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हल्दीघाटी में बदलेगा महाराणा प्रताप का  इतिहास, कांग्रेस की आपत्ति, बीजेपी ने किया स्वागत

भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से रक्त तलाई स्मारक हटाने को लेकर दिए आदेश पर राजस्थान की राजनीति में महाराणा प्रताप केंद्र बिंदु बन गए हैं. बीडी कल्ला ने स्मारक पत्थर को हटाने पर आपत्ति दर्ज कराई है. वहीं, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने ASI के फैसले का स्वागत किया है.

महाराणा प्रताप का इतिहास बदलेगा, Maharana Pratap Controversy
महाराणा प्रताप का इतिहास बदलेगा
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Published : Jul 16, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 1:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान की राजनीति में महाराणा प्रताप और अकबर अक्सर एक राजनीतिक मुद्दा बनते रहते हैं. हल्दी घाटी युद्ध जो 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ा गया था, इस युद्ध के परिणाम के तौर पर इतिहास में यह पढ़ाया जाता है कि हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था. यही बात हल्दी घाटी में लगे रक्त तलाई के स्मारक में भी लिखी है, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व विभागन ने अपनी स्टेट यूनिट को निर्देश दिए हैं कि रक्त तलाई के बारे में जानकारी देने वाले स्मारक से उस पत्थर को हटाया जाए, जिसमें महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटने की बात कही गई है.

दरअसल, भले ही यह निर्णय केंद्र सरकार की ओर से लिया गया हो, लेकिन इसका असर अब राजस्थान की राजनीति में शुरू हो गया है. कांग्रेस ने भारतीय पुरात्व विभाग के स्मारक पत्थर को हटाने पर आपत्ति दर्ज की है. इस मामले में बोलते हुए राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. कल्ला ने कहा कि इतिहास के अवशेषों को वैसे ही रखना चाहिए, उन्हें हटाना नहीं चाहिए.

हल्दीघाटी में बदलेगा महाराणा प्रताप का इतिहास

कल्ला ने कहा कि रक्त तलाई का मकसद यह है कि महाराणा प्रताप कि सेना और मेवाड़ के लोगों ने स्वाभिमान के लिए लड़ते-लड़ते अपने प्राण न्योछावर किए और इतना रक्त बहा किए रक्त तलाई बन गई. यह एक ऐतिहासिक स्थल है उसको मिटाना नहीं चाहिए.

यह भी पढ़ेंः हल्दीघाटी की विवादास्पद पट्टिकाओं को हटाएगा एएसआई

वहीं, राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भरतीय पुरातत्व विभाग के इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा की हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने जीत दर्ज की थी, जिसके बारे में मैंने विधानसभा में भी तथ्यों के साथ बात रखी थी. अब आर्कियोलॉजी ऑफ इंडिया ने भी इसपर मुहर लगा दी है.

देवनानी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा राजस्थान के इतिहास के साथ खेलती रही है. वह कभी नहीं चाहती कि राजस्थान के नव युवकों को इतिहास पर गर्व की अनुभूति हो, वह हमेशा अकबर महान जैसे पाठ पढ़ाना चाहते हैं. कांग्रेस की नीति हमेशा तुष्टीकरण की रही है, अब तो कम से कम कांग्रेस को सद्बुद्धि आए और वह ऐतिहासिक तथ्यों को स्वीकार करे, जो आर्कोलॉजी ऑफ इंडिया ने भी स्वीकार किए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री को भी यह स्वीकार करना चाहिए कि महाराणा प्रताप हल्दीघाटी युद्ध जीते थे और वही किताबों में भी पढ़ाना चाहिए.

दरअसल, राजपूत संगठनों की ओर से तो यह स्मारक हटाने की मांग की जाती रही है, इसके साथ ही राजस्थान के राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने भी 25 जून को केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से इसमें सुधार करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने गलत तथ्यों वाले स्मारक को हटाने की बात भी कही थी और यह तथ्य कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए लिखवाने की बात भी कही थी.

यह भी पढ़ेंः मोदी सरकार कुछ भी कर ले, अब जनता सब समझ चुकी है...अगले चुनाव में सूपड़ा साफ करेगी : गोविंद डोटासरा

इस मामले में राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि दीया कुमारी को इतिहास का ज्ञान नहीं है, उन्हें ज्यादा बड़ी बात नहीं बोलनी चाहिए. इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे कांग्रेस नेताओं ने हमेशा महाराणा प्रताप और ऐतिहासिक लोगों का सम्मान किया. खाचरियावास ने कहा कि भाजपा केवल राजनीति करने के लिए बार-बार इस मुद्दे को उठाती है, जबकि पूजा हमेशा महाराणा प्रताप के सिद्धांतों की होती है ना की हल्दी घाटी के युद्ध के परिणाम की. भाजपा हो या कांग्रेस इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. महाराणा प्रताप देश के गौरव थे और किसी भी पार्टी के राजनीति से ऊपर हैं.

