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हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में बगावती सुर, बोले वेद प्रकाश सोलंकी- मेरा काम हो रहा, हर कोई मेरे तरीके से काम नहीं करवा सकता

पायलट कैंप के नेता वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि कांग्रेस में हेमाराम चौधरी से वरिष्ठ और ईमानदार नेता कोई नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस आलाकमान उनकी बात नहीं सुनेगा तो किसकी बात सुनेगा. सोलंकी ने राजनीतिक नियुक्तियों में गैर कांग्रेसी नेता की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए.

Vedprakash Solanki targeted Congress, Hemaram Chaudhary resigns
हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में बगावती सुर
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Published : May 19, 2021, 3:57 PM IST

Updated : May 19, 2021, 6:59 PM IST

जयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे देने के मामले में अब पायलट कैंप के दूसरे विधायक भी मुखर होकर सामने आ गए हैं. हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि हेमाराम एक ऐसे नेता हैं जिनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं होते हैं. उनसे ज्यादा ईमानदार और वरिष्ठ नेता कांग्रेस पार्टी के बाद नहीं हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को उनकी बात सुननी चाहिए और आलाकमान को उनके इस्तीफे की वजह जानकर उनका इस्तीफा वापस होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे काम नहीं हो तो मैं भी इस्तीफा दे दूं.

मेरी भी सुनवाई नहीं हुई तो दे दूंगा इस्तीफा

पढ़ें- बदलती सियासत : हेमाराम चौधरी का इस्तीफा और 'जादूगर' की मुश्किलें बढ़ाती एक और विधायक की नाराजगी, देखें VIDEO

वेद प्रकाश सोलंकी ने हेमाराम चौधरी के साथ ही प्रदेश में हुई राजनीतिक नियुक्तियों और ब्यूरोक्रेसी पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कांग्रेस को सत्ता में लाने में भागीदारी निभाई उन्हें मौका नहीं मिला, अगर ऐसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मौका मिलता तो पार्टी मजबूत होती.

कुमार विश्वास पर साधा निशाना

हाल ही में हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए सोलंकी ने कहा कि जिन लोगों को आरपीएससी, कर्मचारी बोर्ड या इसी तरीके के कई पदों पर मौका दिया गया है, क्या उन्होंने कांग्रेस को जिताने के लिए खून पसीना बहाया था. सोलंकी ने कुमार विश्वास का नाम लिए बगैर कहा कि जिस व्यक्ति ने राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, उनकी पत्नी को आरपीएससी का मेंबर बना दिया जाता है तो कांग्रेस कैसे मजबूत होगी.

सोलंकी ने कहा कि ना तो मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है और ना ही ब्लॉक व जिला स्तर पर नियुक्तियां हो पा रही है, क्या कोरोना के समय में चुनाव नहीं करवाए गए. उन्होंने कहा कि जब चुनाव हो सकते हैं तो बाकी काम भी किए जा सकते हैं.

पढ़ें- पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा सदस्यता से दिया इस्तीफा, सरकार से चल रहे थे नाराज

गुट विशेष की बात नहीं...

हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को लेकर वेद सोलंकी ने कहा कि यह किसी गुट विशेष की बात नहीं है. हेमाराम चौधरी जिन बातों पर आपत्ति जता रहे हैं उसी तरीके की बात पचपदरा विधायक मदन प्रजापत भी बोल रहे हैं. अगर किसी जिले में 6 विधायक हैं और उनमें से केवल एक मंत्री के काम हो रहे हैं, बाकी पांच के नहीं तो फिर विरोध होगा ही.

सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी

मैं भी इस्तीफा दे दूं...

उन्होंने कहा कि अगर जयपुर में भी ऐसा हो और हमारे काम नहीं हो तो मैं भी इस्तीफा दे दूं, लेकिन मैं जानता हूं कि काम कैसे करवाए जाते हैं इसलिए मेरे काम हो जाते हैं. लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि हर विधायक मेरी तरह काम करवाने के लिए हर तरीका इस्तेमाल करना जानता हो. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को इन बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए.

सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी

वेदप्रकाश सोलंकी ने जयपुर में सीएमएचओ-2 को हटाए जाने पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि गलत आर्डर कौन निकाल रहा है और दलित होने पर क्या इसे गुनाह माना जाता है. सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी है. उन्होंने पहले भी यह बात उठाई थी कि सत्ता का विकेंद्रीकरण होना जरूरी है क्योंकि अभी भी कई विभाग ऐसे हैं जो बिना मंत्रियों के चल रहे हैं. ऐसे में अफसरशाही हावी हो गई है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह सत्ता का विकेंद्रीकरण करें ताकि अफसरशाही से निजात मिल सके.

जयपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे देने के मामले में अब पायलट कैंप के दूसरे विधायक भी मुखर होकर सामने आ गए हैं. हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को लेकर कांग्रेस विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि हेमाराम एक ऐसे नेता हैं जिनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं होते हैं. उनसे ज्यादा ईमानदार और वरिष्ठ नेता कांग्रेस पार्टी के बाद नहीं हो सकता है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को उनकी बात सुननी चाहिए और आलाकमान को उनके इस्तीफे की वजह जानकर उनका इस्तीफा वापस होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे काम नहीं हो तो मैं भी इस्तीफा दे दूं.

मेरी भी सुनवाई नहीं हुई तो दे दूंगा इस्तीफा

पढ़ें- बदलती सियासत : हेमाराम चौधरी का इस्तीफा और 'जादूगर' की मुश्किलें बढ़ाती एक और विधायक की नाराजगी, देखें VIDEO

वेद प्रकाश सोलंकी ने हेमाराम चौधरी के साथ ही प्रदेश में हुई राजनीतिक नियुक्तियों और ब्यूरोक्रेसी पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कांग्रेस को सत्ता में लाने में भागीदारी निभाई उन्हें मौका नहीं मिला, अगर ऐसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मौका मिलता तो पार्टी मजबूत होती.

कुमार विश्वास पर साधा निशाना

हाल ही में हुई राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए सोलंकी ने कहा कि जिन लोगों को आरपीएससी, कर्मचारी बोर्ड या इसी तरीके के कई पदों पर मौका दिया गया है, क्या उन्होंने कांग्रेस को जिताने के लिए खून पसीना बहाया था. सोलंकी ने कुमार विश्वास का नाम लिए बगैर कहा कि जिस व्यक्ति ने राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, उनकी पत्नी को आरपीएससी का मेंबर बना दिया जाता है तो कांग्रेस कैसे मजबूत होगी.

सोलंकी ने कहा कि ना तो मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है और ना ही ब्लॉक व जिला स्तर पर नियुक्तियां हो पा रही है, क्या कोरोना के समय में चुनाव नहीं करवाए गए. उन्होंने कहा कि जब चुनाव हो सकते हैं तो बाकी काम भी किए जा सकते हैं.

पढ़ें- पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा सदस्यता से दिया इस्तीफा, सरकार से चल रहे थे नाराज

गुट विशेष की बात नहीं...

हेमाराम चौधरी के इस्तीफे को लेकर वेद सोलंकी ने कहा कि यह किसी गुट विशेष की बात नहीं है. हेमाराम चौधरी जिन बातों पर आपत्ति जता रहे हैं उसी तरीके की बात पचपदरा विधायक मदन प्रजापत भी बोल रहे हैं. अगर किसी जिले में 6 विधायक हैं और उनमें से केवल एक मंत्री के काम हो रहे हैं, बाकी पांच के नहीं तो फिर विरोध होगा ही.

सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी

मैं भी इस्तीफा दे दूं...

उन्होंने कहा कि अगर जयपुर में भी ऐसा हो और हमारे काम नहीं हो तो मैं भी इस्तीफा दे दूं, लेकिन मैं जानता हूं कि काम कैसे करवाए जाते हैं इसलिए मेरे काम हो जाते हैं. लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि हर विधायक मेरी तरह काम करवाने के लिए हर तरीका इस्तेमाल करना जानता हो. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान को इन बातों की तरफ ध्यान देना चाहिए.

सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी

वेदप्रकाश सोलंकी ने जयपुर में सीएमएचओ-2 को हटाए जाने पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि गलत आर्डर कौन निकाल रहा है और दलित होने पर क्या इसे गुनाह माना जाता है. सत्ता का विकेंद्रीकरण जरूरी है. उन्होंने पहले भी यह बात उठाई थी कि सत्ता का विकेंद्रीकरण होना जरूरी है क्योंकि अभी भी कई विभाग ऐसे हैं जो बिना मंत्रियों के चल रहे हैं. ऐसे में अफसरशाही हावी हो गई है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह सत्ता का विकेंद्रीकरण करें ताकि अफसरशाही से निजात मिल सके.

Last Updated : May 19, 2021, 6:59 PM IST
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