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संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी धोखाधड़ी मामले में हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस

संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी धोखाधड़ी मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करने वाले गुमान सिंह और लाबु सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Rajasthan High Court News,  Sanjeevani Society Fraud Case
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jul 28, 2020, 7:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले से जुड़े मामले में निचली अदालत की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केवल चंद डगरिया सहित अन्य के खिलाफ अग्रिम जांच के आदेश देने के मामले में निचली अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करने वाले गुमान सिंह और लाबु सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश केवल चंद की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि एडीजे कोर्ट ने गत 21 जुलाई को शिकायतकर्ता गुमान सिंह और लाबु सिंह की रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामले में एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. जबकि रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता का नाम होने के बावजूद उसका पक्ष नहीं सुना गया. निचली अदालत की ओर से प्रार्थना पत्र खारिज करने के बाद उसके खिलाफ दायर रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता को पक्षकार भी नहीं बनाया गया. ऐसे में एडीजे कोर्ट का आदेश अवैध है. इसलिए कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए.

पढ़ें- कोरोना संक्रमित मिलने के बाद राजस्थान हाईकोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में न्यायिक कार्य स्थगित

गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने गत 13 जुलाई को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह मामले में परिवादी नहीं है. इसके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अग्रिम जांच के लिए एसओजी में भेज दिया था. प्रार्थना पत्र में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों की संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भूमिका बताई गई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले से जुड़े मामले में निचली अदालत की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और केवल चंद डगरिया सहित अन्य के खिलाफ अग्रिम जांच के आदेश देने के मामले में निचली अदालत के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश करने वाले गुमान सिंह और लाबु सिंह को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश केवल चंद की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि एडीजे कोर्ट ने गत 21 जुलाई को शिकायतकर्ता गुमान सिंह और लाबु सिंह की रिवीजन अर्जी पर सुनवाई करते हुए मामले में एसओजी को अग्रिम जांच के आदेश दिए थे. जबकि रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता का नाम होने के बावजूद उसका पक्ष नहीं सुना गया. निचली अदालत की ओर से प्रार्थना पत्र खारिज करने के बाद उसके खिलाफ दायर रिवीजन अर्जी में याचिकाकर्ता को पक्षकार भी नहीं बनाया गया. ऐसे में एडीजे कोर्ट का आदेश अवैध है. इसलिए कोर्ट के आदेश को निरस्त किया जाए.

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गौरतलब है कि मामले में शिकायतकर्ता के प्रार्थना पत्र को निचली अदालत ने गत 13 जुलाई को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह मामले में परिवादी नहीं है. इसके खिलाफ दायर रिवीजन याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को अग्रिम जांच के लिए एसओजी में भेज दिया था. प्रार्थना पत्र में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों की संजीवनी क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी घोटाले में भूमिका बताई गई थी.

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