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हाईकोर्ट के आदेश हिन्दी में जारी करने पर अदालत ने मांगा जवाब

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Published : Jan 18, 2020, 8:28 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि संविधान में हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद भी आदेश हिन्दी में कैसे दिए जा रहे हैं. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश आशीष दवेसर की जनहित याचिका पर दिए.

Rajasthan High Court News, जयपुर न्यूज
हाईकोर्ट के आदेश हिन्दी में जारी करने पर अदालत ने मांगा जवाब

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि संविधान में हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद भी आदेश हिन्दी में कैसे दिए जा रहे हैं. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश आशीष दवेसर की जनहित याचिका पर दिए.

हाईकोर्ट के आदेश हिन्दी में जारी करने पर अदालत ने मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी तय की गई है. जबकि आधिकारिक भाषा अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान है कि हिन्दी में आदेश दिए जा सकते हैं. वहीं राज्य सरकार ने भी वर्ष 1971 में एक अधिसूचना जारी कर प्रावधान कर रखा है कि हाईकोर्ट हिन्दी भाषा में भी अपने फैसले दे सकते हैं. याचिका में कहा गया कि संविधान के तहत हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद इस तरह के प्रावधान करना संविधान के विपरीत है.

पढ़ें- अतिक्रमण नहीं हटाने पर जेडीए आयुक्त को पेश होने के आदेश

यदि हाईकोर्ट की ओर से हिन्दी में आदेश दिए जाते हैं तो उसका उसी समय अंग्रेजी रूपान्तरण देना भी हाईकोर्ट का ही कर्तव्य है. याचिका में कहा गया कि हिन्दी के आदेश का अशुद्ध अंग्रेजी रूपान्तरण पेश करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया था. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश अंग्रेजी में ही जारी किए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि संविधान में हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद भी आदेश हिन्दी में कैसे दिए जा रहे हैं. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश आशीष दवेसर की जनहित याचिका पर दिए.

हाईकोर्ट के आदेश हिन्दी में जारी करने पर अदालत ने मांगा जवाब

याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी तय की गई है. जबकि आधिकारिक भाषा अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान है कि हिन्दी में आदेश दिए जा सकते हैं. वहीं राज्य सरकार ने भी वर्ष 1971 में एक अधिसूचना जारी कर प्रावधान कर रखा है कि हाईकोर्ट हिन्दी भाषा में भी अपने फैसले दे सकते हैं. याचिका में कहा गया कि संविधान के तहत हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद इस तरह के प्रावधान करना संविधान के विपरीत है.

पढ़ें- अतिक्रमण नहीं हटाने पर जेडीए आयुक्त को पेश होने के आदेश

यदि हाईकोर्ट की ओर से हिन्दी में आदेश दिए जाते हैं तो उसका उसी समय अंग्रेजी रूपान्तरण देना भी हाईकोर्ट का ही कर्तव्य है. याचिका में कहा गया कि हिन्दी के आदेश का अशुद्ध अंग्रेजी रूपान्तरण पेश करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया था. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश अंग्रेजी में ही जारी किए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Intro:बाईट- हाइकोर्ट प्रशासन के वकील प्रतीक कासलीवाल


जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राज्य के मुख्य सचिव सहित  हाईकोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि संविधान में हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद भी आदेश हिन्दी में कैसे दिए जा रहे हैं। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्रसिंह ने यह आदेश आशीष दवेसर की जनहित याचिका पर दिए।Body:याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत हाईकोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी तय की गई है। जबकि आधिकारिक भाषा अधिनियम की धारा 7 में प्रावधान है कि हिन्दी में आदेश दिए जा सकते हैं। वहीं राज्य सरकार ने भी वर्ष 1971 में एक अधिसूचना जारी कर प्रावधान कर रखा है कि हाईकोर्ट हिन्दी भाषा में भी अपने फैसले दे सकते हैं। याचिका में कहा गया कि संविधान के तहत हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी होने के बावजूद इस तरह के प्रावधान करना संविधान के विपरीत है। यदि हाईकोर्ट की ओर से हिन्दी में आदेश दिए जाते हैं तो उसका उसी समय अंग्रेजी रूपान्तरण देना भी हाईकोर्ट का ही कर्तव्य है। याचिका में कहा गया कि हिन्दी के आदेश का अशुद्ध अंग्रेजी रूपान्तरण पेश करने पर सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना लगाया था। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश अंग्रेजी में ही जारी किए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।Conclusion:
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