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Battle between Maharana Pratap and Akbar: 'ना धार्मिक युद्ध ना सत्ता का संघर्ष, महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई थी स्वाभिमान की लड़ाई' - महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध को (Battle between Maharana Pratap and Akbar) लेकर प्रदेश में नई राजनीतिक बहस सी छिड़ गई है. इसकी शुरूआत कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने की. अब हर नेता इस मामले में अपनी बात रख रहे हैं. ऐसे में इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत का कहना है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ना तो धार्मिक युद्ध हुआ ना सत्ता का संघर्ष, बल्कि ये स्वाभिमान की लड़ाई थी.

Battle between Maharana Pratap and Akbar
महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध
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Published : Feb 19, 2022, 4:55 PM IST

Updated : Feb 19, 2022, 11:11 PM IST

जयपुर. प्रदेश में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच में लड़ाई को सत्ता का संघर्ष बताकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Dotasra remark on Maharana Pratap) ने नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है. इसमें राजनेताओं के बीच शब्द बाण (Politics on Maharana Pratap and Akbar in Rajasthan) चल रहे हैं. हालांकि इस बहस के बीच ईटीवी भारत ने इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ना तो धार्मिक युद्ध हुआ ना सत्ता का संघर्ष, बल्कि ये स्वाभिमान की लड़ाई थी.

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने (historian view on battle between Maharana Pratap and Akbar) स्पष्ट किया कि महाराणा प्रताप के प्रमुख सेनापति हकीम खां सूर थे, जो मुसलमान थे. वहीं अकबर के सेनापति मिर्जा राजा मानसिंह थे, जो हिंदू थे. ऐसे में ये धार्मिक युद्ध तो कतई नहीं था और जहां तक सत्ता के संघर्ष की बात है, तो दिल्ली में अकबर के पास सत्ता थी, जबकि महाराणा प्रताप की मेवाड़ में अपनी सत्ता थी. राणा प्रताप ने सत्ता प्राप्ति के लिए कभी भी मेवाड़ से बाहर निकल कर दिल्ली पर अटैक नहीं किया. जो भी किया वो स्वाभिमान की रक्षा के लिए किया. इतिहास में इसके साक्ष्य मिलते हैं और इतिहासकारों ने इसकी विवेचना भी की है. महाराणा प्रताप की स्पष्ट सोच थी कि वो किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करेंगे.

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध

पढ़ें: Dotasra Controversial Statement : कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने महाराणा प्रताप और अकबर की लड़ाई को बताया सत्ता का संघर्ष, भाजपा नेताओं का पलटवार

देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि इसके पीछे राजनीतिक कारण भी थे. मुगलों का व्यापारिक मार्ग मेवाड़ से होकर गुजरता था. अकबर इस पॉलिसी पर काम करता था कि व्यापारिक मार्ग को सुलभ और सुचारू किया जाए. जब तक उस क्षेत्र का शासक उसके अधीन नहीं आता, तब तक वो व्यापारिक मार्ग बाधित ही माना जाता था. वहीं अकबर की ये भी समझ थी कि जब तक राजपूत के साथ नहीं आएंगे, तब तक उसका साम्राज्य सुरक्षित नहीं हो सकता.

पढ़ें: Mahesh Joshi On BJP: डोटासरा के महाराणा प्रताप वाले बयान का जोशी ने किया बचाव, बोले- भाजपा नेता मुद्दे पर ऐसे लपकते हैं जैसे जयपुर के गाइड पर्यटकों पर

भगत ने अंग्रेज लेखकों की ओर से लिखी गई किताबों में महाराणा प्रताप और अकबर के लिए अतिशयोक्ति पूर्ण बातें लिखी जाने की बात कही. विंसेंट स्मिथ ने अकबर को महान कहा, तो कर्नल टॉड ने महाराणा प्रताप को हिंदुवा सूरज कहा. अंग्रेजी लेखकों ने खुद कुछ कहानियां गढ़ी. हालांकि इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि राणा प्रताप ने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी. उन्होंने अकबर की अधीनता कभी स्वीकार नहीं की और ना ही अधीनता की शर्तें रोटी बेटी का संबंध स्वीकार किया.

