जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस सरकार के 1 वर्ष पूरा होने के जश्न से पहले ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने दलित महिलाओं के खिलफ हुए अत्याचारों के आंकड़ों की एक रिपोर्ट जारी की है. इन आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों की तुलना में इस वर्ष दलित महिला अत्याचार का ग्राफ सर्वाधिक रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2019 यानी 10 महीने में 5 हजार 862 दलित महिलांओं के साथ उत्पीड़न की घटनाएं हुईं हैं. जिनमें हत्या से लेकर बलात्कार के मामले शामिल हैं. ये आंकड़े पिछले चार वर्षों में सर्वाधिक हैं. वहीं गहलोत सरकार अपने एक साल के कार्यकाल को बेमिसाल बताते हुए 103 वादों को पूरा करने का दावा कर रही है लेकिन आंकड़े सरकार के सुशासन पर सवाल खड़े करने वाले हैं.
एक वर्ष के कार्यकाल में दलित महिलाओं के साथ रिकॉर्ड तोड़ हत्या व यौन उत्पीड़न कर वीडियों वायरल करने के मामले सामने आए हैं. ऐसे में ये सवाल खड़ा होता है कि गहलोत सरकार का एक साल बेमिसाल कैसे हुआ. ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच ने प्रदेश में दलित महिलाओं और बालिकाओं पर बढ़ते यौन अपराध पर अध्यन कर 2014 से 2019 तक की एक रिपोर्ट तैयार की है. आइए आंकड़ों के जरिए आपको बताते हैं कि कैसे इस एक वर्ष में दलित महिलाओं के खिलाफ अत्यचार हुए.
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ये है अत्याचार के आंकड़े
वर्ष 2015 में 5 हजार 911 मामले दर्ज हुए, जिसमे 71 हत्या और 318 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2016 में 5 हजार 134 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 56 हत्या और 327 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2017 में 4 हजार 238 मामले दर्ज किये गए, जिसमे 64 हत्या और 304 बलात्कार के हैं.
वर्ष 2018 में 4 हजार 67 मामले दर्ज हुए, जिसमें 71 हत्या और 379 बलात्कार के हैं.
जनवरी 2019 से 30 सितंबर तक 9 माह में 5 हजार 862 मामले दर्ज किये गए, जिनमें 55 हत्या और 477 बलात्कार के हैं.
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50 फीसदी मामले झूठे मान लगाई एफआर
इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि वर्ष 2019 में दर्ज हुए दलित उत्पीड़न के 50.55 प्रतिशत मामलों को पुलिस द्वारा जांच के बाद झूंठा मानते हुए एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी गई. जबकि 29 .77 प्रतिशत मामलों जांच लंबित हैं. इनमे यौन शोषण और बलात्कार के 477 मामलों में से 148 को पुलिस ने अपने स्तर अनुसंधान के बाद बंद कर दिया जो कुल प्रकरणों का 42.29 प्रतिशत है. 202 मामलों में चलान पेश किया गया और 127 अनुसंधान में लंबित हैं.
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दलित अधिकार मंच स्टेट कोर्डिनेटर सुमन देवठिया ने कहा की प्रदेश की गहलोत सरकार जश्न मनाने से महिला उत्पीड़न पर जवाब दे. रिपोर्ट में इस बात का जिर्क किया गया कि यौन उत्पीड़न का शिकार हुई पीड़िताओं को राज्य सरकार की ओर से दिया जाने वाला कम्पन्शेसन भी नहीं मिला है.
अधिकार मंच की रिपोर्ट के आंकड़े डरा रहे हैं लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री की दलील है कि सभी शिकायतों को दर्ज करने के निर्दश दिए हुए हैं, इसलिए ये आंकड़े बढे हैं. सरकार अपनी दलील दे रही है वहीं, दलित अधिकार मंच अपनी इस रिपोर्ट को दिल्ली के साथ जिनेवा में ह्यूमन राइट्स काउन्सिल में इस रखने की तैयारी गर रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब कांग्रेस सरकार जश्न किस बात का मना रही है.