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खाद्य सुरक्षा कानून की पालना नहीं होने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के प्रावधानों की पालना नहीं होने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया कि, सरकार ने फूड सप्लाई चेन को गड़बड़ियों से बचाने के लिए अधिनियम की प्रभावी पालना नहीं की है.

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हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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Published : Jun 12, 2020, 10:23 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के प्रावधानों की पालना नहीं होने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश योगेश शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू हुए 7 साल बीत चुके हैं. कानून के तहत राज्य सरकार को सरकारी फूड सप्लाई चेन को गड़बड़ियों से बचाने के लिए आंतरिक शिकायत निवारण सिस्टम, कॉल सेंटर और नोडल ऑफिसर नियुक्त करने थे. इनमें एक राज्य स्तरीय फूड कमीशन स्थापित करने के साथ ही जिलों में भी शिकायत निवारण के लिए अलग से अधिकारियों की नियुक्तियां होनी है. इसके साथ ही पूरे सिस्टम के समय-समय पर ऑडिट का भी प्रावधान है.

ये पढ़ें: चिकित्सक जांच कर बताएं गर्भपात हो सकता है या नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने स्टेट फूड कमीशन में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2017 में आवेदन मांग कर बाद में साक्षात्कार भी लिए थे, लेकिन अभी तक इसका परिणाम ही जारी नहीं किया गया है. सरकार जिलों में कलेक्टर को अतिरिक्त चार्ज देकर काम चला रही है. याचिका में कहा गया कि अधिनियम के प्रभावी पालना की जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, 2013 के प्रावधानों की पालना नहीं होने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश योगेश शर्मा की जनहित याचिका पर दिए.

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याचिका में कहा गया कि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू हुए 7 साल बीत चुके हैं. कानून के तहत राज्य सरकार को सरकारी फूड सप्लाई चेन को गड़बड़ियों से बचाने के लिए आंतरिक शिकायत निवारण सिस्टम, कॉल सेंटर और नोडल ऑफिसर नियुक्त करने थे. इनमें एक राज्य स्तरीय फूड कमीशन स्थापित करने के साथ ही जिलों में भी शिकायत निवारण के लिए अलग से अधिकारियों की नियुक्तियां होनी है. इसके साथ ही पूरे सिस्टम के समय-समय पर ऑडिट का भी प्रावधान है.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने स्टेट फूड कमीशन में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के लिए वर्ष 2017 में आवेदन मांग कर बाद में साक्षात्कार भी लिए थे, लेकिन अभी तक इसका परिणाम ही जारी नहीं किया गया है. सरकार जिलों में कलेक्टर को अतिरिक्त चार्ज देकर काम चला रही है. याचिका में कहा गया कि अधिनियम के प्रभावी पालना की जाए.

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