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गहलोत 'राज' 1 साल : गहलोत सरकार दलित महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न रोकने में फेल, एक रिपोर्ट में दावा

प्रदेश की गहलोत सरकार अपना एक वर्ष पूरा करने पर भले ही अपनी उपलब्धियां गिना रही हो लेकिन दलित महिलाओं को सुरक्षा देने में सरकार नाकाम रही है. ये हम नहीं कह रहे, ये वो आंकड़े कह रहे हैं जो ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने जारी किए हैं.

Crime against womens in rajasthan, दलित महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न
Harassment cases against Dalit women
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Published : Dec 16, 2019, 11:27 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 5:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस सरकार के 1 वर्ष पूरा होने के जश्न से पहले ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने दलित महिलाओं के खिलफ हुए अत्याचारों के आंकड़ों की एक रिपोर्ट जारी की है. इन आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष दलित महिला अत्याचार का ग्राफ सर्वाधिक रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 यानी 10 महीने में 5 हजार 862 दलित महिलांओं के साथ उत्पीड़न की घटनाएं हुईं हैं. जिनमें हत्या से लेकर बलात्कार के मामले शामिल हैं. ये आंकड़े पिछले चार वर्षों में सर्वाधिक हैं. वहीं गहलोत सरकार अपने एक साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताते हुए 103 वादों को पूरा करने का दावा कर रही है लेकिन आंकड़े सरकार के सुशासन पर सवाल खड़े करने वाले हैं.

ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिपोर्ट में गहलोत सरकार दलित महिला उत्पीड़न रोकने में विफल

एक वर्ष के कार्यकाल में दलित महिलाओं के साथ रिकॉर्ड तोड़ हत्या व यौन उत्पीड़न कर वीडियों वायरल करने के मामले सामने आए हैं. ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि गहलोत सरकार का एक साल बेमिसाल कैसे हुआ. ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने प्रदेश में दलित महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते यौन अपराध पर अध्यन कर 2014 से 2019 तक की एक रिपोर्ट तैयार की है. आइए आंकड़ों के जरिए आपको बताते हैं कि कैसे इस एक वर्ष में दलित महिलाओं के खिलाफ अत्यचार हुए.

पढ़ेंः पिछले 1 साल में कांग्रेस सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में काफी बेहतर कार्य किए: सीएम गहलोत

ये है अत्याचार के आंकड़े
वर्ष 2015 में 5 हजार 911 मामले दर्ज हुए, जिसमे 71 हत्या और 318 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2016 में 5 हजार 134 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 56 हत्या और 327 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2017 में 4 हजार 238 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 64 हत्या और 304 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2018 में 4 हजार 67 मामले दर्ज हुए, जिसमें 71 हत्या और 379 बलात्कार के हैं.
जनवरी 2019 से 30 सितंबर तक 9 माह में 5 हजार 862 मामले दर्ज किये गए, जिनमें 55 हत्या और 477 बलात्कार के हैं.

पढ़ेंः मेरी जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य जनता की सेवा करना हैः मुख्यमंत्री गहलोत

50 फीसदी मामले झूठे मान लगाई एफआर
इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि वर्ष 2019 में दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के 50.55 प्रतिशत मामलों को पुलिस द्वारा जांच के बाद झूंठा मानते हुए एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी गई. जबकि 29 .77 प्रतिशत मामलों जांच लंबित हैं. इनमे यौन शोषण और बलात्कार के 477 मामलों में से 148 को पुलिस ने अपने स्तर अनुसंधान के बाद बंद कर दिया जो कुल प्रकरणों का 42.29 प्रतिशत है. 202 मामलों में चलान पेश किया गया और 127 अनुसंधान में लंबित हैं.

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल : यूडीएच विभाग में नाम की उपलब्धियां, पेंडेंसी ज्यादा

दलित अधिकार मंच स्टेट कोर्डिनेटर सुमन देवठिया ने कहा की प्रदेश की गहलोत सरकार जश्न मनाने से महिला उत्पीड़न पर जवाब दे. रिपोर्ट में इस बात का जिर्क किया गया कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुई पीड़िताओं को राज्य सरकार की ओर से दिया जाने वाला कम्पन्शेसन भी नहीं मिला है.

