ETV Bharat / city

आज नहीं, 200 साल से टिड्डी दल है किसानों का दुश्मन...जानें क्या है इनका इतिहास - टिड्डी कहानी बाइबल

कोरोना काल में टिड्डी दलों ने हमला कर पूरे उत्तर भारत में खौफ भर दिया है. पाकिस्तान की ओर से राजस्थान में प्रवेश करने के बाद अब ये टिड्डी दल राजस्थान की राजधानी जयपुर से होते हुए हरियाणा में प्रवेश कर गए हैं और फसलों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये टिड्डी दल आज से नहीं दो सौ सालों से इंसानी बस्तियों पर हमला करते रहे हैं.

types of locust, information quran, history story locust
इंसानी बस्ती पर टिड्डियों का हमला
author img

By

Published : Jun 5, 2020, 7:20 AM IST

Updated : Jun 5, 2020, 9:23 AM IST

सिरसा/जयपुर. किसानों के लिए टिड्डी दल बड़ा खतरा बन कर उभरा है. करोड़ों की संख्या में उड़ने वाले ये टिड्डे जहां भी जाते हैं, वहां के खेत-खलिहानों में तबाही ला देते हैं. आज पूरा उत्तर भारत इस टिड्डी दल से खौफ में है, लेकिन आपको बता दें कि ये खतरा कोई नया नहीं है, करीब दो सौ सालों से पहले से भी ये टिड्डी दल समय-समय पर हमला कर खेत खलिहानों को बर्बाद करते आए हैं

इंसानी बस्ती पर टिड्डियों का हमला

टिड्डी चेतावनी संगठन के मुताबिक ऐतिहासिक रूप से रेगिस्तानी टिड्डी हमेशा से ही मानव कल्याण की दृष्टि से बड़ा खतरा रही है. प्राचीन ग्रंथ बाइबल और पवित्र कुरान में रेगिस्तानी टिड्डी को मनुष्यों के लिए अभिशाप के रूप में माना गया है. टिड्डों की तरफ से किए गए नुकसान का दायरा इतना बड़ा है जो कल्पना से भी परे है, क्योंकि इनकी बहुत अधिक खाने की क्षमता के कारण भुखमरी तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

जहां जाते है विनाश करते हैं!

औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.

कितनी तरह की होती हैं टिड्डियां?

भारतीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार टिड्डी कई प्रकार की होती है. रेगिस्तानी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी, दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, आस्टे्रलियन टिड्डी एवं वृक्ष टिड्डी प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं.

दो सौ सालों से पहले भी टिड्डी दल कर रहा है हमला

इससे पहले भी देश में टिड्डी दल के हमले हो चुके हैं. आखिरी बार साल 1993 में टिड्डी दल का हमला हुआ था जबकि इसी साल फरवरी माह में भी पंजाब और राजस्थान के कुछ इलाकों में टिड्डी दल के आने को लेकर अलर्ट जारी हुए था. टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार 1812-1821, 1843-1844, 1863-1867, 1869-1873, 1876-1881, 1889-1889, 1900-1907, 1912-1920 1926 से 1931, 1942 से लेकर 1946 और 1949 से लेकर 1952 तक टिड्डी दलों के आक्रमणों से फसलों को नुक्सान पहुंचा था.

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम में कोरोना संक्रमण ने तोड़ा रिकॉर्ड, एक दिन में 160 नए मामले

साल 1993 में टिड्डी दल ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया. उस समय टिड्डियों के 172 झुंडों ने हमला किया था. वहीं 1983 में 26, 1986 में 13, 1989 में 15 दलों ने आक्रमण किया. टिड्डी दल पर अब तक हुए शोध पर नजर डालें तो टिड्डी की उम्र सिर्फ 90 दिन होती है. एक टिड्डी एक दिन में स्वयं के वजन के बराबर खाना खाती है. यह हवा में 5 हजार फुट तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है. एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक दल 740 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो सकता है. इनसे दुनिया के करीब 60 देश प्रभावित हैं.

अगला निशाना हरियाणा!

टिड्डी दल हरियाणा के नजदीक पहुंच गया है. राजस्थान के साथ लगते सिरसा जिला से टिड्डी दल अब कुछ किलोमीटर की दूरी पर है. हालांकि हवा के रुख के हिसाब से टिड्डी दल अपने मुवमेंट करता है. ऐसे में जल्द से जल्द कोई कारगर कदम उठाने चाहिए, वरना कहीं ये टिड्डी इस कोरोना काल में उत्तर भारत के राज्यों में खाद्यानों की समस्या ना पैदा कर दें.

