जयपुर. मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा 2022-23 में नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों का मानदेय भत्ता 20 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की थी. अब स्वायत शासन विभाग ने इस घोषणा को मूर्त रूप दे दिया (Honorarium allowance increased for councillors) है. हालांकि जनप्रतिनिधियों के लिए बढ़ाया गया मानदेय निकाय पर ही आर्थिक भार बढ़ाएगा. विभागीय अधिसूचना में टेलीफोन भत्ता, स्टेशनरी भत्ता, वाहन भत्ता और बैठक में भाग लेने का पारिश्रमिक का भुगतान नगरीय निकायों को स्वयं की अर्जित आय से करने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि अभी बोर्ड अध्यक्ष के मानदेय भत्ते को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
राज्य की शहरी सरकारों के जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार मानदेय भत्ते बढ़ाने की मांग उठाई जा रही थी. इसे लेकर विभाग की ओर से मंत्री को एक प्रस्ताव भी भेजा गया था. प्रस्ताव में पार्षदों के वाहन, मोबाइल, स्टेशनरी भत्ते के अलावा बोर्ड बैठक के लिए पारिश्रमिक बढ़ोत्तरी और बोर्ड अध्यक्ष (महापौर, सभापति) का मानदेय बढ़ाने की जरूरत जताई गई (Honorarium allowances to councillors in Rajasthan) थी. चूंकि नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति पहले ही अच्छी नहीं, ऐसे में और ज्यादा आर्थिक बोझ बढ़ने से स्थिति खराब होने को मद्देनजर रखते हुए प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.
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इस बजट में राज्य सरकार ने नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों को भी खुश करने की कोशिश की. सीएम ने अपने बजट भाषण में प्रदेश में जमीनी स्तर पर सभी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ आम आदमी के सुख-दुख का ध्यान रखने में नगरीय निकायों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की महती भूमिका बताई थी. साथ ही उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में आसानी हो, इस दृष्टि से उनके मानदेय/भत्तों में 20 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की थी. जिसे मूर्त रूप देते हुए अब स्वायत्त शासन विभाग ने नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के जनप्रतिनिधियों का भत्ता बढ़ाने की अधिसूचना जारी की. अब तक नगर निगम में पार्षदों को 3750 रुपए का भत्ता मिला करता था, जो अब बढ़कर 4500 रुपए कर दिया गया है. वहीं नगर परिषद के सदस्यों को 2496 की जगह 3120 रुपए और नगरपालिका के सदस्यों को 1776 की बजाए अब 2220 रुपए भत्ता मिलेगा.
निकायों की श्रेणी | टेलीफोन भत्ता | स्टेशनरी भत्ता | वाहन भत्ता | बैठक में भाग लेने पर पारिश्रमिक |
नगर निगम | 1800 | 900 | 1800 | 720 प्रति बैठक, अधिकतम 2160 प्रतिमाह |
नगर परिषद | 1200 | 720 | 1200 | 600 प्रति बैठक, अधिकतम 1800 प्रतिमाह |
नगर पालिका | 720 | 600 | 900 | 480 प्रति बैठक, अधिकतम 1440 प्रतिमाह |