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राजस्थान हाईकोर्ट: वरिष्ठ अध्यापकों को वरिष्ठता और नोशनल परिलाभ अदा करने के आदेश - notional benefits to senior teachers

राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2016 में बाद में चयनित अध्यापकों को पूर्व में चयनित अध्यापकों के समान वरिष्ठता देने के साथ ही नोशनल परिलाभ अदा करने को कहा है. न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह आदेश महेश चंद्र व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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वरिष्ठ अध्यापकों को वरिष्ठता और नोशनल परिलाभ अदा करने के आदेश
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Published : Sep 5, 2020, 7:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2016 में बाद में चयनित अध्यापकों को पूर्व में चयनित अध्यापकों के समान वरिष्ठता देने के साथ ही नोशनल परिलाभ अदा करने को कहा है. न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह आदेश महेश चंद्र व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 13 जुलाई 2016 को हिंदी, उर्दू और संस्कृत सहित आठ विषयों के शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. सभी विषयों में सामाजिक विज्ञान का प्रश्न पत्र सामान रखा गया और परीक्षा भी एक ही दिन आयोजित की गई. वहीं, आयोग ने कुछ विषय के अभ्यर्थियों को 20 अप्रैल 2018 को नियुक्ति दे दी. जबकि याचिकाकर्ताओं को 27 सितंबर 2018 को नियुक्ति दी गई.

पढ़ें: कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, रामपाल ने दायर की थी PIL

जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को जुलाई माह में मिलने वाली एक वेतन वृद्धि के नुकसान के साथ ही वरिष्ठता की भी हानि हो रही है. जबकि एक ही भर्ती में चयन होने के चलते सभी चयनित शिक्षकों को एक समान वेतन और वरिष्ठता दी जानी चाहिए थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और नोशनल परिलाभ देने को कहा है.

करौली एसपी को पेश होने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहिता की गुमशुदगी के मामले में अदालती आदेश के बावजूद भी जांच अधिकारी के अदालत में पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 21 सितंबर को करौली पुलिस अधीक्षक को पेश होने को कहा है. अदालत ने पुलिस अधीक्षक से गुमशुदगी के मामले में अब तक की गई जांच के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के साथ ही संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी भी देने को कहा है.

पढ़ें: राजस्थान HC ने निजी स्कूलों के फीस वसूली के मामले में फैसला रखा सुरक्षित

न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश विनोद जोगी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में जांच अधिकारी को पेश होने के आदेश दिए गए थे. इसके बावजूद भी जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुए. ऐसे में एसपी पेश होकर कर बताएं कि मामले में क्या कार्रवाई की गई है.

वहीं, सरकारी वकील एनएस गुर्जर ने अदालत को बताया कि अदालती आदेश के संबंध में सूचना देने के बावजूद संबंधित अधिकारी की ओर से कोई रिस्पांस नहीं आया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने निर्देश दिए हैं कि वे पुलिस अधीक्षक की अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित कराए. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के लापता होने के संबंध में गत फरवरी माह में करौली के महिला थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिस पर कार्रवाई नहीं होने पर उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. जिस पर गत 13 अगस्त को सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले के जांच अधिकारी को 30 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए थे, लेकिन जांच अधिकारी कोर्ट में पेश नहीं हुए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2016 में बाद में चयनित अध्यापकों को पूर्व में चयनित अध्यापकों के समान वरिष्ठता देने के साथ ही नोशनल परिलाभ अदा करने को कहा है. न्यायाधीश दिनेश मेहता ने यह आदेश महेश चंद्र व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता राम प्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि आरपीएससी ने 13 जुलाई 2016 को हिंदी, उर्दू और संस्कृत सहित आठ विषयों के शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था. सभी विषयों में सामाजिक विज्ञान का प्रश्न पत्र सामान रखा गया और परीक्षा भी एक ही दिन आयोजित की गई. वहीं, आयोग ने कुछ विषय के अभ्यर्थियों को 20 अप्रैल 2018 को नियुक्ति दे दी. जबकि याचिकाकर्ताओं को 27 सितंबर 2018 को नियुक्ति दी गई.

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जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को जुलाई माह में मिलने वाली एक वेतन वृद्धि के नुकसान के साथ ही वरिष्ठता की भी हानि हो रही है. जबकि एक ही भर्ती में चयन होने के चलते सभी चयनित शिक्षकों को एक समान वेतन और वरिष्ठता दी जानी चाहिए थी. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और नोशनल परिलाभ देने को कहा है.

करौली एसपी को पेश होने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने विवाहिता की गुमशुदगी के मामले में अदालती आदेश के बावजूद भी जांच अधिकारी के अदालत में पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 21 सितंबर को करौली पुलिस अधीक्षक को पेश होने को कहा है. अदालत ने पुलिस अधीक्षक से गुमशुदगी के मामले में अब तक की गई जांच के संबंध में रिपोर्ट पेश करने के साथ ही संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी भी देने को कहा है.

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न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह आदेश विनोद जोगी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में जांच अधिकारी को पेश होने के आदेश दिए गए थे. इसके बावजूद भी जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हुए. ऐसे में एसपी पेश होकर कर बताएं कि मामले में क्या कार्रवाई की गई है.

वहीं, सरकारी वकील एनएस गुर्जर ने अदालत को बताया कि अदालती आदेश के संबंध में सूचना देने के बावजूद संबंधित अधिकारी की ओर से कोई रिस्पांस नहीं आया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने निर्देश दिए हैं कि वे पुलिस अधीक्षक की अदालत में उपस्थिति सुनिश्चित कराए. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी के लापता होने के संबंध में गत फरवरी माह में करौली के महिला थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिस पर कार्रवाई नहीं होने पर उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. जिस पर गत 13 अगस्त को सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मामले के जांच अधिकारी को 30 अगस्त को पेश होने के आदेश दिए थे, लेकिन जांच अधिकारी कोर्ट में पेश नहीं हुए.

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