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दिव्यांग बेटी की मां के ट्रांसफर पर सरकार क्यों नहीं कर रही विचारः हाईकोर्ट - jaipur news

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक दिव्यांग बेटी की घर से दूर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है.

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हाईकोर्टः दिव्यांग बेटी की मां के ट्रांसफर पर सरकार क्यों नहीं कर रही विचार
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Published : Dec 3, 2019, 10:07 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक 15 साल की 85 फीसदी मानसिक दिव्यांग बेटी की घर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह अंतरिम आदेश सरोज रानी की याचिका पर दिए है.

एडवोकेट मोहित बलवदा ने बताया कि याचिकाकर्ता 2017 में बतौर फ़र्स्ट ग्रेड स्कूल लैक्चरर सलेक्ट हुई और दो साल के प्रोबेशन के लिए उन्हें बारां जिले के छबडा में पदस्थापित किया था. मूल रुप से श्रीगंगानगर की रहने वाली याचिकाकर्ता के दो बेटियां है. इनमें से एक बेटी 15 साल की है, लेकिन वह मानसिक तौर पर 85 फीसदी दिव्यांग है.

पढ़ेंः दुष्कर्म मामले में मंत्री बीडी कल्ला के बयान पर बोले पूनिया- अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती सरकार

साथ ही बताया कि पति निजी नौकरी करते हैं और सास-ससुर की मृत्यु हो चुकी है. दिव्यांग बेटी को याचिकाकर्ता के बुजुर्ग माता-पिता के पास रहना पड़ता है. लेकिन ज्यादा आयु के कारण उन्हें देखभाल में परेशानी होती है. तीन जुलाई 2019 को प्रोबेशन समाप्त होने पर ऑन लाईन ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था और हालात की जानकारी भी दे दी थी.

मोहित बलवदा ने बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में प्रेग्नेंट भी है लेकिन, इसके बावजूद सरकार ने ना तो अर्जी का निपटारा किया और ना ही ट्रांसफर किया. याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार को ट्रांसफर की अर्जी का निपटारा करने या ट्रांसफर करने के निर्देश देने की गुहार की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक 15 साल की 85 फीसदी मानसिक दिव्यांग बेटी की घर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह अंतरिम आदेश सरोज रानी की याचिका पर दिए है.

एडवोकेट मोहित बलवदा ने बताया कि याचिकाकर्ता 2017 में बतौर फ़र्स्ट ग्रेड स्कूल लैक्चरर सलेक्ट हुई और दो साल के प्रोबेशन के लिए उन्हें बारां जिले के छबडा में पदस्थापित किया था. मूल रुप से श्रीगंगानगर की रहने वाली याचिकाकर्ता के दो बेटियां है. इनमें से एक बेटी 15 साल की है, लेकिन वह मानसिक तौर पर 85 फीसदी दिव्यांग है.

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साथ ही बताया कि पति निजी नौकरी करते हैं और सास-ससुर की मृत्यु हो चुकी है. दिव्यांग बेटी को याचिकाकर्ता के बुजुर्ग माता-पिता के पास रहना पड़ता है. लेकिन ज्यादा आयु के कारण उन्हें देखभाल में परेशानी होती है. तीन जुलाई 2019 को प्रोबेशन समाप्त होने पर ऑन लाईन ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था और हालात की जानकारी भी दे दी थी.

मोहित बलवदा ने बताया कि याचिकाकर्ता वर्तमान में प्रेग्नेंट भी है लेकिन, इसके बावजूद सरकार ने ना तो अर्जी का निपटारा किया और ना ही ट्रांसफर किया. याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार को ट्रांसफर की अर्जी का निपटारा करने या ट्रांसफर करने के निर्देश देने की गुहार की है.

Intro:जयपुर,3 दिसंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक 15 साल की 85 फीसदी मानसिक दिव्यांग बेटी की घर से करीब एक हजार किलोमीटर दूर पदस्थापित लैक्चरर मां के ट्रांसफर पर विचार नहीं करने पर प्रमुख सचिव शिक्षा और निदेशक सैकंडरी शिक्षा से जवाब मांगा है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह अंतरिम आदेश सरोज रानी की याचिका पर दिए।Body:एडवोकेट मोहित बलवदा ने बताया कि याचिकाकर्ता 2017 में बतौर फस्र्ट ग्रेड स्कूल लैक्चरर सलेक्ट हुई और दो साल के प्रोबेशन के लिए उन्हें बारां जिले के छबडा में पदस्थापित किया था। मूल रुप से श्रीगंगानगर की रहने वाली याचिकाकर्ता के दो बेटियां हैं। इनमें से एक बेटी 15 साल की है, लेकिन वह मानसिक तौर पर 85 फीसदी दिव्यांग है। पति निजी नौकरी करते हैं और सास-ससुर की मृत्यु हो चुकी है। दिव्यांग बेटी को याचिकाकर्ता के बुजुर्ग माता-पिता के पास रहना पड़ता है लेकिन ज्यादा आयु के कारण उन्हें देखभाल में परेशानी होती है। तीन जुलाई 2019 को प्रोबेशन समाप्त होने पर ऑन लाईन ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था और हालात की जानकारी भी दे दी थी। याचिकाकर्ता वर्तमान में प्रेग्नेंट भी है लेकिन, इसके बावजूद सरकार ने ना तो अर्जी का निपटारा किया और ना ही ट्रांसफर किया। याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार को ट्रांसफर की अर्जी का निपटारा करने या ट्रांसफर करने के निर्देश देने की गुहार की है।
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