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जयपुर में हुआ 104 साल के मरीज का हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट, दावा-इस तरह का देश में पहला ऑपरेशन - Heart valve replacement in Jaipur

जयपुर के एक निजी चिकित्सालय में एक 104 साल की उम्र के हार्ट पेशेंट का वॉल्व रिप्लेस किया गया. अधिक उम्र होने के चलते चिकित्सकों ने टावी यानी ट्रांसकैथेटर एओट्रिक वोल्वो इंप्लांटेशन तकनीक का विकल्प चुना. चिकित्सकों का दावा है कि 104 साल की उम्र के मरीज का वॉल्व रिप्लेसमेंट करने का देश में यह पहला मामला (Heart operation of 104 year old in Jaipur) है. इससे पहले 92 साल की मरीज का सफल हार्ट ऑपरेशन किया जा चुका है.

Heart valve replacement of 104 year old patient in Jaipur, doctors claimed, its first in India
जयपुर में हुआ 104 साल के मरीज का हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट, चिकित्सकों का दावा-इस तरह का देश में पहला ऑपरेशन
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Published : Aug 5, 2022, 9:07 PM IST

जयपुर. जयपुर के 104 साल की उम्र के मरीज का नॉन सर्जिकल हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया है. इस तरह इस उम्र में मरीज ने मौत को मात दी है. चिकित्सकों ने दावा किया है कि इससे पहले देश में 92 वर्ष तक के मरीज का टावी तकनीकी से सफल हार्ट का ऑपरेशन किया गया है.

मरीज का सफल ऑपरेशन करने वाले एक निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ अमित चौरसिया ने बताया कि मरीज को छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी, जिसके चलते वे हॉस्पिटल आए थे. 2डी ईको जांच में उनके हार्ट के एओर्टिक वॉल्व में सिकुड़न देखी गई. इस पर उन्हें वॉल्व रिप्लेसमेंट की सलाह दी गई थी. मरीज की एंजियोग्राफी भी कि गई, जिसमें सामान्य ब्लॉकेज थे.

पढ़ें: नई तकनीकी से हार्ट का ऑपरेशन, अब तक 60 से अधिक बच्चों की बचाई जान

ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि एओर्टिक स्टेनोसिस के कारण ही उन्हें छाती में दर्द हो रहा था. ज्यादा उम्र होने के कारण सर्जरी से वॉल्व रिप्लेसमेंट संभव नहीं था. इसीलिए टावी यानी ट्रांसकैथेटर एओट्रिक वोल्वो इंप्लांटेशन तकनीक से उनका वॉल्व बदला (Heart valve replacement of 104 year old patient) गया. यह ऑपरेशन डेढ़ से 2 घंटे में पूरा हो गया और मरीज ने अगले दिन चलना-फिरना शुरू भी कर दिया. प्रोसीजर के चौथे दिन मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

पढ़ें: भरतपुर: अब हार्ट के मरीजों को जिला RBM अस्पताल में मिलेंगी SMS अस्पताल जैसी सुविधाएं

चिकित्सकों का कहना है कि इतनी अधिक उम्र में इस तरह का हार्ट का ऑपरेशन अपने आप में देश का पहला ऑपरेशन है. चिकित्सकों का कहना है कि अधिक उम्र हो जाने के कारण हार्ट के मरीजों में दवाइयां कम काम करती हैं. यदि दवाइयों के सहारे मरीज का इलाज किया जाए, तो पहले वर्ष में जीवित रहने की संभावना 50 फीसदी और दूसरे वर्ष में सिर्फ 20 फीसदी रह जाती है. ऐसे में टावी तकनीकी एक सुरक्षित विकल्प रहता है जिसमें किसी तरह की कोई चीर फाड़ नहीं करनी पड़ती. साथ ही अस्पताल के चिकित्सकों ने यह भी दावा किया है कि 104 वर्ष की उम्र में इस तरह का ऑपरेशन पहली बार देश में किया गया है. अब कार्डियक साइंस के क्षेत्र में जयपुर अलग-अलग कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीज एकदम ठीक है.

जयपुर. जयपुर के 104 साल की उम्र के मरीज का नॉन सर्जिकल हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट किया गया है. इस तरह इस उम्र में मरीज ने मौत को मात दी है. चिकित्सकों ने दावा किया है कि इससे पहले देश में 92 वर्ष तक के मरीज का टावी तकनीकी से सफल हार्ट का ऑपरेशन किया गया है.

मरीज का सफल ऑपरेशन करने वाले एक निजी अस्पताल के चिकित्सक डॉ अमित चौरसिया ने बताया कि मरीज को छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी, जिसके चलते वे हॉस्पिटल आए थे. 2डी ईको जांच में उनके हार्ट के एओर्टिक वॉल्व में सिकुड़न देखी गई. इस पर उन्हें वॉल्व रिप्लेसमेंट की सलाह दी गई थी. मरीज की एंजियोग्राफी भी कि गई, जिसमें सामान्य ब्लॉकेज थे.

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ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि एओर्टिक स्टेनोसिस के कारण ही उन्हें छाती में दर्द हो रहा था. ज्यादा उम्र होने के कारण सर्जरी से वॉल्व रिप्लेसमेंट संभव नहीं था. इसीलिए टावी यानी ट्रांसकैथेटर एओट्रिक वोल्वो इंप्लांटेशन तकनीक से उनका वॉल्व बदला (Heart valve replacement of 104 year old patient) गया. यह ऑपरेशन डेढ़ से 2 घंटे में पूरा हो गया और मरीज ने अगले दिन चलना-फिरना शुरू भी कर दिया. प्रोसीजर के चौथे दिन मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया.

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चिकित्सकों का कहना है कि इतनी अधिक उम्र में इस तरह का हार्ट का ऑपरेशन अपने आप में देश का पहला ऑपरेशन है. चिकित्सकों का कहना है कि अधिक उम्र हो जाने के कारण हार्ट के मरीजों में दवाइयां कम काम करती हैं. यदि दवाइयों के सहारे मरीज का इलाज किया जाए, तो पहले वर्ष में जीवित रहने की संभावना 50 फीसदी और दूसरे वर्ष में सिर्फ 20 फीसदी रह जाती है. ऐसे में टावी तकनीकी एक सुरक्षित विकल्प रहता है जिसमें किसी तरह की कोई चीर फाड़ नहीं करनी पड़ती. साथ ही अस्पताल के चिकित्सकों ने यह भी दावा किया है कि 104 वर्ष की उम्र में इस तरह का ऑपरेशन पहली बार देश में किया गया है. अब कार्डियक साइंस के क्षेत्र में जयपुर अलग-अलग कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. चिकित्सकों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीज एकदम ठीक है.

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