जयपुर. यूपीएससी ने सीएसई मेन 2020 फाइनल परीक्षा परिणाम (UPSC result) जारी कर दिया है. जारी परिणाम में अलवर जिले की देवयानी ने 11वां तो चूरू के गौरव बुडानिया ने 13वां स्थान हासिल किया है. वहीं आईएएस टीना डाबी की छोटी बहन रिया डाबी ने 15वीं रैंक हासिल की है. वहीं टीना UPSC 2016 की टॉपर रही हैं.
शुभम कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा 2020 में टॉप किया है. वहीं, जागृति अवस्थी दूसरा स्थान हासिल किया है. 2016 में टीना डाबी टॉपर रही थी. उन्होंने महज 22 साल की उम्र में यूपीएसएसी में टॉप किया था. जिसके बाद वे लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई थी. वहीं अतहर ने यूपीएसएसी में दूसरा स्थान हासिल किया था. आगे चलकर IAS अतहर आमिर और टीना ने शादी कर ली थी. इस साल 2021 में दोनों ने तलाक ले लिया.
देवयानी ने हासिल किया 11वीं रैंक
राठ क्षेत्र की देवयानी ने देशभर में 11वां स्थान हासिल किया है, देवयानी मूलरूप से महेंद्रगढ़ की रहने वाली हैं. वर्ष 2019 की प्रशासनिक सेवा परीक्षा में उनकी 222वीं रैंक आई थी. वो फ़िलहाल इंडियन ऑडिट व एकाउंट्स सर्विस में हैं. उनकी शिमला में ट्रेनिंग चल रही है.
देवयानी ने बताया कि यह उनका पांचवा प्रयास था. प्रशासनिक सेवा से पहले वे मुंडावर में महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर कार्यरत थी. उनके पिता विनय सिंह भी हरियाणा में आइएएस अधिकारी हैं. उनकी माता राजबाला बहरोड़ के खेड़की गांव से हैं. देवयानी ने बिट्स पिलानी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी.टेक. किया है. देवयानी अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता तथा अपनी मेहनत को देती हैं. देवयानी का कहना है सिविल सेवा परीक्षा में चयन के लिए मेहनत, निरंतरता बेहद आवश्यक है. प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए उन्होंने कहा कि पढ़ाई में निरंतरता रखें, नई-नई जानकारियां जुटाते रहें, खुद के प्रयासों पर भरोसा रखें, सफलता जरूर मिलेगी.
इसके शहर के मालवीय नगर निवासी मयूर खंडेलवाल ने सिविल सेवा परीक्षा में 284वां स्थान हासिल किया है. यह उनका चौथा प्रयास था. मयूर के पिता मोहन लाल खंडेलवाल प्रधानाचार्य और माता मधुबाला गुप्ता संस्कृत विषय की व्याख्याता हैं. मयूर ने आइआइटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग की है. गत वर्ष भी उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ था.
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गौरव बुडानिया ने हासिल किया 13वीं रैंक
चुरू जिले के गौरव बुडानिया (Gaurav Budania) ने 13वां स्थान हासिल किया है. गौरव की इस उपलब्धि के बाद जयपुर स्थित उनके निवास पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है. गौरव इससे पहले आरएएस परीक्षा 2018 में भी 12 वीं रैंक हासिल कर चुके हैं.
गौरव ने बताया कि आरएएस में 12 वीं रैंक हासिल करने के बाद उम्मीद थी कि आईएएस-आईपीएस की कोई रैंक मिल जाएगी. लेकिन 13 वीं रैंक की उम्मीद नहीं थी. उन्होंने कहा कि इससे पहले किसी भी रिलेटिव की ऐसी रैंक नहीं देखी थी. इसलिए काफी देर तक तो यकीन ही नहीं कर पाए. परिजनों को आरएएस के रिजल्ट के बाद उनसे उम्मीद थी कि आईएएस में भी नंबर आ ही जाएगा. परिजनों की उम्मीदों पर खरा उतरना था, इसके लिए काफी तैयारी की थी.