अधिकार मंच की रिपोर्ट के आंकड़े डरा रहे हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री की दलील है कि सभी शिकायतों को दर्ज करने के निर्दश दिए हुए हैं, इसलिए ये आंकड़े बढे हैं. सरकार अपनी दलील दे रही है वहीं, दलित अधिकार मंच अपनी इस रिपोर्ट को दिल्ली के साथ जिनेवा में ह्यूमन राइट्स काउन्सिल में इस रखने की तैयारी गर रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब कांग्रेस सरकार जश्न किस बात का मना रही है.

जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस सरकार के 1 वर्ष पूरा होने के जश्न से पहले ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने दलित महिलाओं के खिलफ हुए अत्याचारों के आंकड़ों की एक रिपोर्ट जारी की है. इन आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष दलित महिला अत्याचार का ग्राफ सर्वाधिक रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 यानी 10 महीने में 5 हजार 862 दलित महिलांओं के साथ उत्पीड़न की घटनाएं हुईं हैं. जिनमें हत्या से लेकर बलात्कार के मामले शामिल हैं. ये आंकड़े पिछले चार वर्षों में सर्वाधिक हैं. वहीं गहलोत सरकार अपने एक साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताते हुए 103 वादों को पूरा करने का दावा कर रही है लेकिन आंकड़े सरकार के सुशासन पर सवाल खड़े करने वाले हैं.

ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिपोर्ट में गहलोत सरकार दलित महिला उत्पीड़न रोकने में विफल

एक वर्ष के कार्यकाल में दलित महिलाओं के साथ रिकॉर्ड तोड़ हत्या व यौन उत्पीड़न कर वीडियों वायरल करने के मामले सामने आए हैं. ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि गहलोत सरकार का एक साल बेमिसाल कैसे हुआ. ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने प्रदेश में दलित महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते यौन अपराध पर अध्यन कर 2014 से 2019 तक की एक रिपोर्ट तैयार की है. आइए आंकड़ों के जरिए आपको बताते हैं कि कैसे इस एक वर्ष में दलित महिलाओं के खिलाफ अत्यचार हुए.

पढ़ेंः पिछले 1 साल में कांग्रेस सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में काफी बेहतर कार्य किए: सीएम गहलोत

ये है अत्याचार के आंकड़े
वर्ष 2015 में 5 हजार 911 मामले दर्ज हुए, जिसमे 71 हत्या और 318 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2016 में 5 हजार 134 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 56 हत्या और 327 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2017 में 4 हजार 238 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 64 हत्या और 304 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2018 में 4 हजार 67 मामले दर्ज हुए, जिसमें 71 हत्या और 379 बलात्कार के हैं.
जनवरी 2019 से 30 सितंबर तक 9 माह में 5 हजार 862 मामले दर्ज किये गए, जिनमें 55 हत्या और 477 बलात्कार के हैं.

पढ़ेंः मेरी जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य जनता की सेवा करना हैः मुख्यमंत्री गहलोत

50 फीसदी मामले झूठे मान लगाई एफआर
इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि वर्ष 2019 में दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के 50.55 प्रतिशत मामलों को पुलिस द्वारा जांच के बाद झूंठा मानते हुए एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी गई. जबकि 29 .77 प्रतिशत मामलों जांच लंबित हैं. इनमे यौन शोषण और बलात्कार के 477 मामलों में से 148 को पुलिस ने अपने स्तर अनुसंधान के बाद बंद कर दिया जो कुल प्रकरणों का 42.29 प्रतिशत है. 202 मामलों में चलान पेश किया गया और 127 अनुसंधान में लंबित हैं.

