर्वे भी कराया, हेरिटेज कमेटी भी बनाई. लेकिन कार्रवाई के नाम पर दो कदम भी नहीं चले। फिलहाल, सरकार प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टे बांटने की तैयारी कर रही है। लेकिन परकोटे पर हो रहे अवैध निर्माण को लेकर आंखें मूंदे हुए हैं। नतीजन हर दिन विरासत पर जरूरतों की इमारतें खड़ी होती जा रही है।