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आबादी क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को लेकर मानवाधिकार आयोग सख्त...15 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश

भरतपुर जिले में आबादी क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां संचालित होने के मामले पर मानवाधिकार आयोग सख्त हो गया है. आयोग ने भरतपुर गुरुनानक कॉलोनी, रंजीत नगर में चल रही उद्योग 'बागपतिया ऑयल मिल' को जनहित में बंद कराने और औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित कराए जाने के प्रार्थना पत्र पर जिला कलेक्टर को 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए है.

human rights commission
मानवाधिकार आयोग के सदस्य महेश शर्मा
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Published : Feb 15, 2021, 3:05 PM IST

जयपुर. मानवाधिकार आयोग के सदस्य महेश शर्मा ने राजेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लिया है. प्रार्थना पत्र में कहा था कि भरतपुर नगरीय क्षेत्र में स्टेशन रोड रंजीत नगर तिराहे पर स्थित गुरुनानक कॉलोनी से सटी हुई भारी उद्योग 'बागपतिया ऑयल मिल' को जनहित में बंग कराकर औद्यौगिक क्षेत्र में स्थानान्तरित किया जाए. परिवादी के इस परिवाद का ध्यानपूर्वक अवलोकन करने पर आयोग ने माना कि सर्वोच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किया गया है कि आबादी क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां नहीं चल सकती हैं.

पढ़ें : केंद्र की मोदी सरकार ने महंगाई में भी लगा दी आग: प्रताप सिंह खाचरियावास

परिवादी द्वारा जो प्रार्थना पत्र में तथ्य अंकित किए हैं, उन्हे प्रथम दृष्टया कार्यपालक दंड नायक द्वारा 133 सीआरपीसी के तहत ही कार्रवाई करनी चाहिये थी, ताकि परिवादी द्वारा मानव अधिकार आयोग में परिवाद अनावश्यक रूप से पेश नहीं किया जाता. इस प्रकार कार्यपालक दंड नायक ने कार्रवाई न करके अपने अधिकारों का सही रूप से प्रयोग नहीं किया गया है. प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि यह मिल दिन-रात 24 घंटे चलती रहती है, जिससे रंजीत नगर, गुरुनानक कॉलोनी के आवासीय मकानों में लगातार कम्पन, अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण, कर्कश शोर और मशीनों की घू-घू की असहनीय आवाज गूंजती रहती है. इससे कॉलोनी के निवासियों को खासकर के महिलाओं, वृद्ध नागरिकों व बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से वेदना सहनी पड़ती है.

खास कर बच्चों की पढ़ाई में अवरोध उत्पन्न होता है. जिससे कॉलोनी के निवासी प्रदूषित वातावरण में जीने को मजबूर है एवं उनके मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा है. इस पर आयोग ने परिवाद पर प्रसंज्ञान लिया और जिला कलेक्टर, भरतपुर को निर्देशित किया कि वह दंड प्रकिया संहिता की धारा 133 के तहत कार्रवाई करे, ताकि आमजन/कॉलोनीवासी शांतिपूर्ण एवं प्रदूषण रहित वातावरण में जीवन यापन कर सकें. प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग में 15 दिवस की अवधि में आयोग के समक्ष पेश करने के भी निर्देश दिए. इसके साथ ही अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, आयोग को निर्देशित किया जाता है कि इस परिवाद में अंकित तथ्यों के संबंध में जांच करवाकर 7 दिवस की अवधि में आयोग को अवगत कराए.

जयपुर. मानवाधिकार आयोग के सदस्य महेश शर्मा ने राजेन्द्र सिंह द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लिया है. प्रार्थना पत्र में कहा था कि भरतपुर नगरीय क्षेत्र में स्टेशन रोड रंजीत नगर तिराहे पर स्थित गुरुनानक कॉलोनी से सटी हुई भारी उद्योग 'बागपतिया ऑयल मिल' को जनहित में बंग कराकर औद्यौगिक क्षेत्र में स्थानान्तरित किया जाए. परिवादी के इस परिवाद का ध्यानपूर्वक अवलोकन करने पर आयोग ने माना कि सर्वोच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय पारित किया गया है कि आबादी क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां नहीं चल सकती हैं.

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परिवादी द्वारा जो प्रार्थना पत्र में तथ्य अंकित किए हैं, उन्हे प्रथम दृष्टया कार्यपालक दंड नायक द्वारा 133 सीआरपीसी के तहत ही कार्रवाई करनी चाहिये थी, ताकि परिवादी द्वारा मानव अधिकार आयोग में परिवाद अनावश्यक रूप से पेश नहीं किया जाता. इस प्रकार कार्यपालक दंड नायक ने कार्रवाई न करके अपने अधिकारों का सही रूप से प्रयोग नहीं किया गया है. प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि यह मिल दिन-रात 24 घंटे चलती रहती है, जिससे रंजीत नगर, गुरुनानक कॉलोनी के आवासीय मकानों में लगातार कम्पन, अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण, कर्कश शोर और मशीनों की घू-घू की असहनीय आवाज गूंजती रहती है. इससे कॉलोनी के निवासियों को खासकर के महिलाओं, वृद्ध नागरिकों व बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से वेदना सहनी पड़ती है.

खास कर बच्चों की पढ़ाई में अवरोध उत्पन्न होता है. जिससे कॉलोनी के निवासी प्रदूषित वातावरण में जीने को मजबूर है एवं उनके मानव अधिकारों का हनन किया जा रहा है. इस पर आयोग ने परिवाद पर प्रसंज्ञान लिया और जिला कलेक्टर, भरतपुर को निर्देशित किया कि वह दंड प्रकिया संहिता की धारा 133 के तहत कार्रवाई करे, ताकि आमजन/कॉलोनीवासी शांतिपूर्ण एवं प्रदूषण रहित वातावरण में जीवन यापन कर सकें. प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग में 15 दिवस की अवधि में आयोग के समक्ष पेश करने के भी निर्देश दिए. इसके साथ ही अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, आयोग को निर्देशित किया जाता है कि इस परिवाद में अंकित तथ्यों के संबंध में जांच करवाकर 7 दिवस की अवधि में आयोग को अवगत कराए.

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