पढ़ेंः गहलोत 'राज' 1 साल : यूडीएच विभाग में नाम की उपलब्धियां, पेंडेंसी ज्यादा

दलित अधिकार मंच स्टेट कोर्डिनेटर सुमन देवठिया ने कहा की प्रदेश की गहलोत सरकार जश्न मनाने से महिला उत्पीड़न पर जवाब दे. रिपोर्ट में इस बात का जिर्क किया गया कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुई पीड़िताओं को राज्य सरकार की ओर से दिया जाने वाला कम्पन्शेसन भी नहीं मिला है.

अधिकार मंच की रिपोर्ट के आंकड़े डरा रहे हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री की दलील है कि सभी शिकायतों को दर्ज करने के निर्दश दिए हुए हैं, इसलिए ये आंकड़े बढे हैं. सरकार अपनी दलील दे रही है वहीं, दलित अधिकार मंच अपनी इस रिपोर्ट को दिल्ली के साथ जिनेवा में ह्यूमन राइट्स काउन्सिल में इस रखने की तैयारी गर रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब कांग्रेस सरकार जश्न किस बात का मना रही है.

Intro:ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिपोर्ट में गहलोत सरकार दलित महिला उत्पीड़न सरकार हुई फैल , दिल्ली के साथ जिनेवा में ह्यूमन राइट्स काउन्सिल में रखी जाएगी प्रदेश सरकार की दलित उत्पीड़न की रिपोर्ट

नोट:- इस खबर के दो वीडियों pkg आएंगे , पहले में सीएम की बाइट , बाकी बाइट दूसरे वीडियो में आएगी

एंकर :- प्रदेश की गहलोत सरकार अपने शासन का एक साल पूरा होने पर वर्ष गांठ मना रही है , इस वर्ष गांठ पर सरकार भले ही अपनी उपलब्धिया गिना रही है , लेकिन सरकार के इस एक साल दलित महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही है , पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष दलित महिला अत्याचार का ग्राफ सर्वाधिक रहा है , 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 यानी 10 महीने में 5 हजार 862 दलित महिलांओं के साथ उत्पीड़न की घटनाएं हुई , जिसमे हत्या , बलात्कार के मामले शामिल है , जो पिछले चार साल के आंकड़ों में सबसे ज्यादा है ,