पढ़ें: 'डोटासरा का बयान दुर्भाग्यपूर्ण'...गिरिराज सिंह बोले- अकबर लुटेरा था, जबकि महाराणा प्रताप देश के गौरव

वर्तमान में राजनेता महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध को राजनीतिक या धार्मिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. भगत ने इसे गलत नजरिया बताते हुए कहा कि ये राजनेता इतिहासकार नहीं, बल्कि अपनी बातों को कट पेस्ट करते हैं और अपनी पार्टी की विचारधारा को सर्वोपरि रखने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि ऐसी कोई बात नहीं थी, लेकिन फिलहाल प्रदेश में इस मसले पर राजनीतिक संघर्ष चल रहा है. जिसे वोट बैंक की राजनीति बताया जा रहा है.

जयपुर. प्रदेश में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच में लड़ाई को सत्ता का संघर्ष बताकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Dotasra remark on Maharana Pratap) ने नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है. इसमें राजनेताओं के बीच शब्द बाण (Politics on Maharana Pratap and Akbar in Rajasthan) चल रहे हैं. हालांकि इस बहस के बीच ईटीवी भारत ने इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत से बातचीत की. उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ना तो धार्मिक युद्ध हुआ ना सत्ता का संघर्ष, बल्कि ये स्वाभिमान की लड़ाई थी.

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने (historian view on battle between Maharana Pratap and Akbar) स्पष्ट किया कि महाराणा प्रताप के प्रमुख सेनापति हकीम खां सूर थे, जो मुसलमान थे. वहीं अकबर के सेनापति मिर्जा राजा मानसिंह थे, जो हिंदू थे. ऐसे में ये धार्मिक युद्ध तो कतई नहीं था और जहां तक सत्ता के संघर्ष की बात है, तो दिल्ली में अकबर के पास सत्ता थी, जबकि महाराणा प्रताप की मेवाड़ में अपनी सत्ता थी. राणा प्रताप ने सत्ता प्राप्ति के लिए कभी भी मेवाड़ से बाहर निकल कर दिल्ली पर अटैक नहीं किया. जो भी किया वो स्वाभिमान की रक्षा के लिए किया. इतिहास में इसके साक्ष्य मिलते हैं और इतिहासकारों ने इसकी विवेचना भी की है. महाराणा प्रताप की स्पष्ट सोच थी कि वो किसी की अधीनता स्वीकार नहीं करेंगे.

महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध

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देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि इसके पीछे राजनीतिक कारण भी थे. मुगलों का व्यापारिक मार्ग मेवाड़ से होकर गुजरता था. अकबर इस पॉलिसी पर काम करता था कि व्यापारिक मार्ग को सुलभ और सुचारू किया जाए. जब तक उस क्षेत्र का शासक उसके अधीन नहीं आता, तब तक वो व्यापारिक मार्ग बाधित ही माना जाता था. वहीं अकबर की ये भी समझ थी कि जब तक राजपूत के साथ नहीं आएंगे, तब तक उसका साम्राज्य सुरक्षित नहीं हो सकता.

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भगत ने अंग्रेज लेखकों की ओर से लिखी गई किताबों में महाराणा प्रताप और अकबर के लिए अतिशयोक्ति पूर्ण बातें लिखी जाने की बात कही. विंसेंट स्मिथ ने अकबर को महान कहा, तो कर्नल टॉड ने महाराणा प्रताप को हिंदुवा सूरज कहा. अंग्रेजी लेखकों ने खुद कुछ कहानियां गढ़ी. हालांकि इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि राणा प्रताप ने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी. उन्होंने अकबर की अधीनता कभी स्वीकार नहीं की और ना ही अधीनता की शर्तें रोटी बेटी का संबंध स्वीकार किया.

पढ़ें: 'डोटासरा का बयान दुर्भाग्यपूर्ण'...गिरिराज सिंह बोले- अकबर लुटेरा था, जबकि महाराणा प्रताप देश के गौरव

वर्तमान में राजनेता महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध को राजनीतिक या धार्मिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. भगत ने इसे गलत नजरिया बताते हुए कहा कि ये राजनेता इतिहासकार नहीं, बल्कि अपनी बातों को कट पेस्ट करते हैं और अपनी पार्टी की विचारधारा को सर्वोपरि रखने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि ऐसी कोई बात नहीं थी, लेकिन फिलहाल प्रदेश में इस मसले पर राजनीतिक संघर्ष चल रहा है. जिसे वोट बैंक की राजनीति बताया जा रहा है.

Last Updated : Feb 19, 2022, 11:11 PM IST
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