जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रदेश में राज्य पशु ऊंट की घटती संख्या पर चिंता जताई है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव और प्रमुख पशुपालन सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
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मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. अदालत ने मामले में अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल को बतौर न्यायमित्र कोर्ट का सहयोग करने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है की ऊंटों के संरक्षण के लिए बनाए कानून से क्या फायदा हो रहा है.
गौरतलब है की साल 2012 में प्रदेश में ऊंटों की संख्या 3 लाख 26 हजार थे. वहीं, साल 2019 में यह संख्या घटकर 2 लाख 13 हजार ही रह गई. राज्य सरकार ने साल 2014 में अधिसूचना जारी कर ऊंट को राज्य पशु घोषित किया था. इसके अलावा साल 2015 में अधिनियम लागू कर ऊंटों के कल्याण के कदम उठाए गए थे.
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इस कानून के तहत बिना अनुमति ऊंटों को प्रदेश से बाहर भेजने पर रोक लगाते हुए इनके वध पर रोक लगा दी गई है. मामले के न्यायमित्र प्रतीक कासलीवाल का कहना है कि इस कानून के चलते भी ऊंटों की संख्या में कमी आई है.