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आसाराम पर लिखी किताब पर रोक को लेकर दोनों पक्षों में नहीं हुआ कोई समझौता

आसाराम पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

court news, आसाराम बापू
हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
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Published : Sep 9, 2020, 11:04 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 6:41 AM IST

नई दिल्ली: नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद आसाराम पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दोनों पक्षों की फिर से दलीलें सुनी. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने इस बात को नोट किया कि छप चुकी पांच हजार किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं किताब की

सुनवाई के दौरान किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने बताया कि किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं. तब कोर्ट ने कहा कि उन किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट ने प्रकाशक और संचिता गुप्ता को निर्देश दिया कि वे इस मसले पर समझौता कर कोई बीच का रास्ता निकालें. दोनों पक्षों को बातचीत के लिए कुछ समय दिया गया, बाद में आसाराम के साथ सह-आरोपी और किताब की रिलीज के खिलाफ ट्रायल कोर्ट जानेवाली संचिता गुप्ता की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट इस मामले पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करें.

प्रकाशक की ओर से कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें

देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट को किताब की पांच हजार प्रतियों के छपने और अभियुक्तों के निष्पक्ष ट्रायल के बीच संतुलन कायम करना चाहिए. बता दें कि कोर्ट ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी. 8 सितंबर को किताब के प्रकाशक कॉलिन हार्पर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं थी जबकि आसाराम के साथ रेप मामले की सह-आरोपी संचिता गुप्ता की ओर से देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्रि-मैच्योर था.

पढ़ें- हाईकोर्ट ने सेंट एंसलम स्कूल को जारी किया नोटिस, टीसी के बदले फीस वसूलने पर मांगा जवाब

आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है.

'ट्रायल कोर्ट ने प्रकाशक का पक्ष सुने बिना दिया फैसला'

याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुना दिया. ट्रायल कोर्ट का फैसला किताब के प्रकाशन के पहले ही सेंसरशिप लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि किताब में आसाराम बापू से संबंधित सभी तथ्यों को रखा गया है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू पर लिखी किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दिया था.

सह-आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में दायर की है याचिका

ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपी संचिता गुप्ता ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है लेकिन यह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है. याचिका में कहा गया है कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है.

30 सितंबर तक प्रकाशन पर लग चुकी है रोक

संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर किया है जो लंबित है. हाईकोर्ट सजा को निलंबित करने का आदेश दे चुका है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दिया है. कोर्ट ने 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी इस किताब को प्रकाशित करने या बेचने पर रोक लगा दिया है.

राजस्थान के आईपीएस अधिकारी ने लिखी है किताब

ये किताब को अजय पाल लांबा ने लिखी है. अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करनेवाली टीम की अगुवाई की थी. इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं.

बता दें कि अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था. आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले में सह-आरोपी संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी.

नई दिल्ली: नाबालिग से रेप के मामले में जेल में बंद आसाराम पर लिखी किताब पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की कोशिश नाकाम होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दोनों पक्षों की फिर से दलीलें सुनी. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने इस बात को नोट किया कि छप चुकी पांच हजार किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं किताब की

सुनवाई के दौरान किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने बताया कि किताब की पांच हजार प्रतियां छप चुकी हैं. तब कोर्ट ने कहा कि उन किताबों को वापस नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट ने प्रकाशक और संचिता गुप्ता को निर्देश दिया कि वे इस मसले पर समझौता कर कोई बीच का रास्ता निकालें. दोनों पक्षों को बातचीत के लिए कुछ समय दिया गया, बाद में आसाराम के साथ सह-आरोपी और किताब की रिलीज के खिलाफ ट्रायल कोर्ट जानेवाली संचिता गुप्ता की ओर से पेश वकील देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट इस मामले पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करें.

प्रकाशक की ओर से कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें

देवदत्त कामत ने कहा कि कोर्ट को किताब की पांच हजार प्रतियों के छपने और अभियुक्तों के निष्पक्ष ट्रायल के बीच संतुलन कायम करना चाहिए. बता दें कि कोर्ट ने पिछले 8 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थी. 8 सितंबर को किताब के प्रकाशक कॉलिन हार्पर की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें रखीं थी जबकि आसाराम के साथ रेप मामले की सह-आरोपी संचिता गुप्ता की ओर से देवदत्त कामत ने अपनी दलीलें रखीं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि ट्रायल कोर्ट का रोक का फैसला प्रि-मैच्योर था.

पढ़ें- हाईकोर्ट ने सेंट एंसलम स्कूल को जारी किया नोटिस, टीसी के बदले फीस वसूलने पर मांगा जवाब

आसाराम पर लिखी किताब का नाम है ‘गनिंग फॉर द गॉडमैन-द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू कंविक्शन’. इस किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने किताब की रिलीज पर रोक लगाकर संविधान की धारा 19 का उल्लंघन किया है.

'ट्रायल कोर्ट ने प्रकाशक का पक्ष सुने बिना दिया फैसला'

याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना प्रकाशक का पक्ष सुने फैसला सुना दिया. ट्रायल कोर्ट का फैसला किताब के प्रकाशन के पहले ही सेंसरशिप लगाने जैसा है. याचिका में कहा गया है कि किताब में आसाराम बापू से संबंधित सभी तथ्यों को रखा गया है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आसाराम बापू पर लिखी किताब की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दिया था.

सह-आरोपी ने ट्रायल कोर्ट में दायर की है याचिका

ट्रायल कोर्ट में याचिका रेप मामले के सह-आरोपी संचिता गुप्ता ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील विजय अग्रवाल और नमन जोशी ने कोर्ट को बताया कि किताब को सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा किया गया है लेकिन यह ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती है. याचिका में कहा गया है कि इस किताब से संचिता गुप्ता की अपील पर असर पड़ने की आशंका है.

30 सितंबर तक प्रकाशन पर लग चुकी है रोक

संचिता गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील दायर किया है जो लंबित है. हाईकोर्ट सजा को निलंबित करने का आदेश दे चुका है. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशन पर रोक लगा दिया है. कोर्ट ने 30 सितंबर तक इस किताब के प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स, अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी इस किताब को प्रकाशित करने या बेचने पर रोक लगा दिया है.

राजस्थान के आईपीएस अधिकारी ने लिखी है किताब

ये किताब को अजय पाल लांबा ने लिखी है. अजय पाल लांबा फिलहाल जयपुर में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त हैं. उन्होंने आसाराम की गिरफ्तारी करनेवाली टीम की अगुवाई की थी. इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं.

बता दें कि अप्रैल 2018 में जोधपुर की स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को एक नाबालिग से रेप का दोषी पाया था. आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इस मामले में सह-आरोपी संचिता गुप्ता उसी हॉस्टल की वॉर्डन थी, जहां नाबालिग 2013 से रह रही थी.

Last Updated : Sep 10, 2020, 6:41 AM IST
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