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अयोग्य व्यक्ति को सहायक औषधि नियंत्रक बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुभव नहीं होने के बाद भी सहायक औषधि नियंत्रक को औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नत करने पर प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, उप सचिव और पदोन्नत किए गए अधिकारी राजाराम शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जवाब दो सरकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया.

Rajasthan highcourt,  Case of promotion to the post of Drug Controller
नियमों के विरुद्ध औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नति का मामला
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Published : Sep 2, 2020, 7:19 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुभव नहीं होने के बाद भी सहायक औषधि नियंत्रक को औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नत करने पर प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, उप सचिव और पदोन्नत किए गए अधिकारी राजाराम शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश जवाब दो सरकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

जवाब दो सरकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया फैसला

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट: सामान्य वर्ग में चयन तो मंडल आवंटन में आरक्षण क्यों?

याचिका में अधिवक्ता आदित्य जैन ने अदालत को बताया कि राजाराम शर्मा की औषधि निरीक्षक के पद पर वर्ष 1995 में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति हुई थी. वहीं, मामले में वर्ष 2012 में विभागीय जांच की गई. इसी बीच राजाराम शर्मा की निजी पत्रावली गुम होने को लेकर विभाग ने FIR भी दर्ज कराई.

याचिका में कहा गया कि राजाराम शर्मा को अगस्त 2014 में सहायक औषधि नियंत्रक बनाया गया. इसके बाद फरवरी 2017 में शर्मा को वरिष्ठता कम मेरिट के आधार पर औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नत कर दिया गया. राजस्थान स्वास्थ्य सेवा नियम, 1963 के तहत पदोन्नति के लिए संबंधित पद का 5 साल का अनुभव जरूरी है. इसके बावजूद शर्मा को नियमों के विपरीत जाकर ढ़ाई साल का अनुभव होने पर भी पदोन्नति दे दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुभव नहीं होने के बाद भी सहायक औषधि नियंत्रक को औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नत करने पर प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, उप सचिव और पदोन्नत किए गए अधिकारी राजाराम शर्मा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश जवाब दो सरकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

जवाब दो सरकार संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने दिया फैसला

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याचिका में अधिवक्ता आदित्य जैन ने अदालत को बताया कि राजाराम शर्मा की औषधि निरीक्षक के पद पर वर्ष 1995 में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति हुई थी. वहीं, मामले में वर्ष 2012 में विभागीय जांच की गई. इसी बीच राजाराम शर्मा की निजी पत्रावली गुम होने को लेकर विभाग ने FIR भी दर्ज कराई.

याचिका में कहा गया कि राजाराम शर्मा को अगस्त 2014 में सहायक औषधि नियंत्रक बनाया गया. इसके बाद फरवरी 2017 में शर्मा को वरिष्ठता कम मेरिट के आधार पर औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नत कर दिया गया. राजस्थान स्वास्थ्य सेवा नियम, 1963 के तहत पदोन्नति के लिए संबंधित पद का 5 साल का अनुभव जरूरी है. इसके बावजूद शर्मा को नियमों के विपरीत जाकर ढ़ाई साल का अनुभव होने पर भी पदोन्नति दे दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है.

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