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हाईकोर्ट का फैसला : नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के चलते गर्भवती हुई नाबालिग पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने 28 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत दी है.

Jaipur Rajasthan High Court Verdict
हाईकोर्ट का फैसला
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Published : Jun 8, 2021, 7:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने सीएमएचओ सीकर को निर्देश दिए हैं कि वह विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के स्वास्थ्य के आधार पर गर्भपात के लिए तत्काल कदम उठाएं.

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात की इजाजत

अदालत ने गर्भपात होने की स्थिति में भ्रूण को डीएनए जांच के लिए अनुसंधान अधिकारी को सौंपने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सीके सोगनरा की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश पीडिता की मां ओर से दायर याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने कहा कि याचिकाकर्ता की 16 वर्षीय पुत्री के साथ रानौली थाना इलाके हुए दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हुई है. ऐसे में उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को देखते हुए गर्भपात की अनुमति दी जाए.

पढ़ें- तपते धोरों में 'प्यास' से मर गई 5 साल की मासूम, घंटों बेसुध पड़ी रही नानी...विपक्ष ने सरकार को घेरा

सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में मेडिकल बोर्ड ने पीडिता की रिपोर्ट पेश की. जिसमें कहा गया कि पीड़िता के 28 सप्ताह का गर्भ है और खून की कमी चल रही है. नियमानुसार 24 सप्ताह से अधिक का गर्भ होने के चलते गर्भपात संभव नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट समान मामले में पूर्व में आदेश जारी कर 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दे चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने सीएमएचओ को गर्भपात करने के निर्देश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने सीएमएचओ सीकर को निर्देश दिए हैं कि वह विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के स्वास्थ्य के आधार पर गर्भपात के लिए तत्काल कदम उठाएं.

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात की इजाजत

अदालत ने गर्भपात होने की स्थिति में भ्रूण को डीएनए जांच के लिए अनुसंधान अधिकारी को सौंपने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सीके सोगनरा की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश पीडिता की मां ओर से दायर याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने कहा कि याचिकाकर्ता की 16 वर्षीय पुत्री के साथ रानौली थाना इलाके हुए दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हुई है. ऐसे में उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को देखते हुए गर्भपात की अनुमति दी जाए.

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सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में मेडिकल बोर्ड ने पीडिता की रिपोर्ट पेश की. जिसमें कहा गया कि पीड़िता के 28 सप्ताह का गर्भ है और खून की कमी चल रही है. नियमानुसार 24 सप्ताह से अधिक का गर्भ होने के चलते गर्भपात संभव नहीं है. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट समान मामले में पूर्व में आदेश जारी कर 28 सप्ताह के गर्भपात की अनुमति दे चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने सीएमएचओ को गर्भपात करने के निर्देश दिए हैं.

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