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राजस्थान : निजी स्कूलों की फीस वसूली मामले में बहस अधूरी, 16 दिसंबर को फिर होगी सुनवाई - निजी स्कूलों की फीस वसूली में सुनवाई

राजस्थान हाइकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में मंगलवार को बहस अधूरी रही. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को जारी रखने को कहा है.

निजी स्कूलों की फीस वसूली मामला, Fee collection case of private schools
निजी स्कूलों की फीस वसूली में सुनवाई
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Published : Dec 15, 2020, 5:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में मंगलवार को बहस अधूरी रही. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को जारी रखने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार व अन्य की अपील पर दिए.

निजी स्कूलों की फीस वसूली में सुनवाई

सुनवाई के दौरान अदालत के पूछने पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि सरकार को फीस नियामक कानून और आपदा अधिनियम सहित अनुच्छेद 162 के साथ ही महामारी कानून के तहत फीस तय करने का अधिकार है. अदालती आदेश की पालना में गत 28 अक्टूबर को सरकार ने सभी पक्षों को सुनकर फीस तय की है. इसके बावजूद भी यदि अदालत चाहे तो फीस नियामक कानून के तहत बनी फीस निर्धारण कमेटी से फीस निर्धारित करवा सकती है.

पढे़ं- कोटा में शिशुओं की मौत का मामला: स्टेट कमेटी ने तैयार की रिपोर्ट, 12 नवजातों की मौत पर अस्पताल को क्लीन चिट

हालांकि, इस कमेटी में ऐसे अभिभावक शामिल किए जाए, जो सीए या ऑडिट के काम से जुडे हो, ताकि कोरोना में स्कूल के खर्चे को तय कर सकें. वहीं स्कूल एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार को फीस तय करने का अधिकार नहीं है. ऑनलाइन कक्षाओं के चलते उनका खर्चो भी बढ़ गया है. ऐसे में उन्हें पूरी फीस वसूलने का अधिकार है. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार को तय की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में निजी स्कूलों की फीस वसूली के मामले में मंगलवार को बहस अधूरी रही. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 16 दिसंबर को जारी रखने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार व अन्य की अपील पर दिए.

निजी स्कूलों की फीस वसूली में सुनवाई

सुनवाई के दौरान अदालत के पूछने पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा कि सरकार को फीस नियामक कानून और आपदा अधिनियम सहित अनुच्छेद 162 के साथ ही महामारी कानून के तहत फीस तय करने का अधिकार है. अदालती आदेश की पालना में गत 28 अक्टूबर को सरकार ने सभी पक्षों को सुनकर फीस तय की है. इसके बावजूद भी यदि अदालत चाहे तो फीस नियामक कानून के तहत बनी फीस निर्धारण कमेटी से फीस निर्धारित करवा सकती है.

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हालांकि, इस कमेटी में ऐसे अभिभावक शामिल किए जाए, जो सीए या ऑडिट के काम से जुडे हो, ताकि कोरोना में स्कूल के खर्चे को तय कर सकें. वहीं स्कूल एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार को फीस तय करने का अधिकार नहीं है. ऑनलाइन कक्षाओं के चलते उनका खर्चो भी बढ़ गया है. ऐसे में उन्हें पूरी फीस वसूलने का अधिकार है. सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार को तय की है.

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