जयपुर. राजस्थान की राजनीति में तीसरे विकल्प का दम भरने भरने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा सकती है. राजस्थान से उदय हुई आरएलपी अब यूपी में भी धरातल तलाशने में जुटी है. आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल ने इसके संकेत दिए हैं.
देश में सबसे अधिक विधानसभा सीटें उत्तर प्रदेश में हैं. राजस्थान में दो दलीय राजनीतिक व्यवस्था है. जबकि यूपी में ठीक इसके उलट हालात हैं. यूपी का राजनीतिक इतिहास देखें तो वहां बसपा, समाजवादी पार्टी, भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों का समय-समय पर दबदबा रहा है. यही कारण है कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी अब उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक जमीन तलाशना चाहती है.
हालांकि उत्तर प्रदेश में इसकी कितनी गुंजाइश है इसके आकलन का काम आरएलपी कर रही है. इसके लिए यूपी में पार्टी स्तर पर सर्वे भी हो रहा है. जिससे अंदाजा लगाया जा सके कि किन-किन क्षेत्रों में आरएलपी राजनीतिक दलों को टक्कर देने की स्थिति में हो सकती है. फिलहाल प्रारंभिक तौर पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने इस दिशा में काम शुरू किया है. अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है. जो सर्वे और तत्कालिक परिस्थितियों के अनुसार ही लिया जाएगा.
आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि आरएलपी किसान, बेरोजगार और युवाओं की आवाज उठाने वाली पार्टी है. राजस्थान में तो जनता आरएलपी को तीसरे विकल्प के रूप में देख ही रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में भी आरएलपी अपना विस्तार कर सकती है. लेकिन यह तमाम निर्णय यूपी में जुटाई जा रही जानकारी और फीडबैक के बाद किया जाएगा.
राजस्थान में आरएलपी का एक सांसद, तीन विधायक, तीन प्रधान और एक नगर पालिका चेयरमैन है. पिछले दिनों आरएलपी ने राजस्थान में हुए तीन उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे थे और आगामी 2 उप चुनाव सीटों पर भी प्रत्याशी उतारने का एलान पार्टी कर चुकी है. लेकिन अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में आरएलपी यदि अपना भाग्य आजमाती है तो ये चौंकाने वाला निर्णय होगा.