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कब्रिस्तान भूमि पर अतिक्रमण को लेकर मुख्य सचिव और कलेक्टर से HC ने मांगा जवाब

अजमेर के अंदर कोट इलाके में स्थित कब्रिस्तान अतिक्रमण मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है. यहां जानिये क्या है पूरा मामला...

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कलेक्टर से HC ने मांगा जवाब
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Published : Oct 19, 2021, 3:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को अजमेर के अंदर कोट इलाके में स्थित कब्रिस्तान भूमि पर अतिक्रमण के मामले में मुख्य सचिव, कलेक्टर, एसपी और वक्फ बोर्ड सहित अन्य से जवाब मांगा है. ये आदेश जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

आपको बता दें कि न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नासिर खान की जनहित याचिका पर दिए हैं. दरअसल, इस याचिका में कहा गया है की अजमेर के अंदर कोट इलाके में स्थित कब्रिस्तान भूमि को वर्ष 1965 में अधिसूचना जारी कर वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था, लेकिन कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों ने कब्रिस्तान की कुछ भूमि पर पक्का निर्माण करके अतिक्रमण कर लिया है.

यह भी पढ़ें - डोटासरा का मोदी सरकार पर निशाना, कहा- नोटबंदी एक घोटाला, अर्थव्यवस्था हुई चौपट

साथ ही याचिका में कहा गया है कि इसके संबंध में स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के आलाधिकारियों को भी शिकायत दी है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को अजमेर के अंदर कोट इलाके में स्थित कब्रिस्तान भूमि पर अतिक्रमण के मामले में मुख्य सचिव, कलेक्टर, एसपी और वक्फ बोर्ड सहित अन्य से जवाब मांगा है. ये आदेश जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया.

आपको बता दें कि न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नासिर खान की जनहित याचिका पर दिए हैं. दरअसल, इस याचिका में कहा गया है की अजमेर के अंदर कोट इलाके में स्थित कब्रिस्तान भूमि को वर्ष 1965 में अधिसूचना जारी कर वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था, लेकिन कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों ने कब्रिस्तान की कुछ भूमि पर पक्का निर्माण करके अतिक्रमण कर लिया है.

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साथ ही याचिका में कहा गया है कि इसके संबंध में स्थानीय निवासियों ने प्रशासन के आलाधिकारियों को भी शिकायत दी है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश मनोज व्यास की खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है.

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