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दस्तावेज सत्यापन के बाद भी विधवा को नियुक्ति क्यों नहीं: हाई कोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में सामान्य वर्ग की विधवा महिला को दस्तावेज सत्यापन के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और कर्मचारी चयन बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है.

PTI Recruitment 2018, Rajasthan High Court
दस्तावेज सत्यापन के बाद भी विधवा को नियुक्ति क्यों नहीं
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Published : Jan 27, 2021, 7:57 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में सामान्य वर्ग की विधवा महिला को दस्तावेज सत्यापन के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और कर्मचारी चयन बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश मधु पारीक की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने पीटीआई भर्ती के विधवा कोटे के तहत आवेदन किया था. जिसमें उसे लिखित परीक्षा में कट ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए. वहीं विभाग ने उसके दस्तावेजों का भी सत्यापन कर लिया, लेकिन उसे नियुक्ति नहीं दी.

पढ़ें- 28 जनवरी को होगी ग्रेटर नगर निगम की पहली बोर्ड मीटिंग, निगम प्रशासन ने दिया व्यवस्थाओं को अंतिम रूप

याचिकाकर्ता की ओर से विभाग में इस संबंध में अभ्यावेदन भी दिया गया, लेकिन उसे नियुक्ति से वंचित रखने का कारण नहीं बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में सामान्य वर्ग की विधवा महिला को दस्तावेज सत्यापन के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और कर्मचारी चयन बोर्ड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश मधु पारीक की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने पीटीआई भर्ती के विधवा कोटे के तहत आवेदन किया था. जिसमें उसे लिखित परीक्षा में कट ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए. वहीं विभाग ने उसके दस्तावेजों का भी सत्यापन कर लिया, लेकिन उसे नियुक्ति नहीं दी.

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याचिकाकर्ता की ओर से विभाग में इस संबंध में अभ्यावेदन भी दिया गया, लेकिन उसे नियुक्ति से वंचित रखने का कारण नहीं बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए आरक्षित रखने को कहा है.

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