सिरसा/जयपुर. किसानों के लिए टिड्डी दल बड़ा खतरा बन कर उभरा है. करोड़ों की संख्या में उड़ने वाले ये टिड्डे जहां भी जाते हैं, वहां के खेत-खलिहानों में तबाही ला देते हैं. आज पूरा उत्तर भारत इस टिड्डी दल से खौफ में है, लेकिन आपको बता दें कि ये खतरा कोई नया नहीं है, करीब दो सौ सालों से पहले से भी ये टिड्डी दल समय-समय पर हमला कर खेत खलिहानों को बर्बाद करते आए हैं

इंसानी बस्ती पर टिड्डियों का हमला

टिड्डी चेतावनी संगठन के मुताबिक ऐतिहासिक रूप से रेगिस्तानी टिड्डी हमेशा से ही मानव कल्याण की दृष्टि से बड़ा खतरा रही है. प्राचीन ग्रंथ बाइबल और पवित्र कुरान में रेगिस्तानी टिड्डी को मनुष्यों के लिए अभिशाप के रूप में माना गया है. टिड्डों की तरफ से किए गए नुकसान का दायरा इतना बड़ा है जो कल्पना से भी परे है, क्योंकि इनकी बहुत अधिक खाने की क्षमता के कारण भुखमरी तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

जहां जाते है विनाश करते हैं!

औसत रूप से एक छोटे टिड्डी का झुंड एक दिन में इतना खाना खा जाता है, जितना दस हाथी, 25 ऊंट या 2500 व्यक्ति खा सकते हैं. टिड्डियां पत्ते, फूल, फल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को भी खा जाते हैं और जब ये समूह में पेड़ों पर बैठती हैं तो इनके भार से पेड़ तक टूट जाते हैं.

कितनी तरह की होती हैं टिड्डियां?

भारतीय टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार टिड्डी कई प्रकार की होती है. रेगिस्तानी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, इटेलियन टिड्डी, मोरक्को टिड्डी, लाल टिड्डी, भूरी टिड्डी, दक्षिणी अमेरिकन टिड्डी, आस्टे्रलियन टिड्डी एवं वृक्ष टिड्डी प्रमुख प्रजातियां शामिल हैं.

दो सौ सालों से पहले भी टिड्डी दल कर रहा है हमला

इससे पहले भी देश में टिड्डी दल के हमले हो चुके हैं. आखिरी बार साल 1993 में टिड्डी दल का हमला हुआ था जबकि इसी साल फरवरी माह में भी पंजाब और राजस्थान के कुछ इलाकों में टिड्डी दल के आने को लेकर अलर्ट जारी हुए था. टिड्डी चेतावनी संगठन के अनुसार 1812-1821, 1843-1844, 1863-1867, 1869-1873, 1876-1881, 1889-1889, 1900-1907, 1912-1920 1926 से 1931, 1942 से लेकर 1946 और 1949 से लेकर 1952 तक टिड्डी दलों के आक्रमणों से फसलों को नुक्सान पहुंचा था.

ये भी पढ़ें- गुरुग्राम में कोरोना संक्रमण ने तोड़ा रिकॉर्ड, एक दिन में 160 नए मामले

साल 1993 में टिड्डी दल ने सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया. उस समय टिड्डियों के 172 झुंडों ने हमला किया था. वहीं 1983 में 26, 1986 में 13, 1989 में 15 दलों ने आक्रमण किया. टिड्डी दल पर अब तक हुए शोध पर नजर डालें तो टिड्डी की उम्र सिर्फ 90 दिन होती है. एक टिड्डी एक दिन में स्वयं के वजन के बराबर खाना खाती है. यह हवा में 5 हजार फुट तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है. एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक दल 740 वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो सकता है. इनसे दुनिया के करीब 60 देश प्रभावित हैं.

अगला निशाना हरियाणा!

टिड्डी दल हरियाणा के नजदीक पहुंच गया है. राजस्थान के साथ लगते सिरसा जिला से टिड्डी दल अब कुछ किलोमीटर की दूरी पर है. हालांकि हवा के रुख के हिसाब से टिड्डी दल अपने मुवमेंट करता है. ऐसे में जल्द से जल्द कोई कारगर कदम उठाने चाहिए, वरना कहीं ये टिड्डी इस कोरोना काल में उत्तर भारत के राज्यों में खाद्यानों की समस्या ना पैदा कर दें.

Last Updated : Jun 5, 2020, 9:23 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.