जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को चेताया है कि कोर्ट दोषी अधिकारियों पर कोई कठोर आदेश पारित करें, उससे पहले बेहतर होगा कि मुख्य सचिव उच्च स्तर पर समीक्षा करें और अवमानना मामलों से जुड़े प्रकरणों में दिए आदेशों की पालना कराए.
न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश छीतर लाल मीणा की अवमानना याचिका पर दिए. इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव से मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन के अनुसार पिछले जून महीने तक एकलपीठ के 3594 अवमानना के मामलों के साथ ही कुल 4022 अवमानना याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित हैं. सरकार का कर्तव्य है कि वह अदालती आदेशों की पालना करें. पालना नहीं होने पर सरकार के लचर प्रशासन का पता चलता है.
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वहीं अदालत ने कहा कि आदेशों की पालना नहीं होने से लगता है कि राज्य प्राधिकारियों को कोर्ट की गरिमा की कोई फिक्र ही नहीं है. जबकि आदेशों की पालना के लिए संबंधित विभाग के सचिव जिम्मेदार है. साथ ही अदालत ने कहा कि अदालत के फैसलों की ही नहीं बल्कि अंतरिम आदेशों की पालना की जानी चाहिए.
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कोर्ट ने मुख्य सचिव से आशा जताई है कि वह मामले को उच्च स्तर पर देखें और संबंधित विभागों के सचिवों को जरूरी दिशा निर्देश जारी करें. जिससे आदेशों की पालना के बाद अवमानना याचिकाओं को समाप्त किया सके. याचिकाकर्ता छीतरमल की ओर से अदालती आदेश के बावजूद भी पुलिस में लांगरी पद पर न्यूनतम वेतन नहीं देने पर अवमानना याचिका पेश की गई थी.