जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जहां शहर वासियों के लिए आफत बन कर के आई, वही व्यापारी वर्ग भी इस आफत से अछूता नहीं रहा. संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है. ऐसे में काम धंधे पूरी तरह ठप है, हालांकि इस बार रेलवे ट्रांसपोर्टेशन नहीं रुका, लेकिन कई ट्रेनें रद्द होने और लोगों की आवाजाही बंद होने के चलते स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास के होटल, भोजनालय और ढाबों में चूल्हा नहीं जल रहा. नतीजा इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोग फिलहाल बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.
जयपुर रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड पर यात्रियों का आवागमन नहीं हो रहा, ऐसे में आसपास के होटल, रेस्टोरेंट और डाबो की आर्थिक स्थितियां बिगड़ गई है. यहा यात्रियों के भरोसे ही काम धंधा चल पाता है. बसों का संचालन बंद है, तो वही रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों का आवागमन बिल्कुल कम हो चुका है. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के आसपास करीब 700 होटल रेस्टोरेंट और ढाबे मौजूद है. लेकिन कोरोना संकट के दौर में सभी की स्थिति दयनीय बनी हुई है. स्टाफ का खर्च, बिजली और अन्य खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. यही नहीं कई होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट संचालकों को कर्ज लेने पर भी मजबूर होना पड़ रहा है.
रेलवे स्टेशन के पास बीकानेर भोजनालय संचालक श्रीराम पुरोहित ने बताया कि लॉकडाउन के चलते रेस्टोरेंट्स बंद पड़ा हुआ है. काम धंधा बंद है, लेकिन बिजली और अन्य खर्चे काफी भारी पड़ रहे हैं. स्टाफ भी लोक डाउन के चलते यही फंसा हुआ है. स्टाफ को तनख्वाह भी नहीं दे पा रहे. ऐसे संकट के समय में कर्जा लेकर खर्च चलाना पड़ रहा है. रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के पास सभी होटल्स और रेस्टोरेंट्स समेत अन्य दुकानदारों की हालत दयनीय हो गई है. स्टेशन पर यात्रियों का आवागमन भी नहीं हो रहा ऐसे में अन्य दुकानदारों के लिए भी अभी काफी मुश्किलें खड़ी हो गई है. स्टाफ के खाने-पीने का खर्च बिजली पानी समेत अन्य खर्च का भार वहन करना काफी मुश्किल हो रहा है. बिजली के बिल नियमित आ रहे हैं.
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रेस्टोरेंट कर्मचारी महेश कुमार ने बताया कि लोक डाउन होने से घर भी नहीं जा पा रहे हैं. रेस्टोरेंट मालिक की तरफ से दो वक्त की रोटी तो मिल रही है. लेकिन घर परिवार की हालत काफी खराब है. कोरोना संकट के चलते लोकडाउन होने से काम धंधे बंद है. तनख्वाह भी नहीं निकल पा रही. ऐसे में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. पहले हर महीने तनख्वाह मिलने पर घर पर खर्च के लिए रुपए भेजते थे, लेकिन अब स्थितियां खराब हो गई है.
होटल संचालक अभिजीत ने बताया कि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर यात्री नहीं आ रहे, ऐसे में होटल में भी बुकिंग नहीं हो रही है. होटल के सारे कमरे खाली पड़े हैं, स्टाफ का खर्च निकलना भी मुश्किल हो गया है. स्टाफ के खाने-पीने का खर्च बिजली पानी समेत अन्य खर्च का भार वहन करना काफी मुश्किल हो रहा है. बिजली के बिल नियमित आ रहे हैं.
होटल में बिजली की खपत भी नहीं हो रही है, लेकिन बिल एवरेज आ रहे हैं, जो कि काफी महंगा पड़ रहा है. बिल जमा कराने में देरी हो जाती है तो पेनल्टी वसूल की जाती है, ऐसे संकट के दौर में भी सरकार की ओर से कोई छूट नहीं मिल पा रही है. जमा पूंजी भी खर्च हो गई है. अब कर्ज लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. स्टाफ का खर्च काफी मुश्किल हो गया है. स्टाफ को भी कम करना पड़ रहा है. रेस्टोरेंट्स संचालक अरुण उपाध्याय ने बताया मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती जा रही है.
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लॉकडाउन के चलते स्थिति बहुत खराब हो गई है. इस बार पिछले साल की तुलना में भी ज्यादा स्थिति खराब हो गई. क्योंकि परिवहन संचालन पूरी तरह से बंद है. यात्रियों का भी आवागमन बंद पड़ा हुआ है और ग्राहक नहीं आ रहे. जिसकी वजह से स्टेशन के आसपास सभी होटल, रेस्टोरेंट में खाली पड़ी है. कई होटल्स में गेस्ट अटके हुए पड़े हैं, तो सड़कों पर बेसहारा लोगों को भी भोजन का संकट हो रहा है. ऐसे में बेसहारा और जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. रोजाना 200 से 300 लोगों को भोजन के पैकेट वितरित करते सेवा का कार्य कर रहे हैं.
आर्थिक पैकेज की मांग:
होटल व्यवसायी अभिषेक पुरोहित ने बताया कि मार्केट की स्थिति बहुत खराब चल रही है. सामान्य दिनों में रेलवे स्टेशन और सिंधी कैंप बस स्टैंड के आसपास लोगों की काफी आवाजाही रहती थी. उस समय काम धंधा भी अच्छा चल रहा था. रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास करीब 500 से 700 होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे है. पहली कमर तो पिछले लॉकडाउन में टूट गई थी. जैसे तैसे करके अपना गुजर-बसर किया. लेकिन इस बार कोरोना की दूसरी लहर के चलते लॉक डाउन होने से ज्यादा हालत खराब हो गई है.
स्टेशन रोड पर यात्रियों के आवागमन से ही धंधा चलता है. आमदनी हो नहीं रही, लेकिन पानी बिजली के बिल बराबर आ रहे हैं. समय पर बिल जमा नहीं हो तो पेनल्टी वसूल की जाती है. ऐसे संकट के समय में सरकार को आर्थिक पैकेज देकर होटल और रेस्टोरेंट संचालकों की सहायता करनी चाहिए. अभी स्थितियां यह हो रही है कि किस के आगे हाथ फैलाए और कहां से मदद की आस लगाए. काम धंधे बंद होने से मध्यमवर्गीय लोगों की ज्यादा हालत खराब हो रही है.
डेयरी संचालकों की स्थिति खराबः
रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास में कई डेयरी दुकानें भी है, जहां पर दूध, दही समय अन्य उत्पाद मिलते हैं. रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के भरोसे ही बिक्री होती है. लेकिन यात्रियों का आवागमन नहीं हो रहा. ऐसे में स्टेशन के आसपास डेयरी वालों की आर्थिक हालत भी गंभीर हो गई है. डेयरी संचालक मोहन लाल यादव ने बताया कि पहले यात्री आ रहे थे, तो धंधा भी अच्छा चल रहा था. अब यात्रियों का आवागमन बंद हो गया तो काम धंधा बिल्कुल चौपट हो चुका है.
होटल व्यवसाई राजकुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से होटल भी बंद पड़ा हुआ है. बुकिंग हो नहीं रही और खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. स्टाफ की तनख्वाह देना भी मुश्किल हो गया. बिजली का बिल भी जेब से देना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार से सहायता की उम्मीद है.