जयपुर: आमेर महल में स्थित वॉच टावर सोशल मीडिया पर सेल्फी डालने के शौकीन युवाओं में लोकप्रिय है. इन वॉच टावर को प्री वेडिंग शूट, टेलीविजन पर आने वाले धारावाहिक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर काफी देखा गया है.
जयपुर से जुड़े इतिहास के जानकारों के मुताबिक राजा मानसिंह के समय में अरावली की पहाड़ियों पर इस तरह के वॉच टावर बनाए गए थे. जयपुर और दिल्ली के बीच संपर्क साधने के लिए संदेश भेजने में इनका इस्तेमाल होता था.
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वॉच टावर ऊंचाई पर होने के कारण दुश्मन की गतिविधियों को दूर से भांपने में मददगार साबित होते थे. आमेर महल के चारों तरफ की पहाड़ियों पर इस तरह के वॉच टावर बने हुए हैं. रविवार को यहां बिजली गिरने से हादसा हुआ. जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई. हादसे वाली जगह पर मौजूद वॉच टावर से आमेर का मावठा, आमेर महल, केसर क्यारी जैसे विहंगम दृश्य खूबसूरती से कैमरे पर उतारे जा सकते हैं. इस वजह से यहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है.हादसे वाली शाम को भी पहाड़ों पर चढ़कर बादलों की ओट में छुपे आमेर महल को खुद की तस्वीर के साथ कैमरे में कैद करने की ख्वाहिश में 50 के करीब लोगों ने यहां अपनी मौजूदगी बनाई हुई थी.
अंधेरा होने के बावजूद आमेर महल पर होने वाली रोशनी का आकर्षक नजारा अपने कैमरे में कैद करने के लिए लोग पहुंचे थे. लेकिन तभी बारिश शुरू हो गई. बुर्ज के अहाते में बारिश से बचने के चक्कर में लोग बड़ी संख्या में जमा हो गए. तभी आकाशीय बिजली गिर गई और हादसा हो गया.
इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि जयपुर नगरीय स्थापत्य व्यवस्था में वॉच टावर के माध्यम से संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता था. पुराने समय में यह छतरियां कहलाती थी. पहाड़ियों पर इनके रास्ते बने हुए हैं. आमेर में जब सूसावतन मीणाओं का राज था, उस समय यहां पर नगाड़े रखे हुए थे. जब कभी किसी पर अटैक होता था तो इन नगाड़ों को बजा कर दूसरी तरफ सूचना पहुंचाई जाती थी. उस समय के कुछ नगाड़े जयगढ़ में भी रखे हुए हैं. मुख्य रूप से इनका उद्देश्य संदेश पहुंचाना था.
सामरिक दृष्टि से इनका काफी महत्व था. यदि आम तौर पर कोई आक्रमण हो रहा है तो उसकी भनक तुरंत लग जाती थी. वॉच टावर निगरानी के लिए बनते थे. इन वॉच टावर यानी छतरियों में सैनिक तैनात रहते थे. वॉच टावर पर सैनिक पहरा देते हुए आने जाने वाले लोगों पर निगरानी रखते थे.
टूरिस्ट गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि वॉच टावरों का इतिहास 450 साल पुराना है. आमेर महल को जब बनाया गया था तो सुरक्षा की दृष्टि से वॉच टावर बनाए गए थे. आमेर महल चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ है. आमेर महल के चारों तरफ 7 वॉच टावर बने हुए हैं. यह 7 किलोमीटर का एरिया है. इसकी कनेक्टिविटी जयगढ़ फोर्ट (Jaigarh Fort) से शुरू होती है और जयगढ़ पर ही खत्म होती है.
जयगढ़ किले पर सेना रहती थी. आमेर महल में राजा रहते थे. जयगढ़ किले पर सेना को मैसेज देने के लिए वॉच टावर का निर्माण किया गया था. वॉच टावर पर 24 घंटे सैनिक पहरा देते थे.
किसी भी दुश्मन की गतिविधि को लेकर नगाड़ा बजाकर मैसेज दिया जाता था. दिन में नगाड़ा बजाकर और रात को मशाल जलाकर संदेश दिया जाता था. जब दुश्मन ज्यादा नजदीक आ जाता था, तो मिरर का रिफ्लेक्ट देकर संदेश दिया जाता था.
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वॉच टावर से आमेर महल का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. यहां पर लोग फोटो वीडियो बनाने के लिए पहुंचते हैं. रविवार को भी इसी तरह लोग सुहाने मौसम का लुत्फ उठाने और फोटो वीडियो शूट करने के लिए पहुंचे थे कि अचानक बिजली गिरने से हादसा हो गया. आजकल लोग सोशल मीडिया के लिए फोटो वीडियो शूट करने के लिए भी ऐसी जगह को पसंद करते हैं.
सुरक्षा के लिहाज से बनाए गए वॉच टावर पर्यटकों के लिए असुरक्षित बन गए हैं. रविवार को आकाशीय बिजली गिरने से बड़ा हादसा हुआ है. इसी तरह रोजाना यहां पर हादसा होने की आशंका बनी रहती है, क्योंकि वॉच टावर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जो नीचे से करीब 2000 फीट की ऊंचाई पर है. ऐसे में लोग फोटो वीडियो बनाने के लिए उनकी दीवारों पर चढ़ जाते हैं, जिससे हादसे का डर रहता है.