जयपुर. राजस्थान की राजनीति में महाराणा प्रताप और अकबर अक्सर एक राजनीतिक मुद्दा बनते रहते हैं. हल्दी घाटी युद्ध जो 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप और अकबर के बीच लड़ा गया था, इस युद्ध के परिणाम के तौर पर इतिहास में यह पढ़ाया जाता है कि हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था. यही बात हल्दी घाटी में लगे रक्त तलाई के स्मारक में भी लिखी है, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व विभागन ने अपनी स्टेट यूनिट को निर्देश दिए हैं कि रक्त तलाई के बारे में जानकारी देने वाले स्मारक से उस पत्थर को हटाया जाए, जिसमें महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटने की बात कही गई है.

दरअसल, भले ही यह निर्णय केंद्र सरकार की ओर से लिया गया हो, लेकिन इसका असर अब राजस्थान की राजनीति में शुरू हो गया है. कांग्रेस ने भारतीय पुरात्व विभाग के स्मारक पत्थर को हटाने पर आपत्ति दर्ज की है. इस मामले में बोलते हुए राजस्थान के कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. कल्ला ने कहा कि इतिहास के अवशेषों को वैसे ही रखना चाहिए, उन्हें हटाना नहीं चाहिए.

हल्दीघाटी में बदलेगा महाराणा प्रताप का इतिहास

कल्ला ने कहा कि रक्त तलाई का मकसद यह है कि महाराणा प्रताप कि सेना और मेवाड़ के लोगों ने स्वाभिमान के लिए लड़ते-लड़ते अपने प्राण न्योछावर किए और इतना रक्त बहा किए रक्त तलाई बन गई. यह एक ऐतिहासिक स्थल है उसको मिटाना नहीं चाहिए.

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वहीं, राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भरतीय पुरातत्व विभाग के इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा की हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने जीत दर्ज की थी, जिसके बारे में मैंने विधानसभा में भी तथ्यों के साथ बात रखी थी. अब आर्कियोलॉजी ऑफ इंडिया ने भी इसपर मुहर लगा दी है.

देवनानी ने कहा कि कांग्रेस हमेशा राजस्थान के इतिहास के साथ खेलती रही है. वह कभी नहीं चाहती कि राजस्थान के नव युवकों को इतिहास पर गर्व की अनुभूति हो, वह हमेशा अकबर महान जैसे पाठ पढ़ाना चाहते हैं. कांग्रेस की नीति हमेशा तुष्टीकरण की रही है, अब तो कम से कम कांग्रेस को सद्बुद्धि आए और वह ऐतिहासिक तथ्यों को स्वीकार करे, जो आर्कोलॉजी ऑफ इंडिया ने भी स्वीकार किए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री को भी यह स्वीकार करना चाहिए कि महाराणा प्रताप हल्दीघाटी युद्ध जीते थे और वही किताबों में भी पढ़ाना चाहिए.

दरअसल, राजपूत संगठनों की ओर से तो यह स्मारक हटाने की मांग की जाती रही है, इसके साथ ही राजस्थान के राजसमंद से सांसद दीया कुमारी ने भी 25 जून को केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से इसमें सुधार करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने गलत तथ्यों वाले स्मारक को हटाने की बात भी कही थी और यह तथ्य कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए लिखवाने की बात भी कही थी.

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इस मामले में राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि दीया कुमारी को इतिहास का ज्ञान नहीं है, उन्हें ज्यादा बड़ी बात नहीं बोलनी चाहिए. इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे कांग्रेस नेताओं ने हमेशा महाराणा प्रताप और ऐतिहासिक लोगों का सम्मान किया. खाचरियावास ने कहा कि भाजपा केवल राजनीति करने के लिए बार-बार इस मुद्दे को उठाती है, जबकि पूजा हमेशा महाराणा प्रताप के सिद्धांतों की होती है ना की हल्दी घाटी के युद्ध के परिणाम की. भाजपा हो या कांग्रेस इस पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए. महाराणा प्रताप देश के गौरव थे और किसी भी पार्टी के राजनीति से ऊपर हैं.

Last Updated : Jun 29, 2022, 1:03 PM IST
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