VO:1 :- प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोर ने अपने तीसरे शासन के पहले साल को बेमिसालबताते हुए एक वर्ष में 103 वायदे पूरे करने का दावा किया , लेकिन ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने प्रदेश में महिलाओं के साथ एक वर्ष में हुए अत्याचार के आंकड़े पेश कर सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए है , सवाल ये कि प्रदेश में एक साल में दलित महिलाओं के साथ रिकॉर्ड तोड़ उत्पीड़न हुआ , बलत्कार के मामलों में वृद्धि हुई , हत्या की वरदातों में इजाफा हुआ , दलित महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न कर वीडियों वायरल किया गया , ऐसे में गहलोत सरकार का एक साल बेमिसाल कैसे हुआ ? , दरअसल प्रदेश की गहलोत सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने प्रदेश में दलित महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते यौन अपराध पर अध्यन कर एक रिपोर्ट तैयार की गई , जिसमे बताया गया कि किस तरहं से पिछले चार साल की तुलना में इस एक वर्ष में दलित महिलाओं पर उत्पीड़न की घटनाये बड़ी , दलित अधिकार मंच की राष्ट्रिय महासचिव आशा ने बताया कि जो एक वर्ष के आंकड़े सामने आये है उससे ये साफ़ हो गया है कि प्रदेश की गहलोत सरकार दलित महिलाओं को संरक्षण देने में पूरी तरहं से फैल रही है ,
बाइट :- आशा - राष्ट्रिय महासचिव - ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच
VO:2 :- ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की और जो रिपोर्ट तैयार की गई है उसके अनुसार वर्ष 2014 से 2019 तक में इस अंतिम एक वर्ष में दलित महिलाओं पर उत्पीड़न की घटाएँ ज्यादा बड़ी है , इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि किस तरहं से घटना होने के बाद पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में खड़ी होने वाली रही है , वर्ष 2014 से 2019 तक दलित उत्पीड़न के नुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन अधिनियम के दर्ज राजस्थान पुलिस के तहत ये आंकड़े
ग्राफिक्स इन <
1 - वर्ष 2014 में 6 हजार 734 मामले दर्ज किये गए , जिसमे 83 हत्या और 348 बलात्कार के है
2 - वर्ष 2015 में 5 हजार 911 मामले दर्ज किये गए , जिसमे 71 हत्या और 318 बलात्कार के है
3 - वर्ष 2016 में 5 हजार 134 मामले दर्ज किये गए , जिसमे 66 हत्या और 327 बलात्कार के है
4 - वर्ष 2017 में 4 हजार 238 मामले दर्ज किये गए , जिसमे 64 हत्या और 304 बलात्कार के है
5 - जनवरी 2019 , 30 सितंबर तक महज 10 महीने में 5 हजार 862 मामले दर्ज किये गए , जिसमे 55 हत्या और 477 बलात्कार के है
ग्राफिक्स आउट >
VO:3 :- ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई कि वर्ष 2019 में दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के मामलों में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में स्थानीय पुलिस ने 50.55 प्रतिशत मामलों को झूंठा मानकर एफआर लगा दी गई , जबकि 29 .77 प्रतिशत मामलों जांच लंबित है , इनमे यौन शोषण , बलात्कार के 477 मामलों में से 148 मामलों में मामलों को पुलिस ने अपने स्तर अनुसंधान के बाद बंद कर दिया है , जो कुल प्रकरणों का 42.29 प्रतिशत है , इन मामलों 202 में चलान पेश किया गया और 127 अनुसंधान में लंबित है , जो कुल प्रकरणों का 26.62 प्रतिशत है , दलित अधिकार मंच स्टेट कोडिनेटर सुमन देवठिया ने कहा की प्रदेश की गहलोत सरकार अपने शासन का एक पूरा होने पर जश्न मना रही है लेकिन जिस तरहं से उनके ईसी एक वर्ष में प्रदेश की दलित महिलाओं पर अत्याचार हुआ है उसका जवाब जश्न मानाने से पहले दे , सीएम गहलोत बताये कि इस एक वर्ष में करीब 6 हजार से अधिक दलित महिलाओं के साथ उत्पीड़न हुआ तो ये किस बात का जश्न है ?
बाइट :- सुमन देवठिया - स्टेट कोडिनेटर - ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच
VO:4:- ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिपोर्ट इस बात का जिर्क किया गया कि जिन महिलाओं और बालिकाओं के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है उन्हें सरकार की और से जो कम्पन्शेसन मिलाना चाहिए वो भी नहीं मिल रहा है , अधिकार मंच की रिपोर्ट के आंकड़े डरा रहे है लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार इन बढ़ते आंकड़ों पर इस बात की दलित दे रही है कि सरकार की और से सभी शिकायतों को दर्ज करने के निर्दश दिए हुए है , इस लिए ये आंकड़े बढे है , मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बढ़ते महिला उत्पीड़न के आंकड़ों पर कहा कि प्रदेश में कॉंग्रेस की सरकार बनने के साथ ही महिलाओं हो रहे अपराध की सभी शिकायतों को दर्ज करने के निर्देश दिए थे , जिसकी वजह से ये आंकड़े बढे है ,
बाइट :- अशोक गहलोत - मुख्यमंत्री
VO:5:- सरकार अपनी दलील दे रही है वहीँ , दलित अधिकार मंच अपनी इस रिपोर्ट को दिल्ली के साथ जिनेवा में ह्यूमन राइट्स काउन्सिल में इस रिपोर्ट को रखेंगे , ऐसे में बड़ा सवाल यही की जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर तत्कालीन सरकार को घेर रही थी लेकिन जब बात अपने शासन की है तो सरकार सफाई दे रही है ... Body:VoConclusion:Vi
Last Updated : Dec 17, 2019, 5:36 PM IST
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