जयपुर. राज्य सरकार ने राजेंद्र मिर्धा अपहरण कांड के अभियुक्त हरनेक सिंह को कोरोना के तहत 28 दिन के विशेष पैरोल पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए हरनेक सिंह की याचिका पर सुनवाई 8 मई तक टाल दी है.
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि गत 17 अप्रैल को पैरोल कमेटी की बैठक में हरनेक सिंह सहित तीन अन्य कैदियों का स्वीकृत पैरोल रद्द किया गया है.
हरनेक सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वह 25 अप्रैल 2020 तक 13 साल 7 महीने और 29 दिन की सजा काट चुका है. उसे पहरा पैरोल 3 अगस्त 2019 से 22 अगस्त 2019 तक मिला था और उसने समय पर जेल में समर्पण भी किया था.
कोरोना संक्रमण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने जेलों से भीड़ कम करने के लिए बंदियों को विशेष पैरोल पर रिहा करने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने पहले उसे पैरोल देने की सूची में रखा, लेकिन बाद में 17 अप्रैल की बैठक में बिना कारण बताए पैरोल से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि आतंकियों ने 17 फरवरी 1995 को कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा के बेटे राजेंद्र मिर्धा का सी स्कीम स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था. उन्हें छोड़ने के बदले आतंकियों ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के मुखिया देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर को रिहा कराने की मांग की थी. इस पर पुलिस ने मॉडल टाउन कॉलोनी के मकान में छापा मारा था और यहां हुई गोलाबारी में आतंकी नवनीत कादिया की मौत हो गई थ.। जबकि दया सिंह लाहोरिया और उसकी पत्नी सुमन सूद व हरनेक सिंह वहां से फरार हो गए थे.
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लाहोरिया और सुमन सूद को 3 फरवरी 1997 को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था. कोर्ट ने लाहोरिया को आजीवन कारावास और सुमन को 5 साल की सजा सुनाई थी. जबकि हरनेक सिंह को 2004 में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 26 फरवरी 2007 को उसे राजस्थान पुलिस को सौंपा गया था. मामले में एडीजे कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2017 को हरनेक सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.