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राजस्व मंडल घूसकांड : बीएल मेहरड़ा और दलाल शशिकांत को HC ने दी जमानत...भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं पूर्व आरएएस मेहरड़ा - Corruption

सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी मिलीभगत कर राजस्व मंडल में लंबित फैसले पक्ष में देने के बदले रिश्वत लेते थे. एसीबी के सर्च में आरोपी के निवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिली है. इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. हाईकोर्ट ने अपील ठुकराते हुए जमानत दे दी.

राजस्व मंडल घूसकांड
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Published : Jul 26, 2021, 7:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे मंडल के तत्कालीन सदस्य बीएल मेहरड़ा और दलाल वकील शशिकांत को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाह ने यह आदेश आरोपियों की जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिए. इससे पहले 14 जुलाई को अदालत ने राजस्व मंडल के तत्कालीन सदस्य सुनील कुमार शर्मा को जमानत दी थी.

याचिकाओं में कहा गया कि एसीबी की कार्रवाई में याचिकाकर्ताओं से कोई रिकवरी नहीं हुई है. इसके अलावा एसीबी की ट्रांसक्रिप्ट में ऐसी कोई बात नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि याचिकाकर्ताओं ने रिश्वत राशि की मांग की है.

पढ़ें- मनी लॉन्ड्रिंग केस : रॉबर्ट वाड्रा की ओर से पूरा पक्ष नहीं रख पाए वकील...मंगलवार को फिर होगी सुनवाई, ED ने मांगी है वाड्रा की कस्टडी

वहीं एसीबी की ओर से जांच पूरी कर आरोप पत्र पेश कर दिया गया है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी मिलीभगत कर राजस्व मंडल में लंबित फैसले पक्ष में देने के बदले रिश्वत लेते थे.

एसीबी के सर्च में आरोपी के निवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिली है. इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि एसीबी की टीम ने 10 अप्रैल को आरोपियों के घर छापा मारकर करीब 80 लाख रुपए की नकदी बरामद की थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे मंडल के तत्कालीन सदस्य बीएल मेहरड़ा और दलाल वकील शशिकांत को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाह ने यह आदेश आरोपियों की जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिए. इससे पहले 14 जुलाई को अदालत ने राजस्व मंडल के तत्कालीन सदस्य सुनील कुमार शर्मा को जमानत दी थी.

याचिकाओं में कहा गया कि एसीबी की कार्रवाई में याचिकाकर्ताओं से कोई रिकवरी नहीं हुई है. इसके अलावा एसीबी की ट्रांसक्रिप्ट में ऐसी कोई बात नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि याचिकाकर्ताओं ने रिश्वत राशि की मांग की है.

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वहीं एसीबी की ओर से जांच पूरी कर आरोप पत्र पेश कर दिया गया है. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी मिलीभगत कर राजस्व मंडल में लंबित फैसले पक्ष में देने के बदले रिश्वत लेते थे.

एसीबी के सर्च में आरोपी के निवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिली है. इसलिए आरोपी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि एसीबी की टीम ने 10 अप्रैल को आरोपियों के घर छापा मारकर करीब 80 लाख रुपए की नकदी बरामद की थी.

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