जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को 13 जनवरी को शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि आपराधिक प्रकरण में आरोपी आरपीएस को दोषी मानकर जांच पूरी करने के बाद जांच अधिकारी को क्यों बदला गया. अदालत ने कमिश्नर ये यह भी पूछा है कि अदालती आदेश की पालना में दो माह में जांच पूरी क्यों नहीं की गई. न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल ने यह आदेश गैंगरेप पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि पद के कर्तव्यों का निर्वाहन नहीं करने के मामले में आरपीएस सीताराम माहिच के खिलाफ ज्योतिनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. हाईकोर्ट ने गत वर्ष तीन जनवरी को मामले की जांच डीसीपी स्तर से कराने के आदेश देते हुए दो माह में जांच पूरी करने को कहा था. इसके बावजूद जांच पूरी नहीं की गई.
जांच अधिकारी डीसीपी नोर्थ ने आरपीएस माहिच को आईपीसी की धारा 166-ए का दोषी माना था. दूसरी ओर लोक अभियोजक शेरसिंह महला ने बताया कि मामले में डीसीपी नोर्थ ने पूरी कर ली थी, लेकिन बाद में इसे डीसीपी वेस्ट को सौंप दी गई.
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प्रकरण में निचली अदालत में एफआर भी पेश कर जा चुकी है. दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने पुलिस कमिश्नर से शपथ पत्र पेश करने को कहा है. गौरतलब है कि पीड़िता से गैंगरेप के मामले में थाने बुलाकर प्रताडना करने पर आरपीएस सीतराम माहिच के खिलाफ ज्योतिनगर थाने में मामला दर्ज कराया गया था.
लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती परीक्षा में खराब की-बोर्ड पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने लिपिक ग्रेड द्वितीय भर्ती की हिन्दी दक्षता परीक्षा में खराब की-बोर्ड देने पर कर्मचारी चयन बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश किशोर राम की याचिका पर दिए.
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याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि गत 4 सितंबर को आयोजित की गई हिन्दी दक्षता परीक्षा में याचिकाकर्ता को खराब की-बोर्ड दिया गया.इस संबंध में याचिकाकर्ता ने शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में दक्षता परीक्षा में कम अंक देने का भी आरोप लगाया गया है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने चयन बोर्ड के सचिव से जवाब मांगा है.