जयपुर. छोटीकाशी जयपुर में हनुमान जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया (Hanuman Janmotsav celebrated in jaipur) जा रहा है. हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर छोटी काशी हनुमान चालीसा की चौपाईयों से गुंजायमान हुई. शहर के तमाम मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ता हुआ नजर आया. भगवान हनुमान के भक्तों ने मंदिरों में पहुंचकर धोक लगाई और पूजा अर्चना की. संकटमोचन से सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई. सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का ताता दर्शनों के लिए नजर आया.
अंजनी पुत्र भगवान हनुमान के जन्मोत्सव पर हनुमान मंदिरों में विशेष सजावट की गई. हनुमान जी का विशेष श्रृंगार करके पूजा अर्चना की जा रही है. मंदिरों में पंचामृत अभिषेक किए गए. खोले के हनुमानजी मंदिर में भगवान ने चांदी की पोशाक धारण की है. खोले के हनुमान जी मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ नजर आई. शहर भर के हनुमान मंदिरों में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा के पाठ किए गए. भजन संध्या कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है. खोले के हनुमान जी मंदिर, काले हनुमान जी मंदिर समेत अन्य प्राचीन मंदिरों में पद यात्राओं का दौर जारी है.
भगवान हनुमान को नवीन पोशाक धारण करवाकर विशेष श्रंगार किया गया है. महाआरती का आयोजन किया गया है. इस बार शनिवार के दिन हनुमान जन्मोत्सव पर चित्रा नक्षत्र और रवि योग का विशेष संयोग बताया जा रहा है. हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाने के बाद नवीन पोशाक धारण करवा कर आरती की गई है. खोले के हनुमान मंदिर में सुबह मंत्रोच्चार के साथ 108 औषधि द्रव्य और विभिन्न तीर्थों के जल से हनुमान जी को स्नान करवाया गया. 9:00 बजे अभिषेक करके षोडशोपचार पूजन किया गया. राजभोग आरती में छप्पन भोग अर्पित किए गए. दिनभर हवन कार्यक्रम आयोजित हुआ.
मंदिर प्रबंधन में भक्तोंं के लिए तमाम सुविधाएं दी: नरवर आश्रम सेवा समिति खोले के हनुमान मंदिर के महामंत्री बृजमोहन शर्मा ने बताया कि हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. शुक्रवार संध्या को भक्ति संगीत का शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया. हनुमान जन्मोत्सव के दिन शनिवार सुबह 3:30 बजे हनुमान जी महाराज को विभिन्न तीर्थों से लाए पवित्र जल से स्नान करवाकर 108 और औषधियों से स्नान करवाया गया. हनुमान जी का पंचामृत और दुग्ध अभिषेक किया गया है. हनुमान जी को चोला चढ़ाकर नई पोशाक धारण करवाई गई है. उन्होंने बताया शाम को भक्ति संगीत का आयोजन किया जाएगा. दोपहर 12:00 बजे महाआरती का आयोजन किया गया. सुबह 4:00 बजे से ही हनुमान जी के दर्शनों के लिए भक्तों के आने का सिलसिला जारी है. मंदिर प्रबंधन की ओर से भक्तों के लिए तमाम सुविधाएं दी गई है.
शहर के मंदिरों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन: हनुमान जयंती के अवसर शहर के न्यू सांगानेर रोड स्थित चिंता हरण काले हनुमान मंदिर, अंबाबाड़ी के संकट मोचन हनुमान मंदिर, पुराना घाट स्थित घाट के बालाजी मंदिर, चांदी की टकसाल स्थित काले हनुमान मंदिर, पश्चिम मुखी हनुमान मंदिर, सांगानेरी गेट स्थित पूर्व मुखी हनुमान मंदिर, चांदपोल हनुमान मंदिर और बंध की घाटी स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर समेत तमाम मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए.
विख्यात बजरंग गैर मेले का आयोजनः बाड़मेर के समदड़ी निक्तवती जेठन्तरी गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में विख्यात बजरंग गैर मेले का आयोजन ग्राम पंचायत के तत्वावधान में किया गया. बालाजी महाराज को 251 किलो रोट का भोग लगाकर प्रसादी वितरित की गई . मेले में छोटे छोटे बच्चों सहित बड़े लोगों ने बालाजी मन्दिर में जाकर पुजा अर्चना की.
चाकसू में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनायाः जयपुर जिले के चाकसू क़स्बे सहित उपखंड क्षेत्र में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया. क़स्बे के वार्ड-17 स्थित नीलकंठ हनुमान महादेव मंदिर में भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया गया. इस अवसर पर शाम को संगीतमय सुन्दरकाण्ड का पाठ हुए. मन्दिर पहुंचने पर भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया. बारह बालाजी मंदिर समिति अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह ने बताया कि पूरे राजस्थान में एक मात्र बालाजी का मंदिर है, जहां एक ही जगह पर बारह बालाजी की 12 प्रतिमाएं विराजमान हैं.
बालाजी महाराज की 12 प्रतिमाएं हैंः बड़ौदिया स्थित श्रीबारह बालाजी मन्दिर के पुजारी जगदीश प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह मंदिर लगभग 300 वर्ष प्राचीन और प्रसिद्ध है. वर्तमान में मंदिर परिसर में एक ही जगह यहां बालाजी की 12 प्रतिमाएं विराजमान हैं. मन्दिर स्थापना के पीछे की मान्यता है कि कि इस स्थान पर एक मूर्ति निकली जिसके बाद मन्दिर निर्माण शुरू हुआ. दूसरी तरफ एक व्यक्ति इसी गांव से होकर 11 मूर्तियां लेकर कहीं जा रहा था. जो बड़ोदिया गांव में रात्रि विश्राम के लिए रूक जाने के बाद सुबह मूर्तियों को बैलगाड़ी द्वारा ले जाने लगा, लेकिन नहीं गई, जिसके कारण 11 मूर्तियों की स्थापना यही करवानी पड़ी. कुल मिलाकर 12 मूर्तियां स्थापित हो गई. जिसके बाद यहां बारह बालाजी मंदिर के नाम से यह स्थान विख्यात है. अनोखी बात यह है कि यहां स्थापित बारह बालाजी की 12 प्रतिमाएं गिनने पर 11 या फिर 13 नजर आती है.