जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यूडीएच और जेडीए से 13 जुलाई तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि, करतारपुरा नाले के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. अदालत ने संबंधित दस्तावेज पेश करने के साथ ही पूछा है कि, कौन सा काम कब तक पूरा कर लिया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राजेंद्र प्रसाद शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि,करीब 4 किलोमीटर लंबे इस नाले में उचित ड्रेनेज सिस्टम का अभाव है और भू माफियाओं ने मिलीभगत कर नाले को पाटकर मलबा डाल दिया है. याचिका में कहा गया कि जेडीए वर्ष 2014 में मान चुका है कि, करतारपुरा नाले को लेकर उनके पास कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. नाले के संरक्षण को लेकर 24 अप्रैल 2015 को हाईकोर्ट ने जेडीए और राज्य सरकार को कई निर्देश दिए थे. वहीं जेडीए की ओर से नाले के ड्रेनेज के लिए एमएनआईटी से रिपोर्ट तैयार कराने के आधार पर हाईकोर्ट ने 8 सितंबर 2015 को याचिका का निस्तारण कर दिया था.
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याचिका में कहा गया कि वर्ष 2016 से नाले पर वापस अतिक्रमण होने लगा है. पिछले 20 साल में नाला करीब अस्सी फीसदी छोटा हो गया है. जिसके चलते भारी बरसात की स्थिति में नाला ओवरफ्लो हो जाता है और नाले से सटे पुराने मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. तीन साल पहले नाले में कार सहित बहने से एक युवक की मौत भी हो चुकी है.
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वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नाले के निरीक्षण के लिए एडीएम के सुपरविजन में 5 लोगों की कमेटी बनाई गई है. इसके अलावा नाले से मलबा निकालने के लिए गत 4 मई को ठेका जारी किया जा चुका है. वहीं तहसीलदार राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर नापजोख कर अतिक्रमण का पता लगाएंगे. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सरकार और जेडीए से नाले के संरक्षण को लेकर संपूर्ण जानकारी पेश करने को कहा है.