उन्होंने कहा कि जो अभ्यर्थी इस बार क्वालीफाई नहीं कर पाए, अपना मन कमजोर ना करें और ढूंढे की आखिर कहां कमी रह गई. जो कमी है उसे आज ही सुधारें. कल सुबह से दोबारा मेहनत पर लग जाए. ये सोचकर हार नहीं माने कि इस बार फेल हो गए, लगातार मेहनत करने से रिवॉर्ड जरूर मिलेगा. सिविल सर्विसेज मेन एग्जाम 2020 में शुभम कुमार ने टॉप किया है. जागृति अवस्थी ने दूसरा, जबकि अंकिता जैन ने तीसरा स्थान हासिल किया है.
डूंगरपुर के हेमंत कलाल की 371वीं रैंक
आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले के होनहार हेमंत कलाल ने आईएएस में 371 वी रैंक हासिल कर डूंगरपुर ही नहीं, बल्कि अपने गांव दामडी का नाम भी रोशन किया है. हेमंत का आईएएस में सलेक्शन होते ही पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बधाई देने वालो का भी तांता लगा हुआ है. हेमंत की इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मशक्कत तो है ही, बीमार मां का सपना भी है, जिसे हेमंत ने साकार कर दिया है.
हेमंत कलाल का दामड़ी गांव में सम्मानआईएएस में ऑल इंडिया 371वीं रैंक हासिल करने वाले हेमंत कलाल बताते हैं कि आईएएस बनने का सपना 2013 में ही देख लिया था. बीटेक फाइनल ईयर की पढ़ाई करते हुए स्वामी विवेकानंद की किताब पढ़ने के दौरान प्रेरणा मिली, बस, तैयारी में जुट गया. 2 बार असफल रहने के बाद तीसरी बार आईएएस मैन्स में पास कर लिया. इसके बाद पहले ही इंटरव्यू में सफलता हासिल की.हेमंत कलाल ने बताया कि आईएएस परीक्षा से पहले उनके परिवार को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. 8 जनवरी को आईएएस मैन्स का एग्जाम था, जबकि एक महीने पहले ही 12 दिसंबर 2020 को मां सीता देवी के कैंसर का ऑपरेशन करना पड़ा.
करीब 15 दिनों तक मां भर्ती रही, पिता मोहनलाल कलाल मां के साथ अस्पताल में रहे. इसके बाद भी हर 20 दिन में मां की कीमोथैरेपी की भागदौड़ होती रही. मां के ऑपरेशन के बावजूद मां के सपने को साकार करने वह खुद जयपुर में स्वामीनारायण मंदिर ट्रस्ट में रहकर तैयारी करता रहा. हेमंत बताते हैं की परीक्षा से चार दिन पहले बीमार होते हुए भी मां ने मेरी पढ़ाई खराब नहीं हो, इसलिए पिता मोहनलाल को जयपुर मेरे पास भेज दिया. पिता ने परीक्षा के दिनों में पूरी मदद की. आईएएस में सफलता के बाद अब गांव में खुशियों का माहौल है
कोटा के फैजान अहमद को मिली पीएम मोदी से मिला हौसला
कोटा निवासी फैजान अहमद इस परीक्षा में 58 वीं रैंक लेकर आए हैं. फैजान का कहना है कि कोविड-19 के दौरान उन्हें भी कई बार स्ट्रेस हो गया, कई नजदीकी रिश्तेदारों की मौत हो गई थी. वह तनाव में था, लेकिन तब उसने प्रधामंत्री के उस वक्तव्य से प्रेरणा ली, जिसमें प्रधानमंत्री ने आपदा को अवसर में बदलने का आह्वान किया था.
फैजान का कहना है कि यूपीएससी शुरू से मेरा लक्ष्य नहीं था, मैंने बिल्कुल भी नहीं सोचा था. कुछ-कुछ मैं इस तरफ सोच रहा था, लेकिन जब मैं कॉलेज के फाइनल ईयर में था, तो मैंने सोचा कि यूपीएससी करना चाहिए. क्योंकि इंजीनियरिंग में भी मुझे मजा नहीं आ रहा था. इसके बाद 2018 में मैंने अपनी इंजीनियरिंग पूरी की व 2019 अक्टूबर में में यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चला गया.