ETV Bharat / city

5 जुलाई को मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त

5 जुलाई को देशभर में गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनसें आशीर्वाद लेते हैं. गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 जुलाई को रात 11.34 बजे से शुरू होकर 5 जुलाई को सूर्योदय से राजयोग सुबह 10.14 बजे तक रहेगा. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

गुरु पूर्णिमा का महत्व,  गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं,  महर्षि वेदव्यास,  गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
5 जुलाई को देशभर में गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाई जाएगी
author img

By

Published : Jun 26, 2020, 5:37 PM IST

जयपुर. हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस बार 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व है. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं. हिन्दू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही है जो इस संसार रूपी भव-सागर को पार करने में सहायता करते है.

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के निदेशक पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 जुलाई को रात 11.34 बजे से शुरू होकर 5 जुलाई को सूर्योदय से राजयोग सुबह 10.14 बजे तक रहेगा. वहीं, सर्वार्थसिद्धि योग रात 11.02 बजे से सूर्योदय तक रहेगा. इस मुहूर्त में शिष्य अपने गुरुओं की पूजा कर सकते हैं.

भारत वर्ष में यह गुरु पूर्णिमा पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे, तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा किया करते थे. गुरु पूर्णिमा पर केवल गुरु की ही नहीं बल्कि घर में अपने से जो भी बड़ा है, माता-पिता, भाई-बहन को गुरु तुल्य समझकर उनकी पूजा कर आशीर्वाद लिया जाता है.

पढ़ें: अलवर में धार्मिक स्थल 31 जुलाई तक बंद

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दे तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं. परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते. कबीर के इस दोहे से गुरु की महत्ता को समझा जा सकता है.
"गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय"

वेदव्यास और गुरु पूर्णिमा...

इस दिन हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. वे संस्कृत के महान विद्वान थे और महाभारत जैसा महाकाव्य उन्हीं की देन है. इसी के 18वें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण गीता का उपदेश देते हैं. सभी अठारह पुराणों का रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है. वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेदव्यास को जाता है, इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था. महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं...

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करें
  • सबसे पहले शिव और विष्णु भगवान की पूजा करें उसके बाद गुरु बृहस्पति और वेदव्यास की पूजा करें
  • गुरु की पूजा करते वक्त सफेद और पीले वस्त्र पहनें
  • गुरु की पूजा करने के बाद उनका आशीर्वाद ले

जयपुर. हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस बार 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर्व है. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं. हिन्दू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरु ही है जो इस संसार रूपी भव-सागर को पार करने में सहायता करते है.

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है

ज्योतिष परिषद एवं शोध संस्थान के निदेशक पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 4 जुलाई को रात 11.34 बजे से शुरू होकर 5 जुलाई को सूर्योदय से राजयोग सुबह 10.14 बजे तक रहेगा. वहीं, सर्वार्थसिद्धि योग रात 11.02 बजे से सूर्योदय तक रहेगा. इस मुहूर्त में शिष्य अपने गुरुओं की पूजा कर सकते हैं.

भारत वर्ष में यह गुरु पूर्णिमा पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में निशुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे, तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा किया करते थे. गुरु पूर्णिमा पर केवल गुरु की ही नहीं बल्कि घर में अपने से जो भी बड़ा है, माता-पिता, भाई-बहन को गुरु तुल्य समझकर उनकी पूजा कर आशीर्वाद लिया जाता है.

पढ़ें: अलवर में धार्मिक स्थल 31 जुलाई तक बंद

शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दे तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं. परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते. कबीर के इस दोहे से गुरु की महत्ता को समझा जा सकता है.
"गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय"

वेदव्यास और गुरु पूर्णिमा...

इस दिन हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. वे संस्कृत के महान विद्वान थे और महाभारत जैसा महाकाव्य उन्हीं की देन है. इसी के 18वें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण गीता का उपदेश देते हैं. सभी अठारह पुराणों का रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है. वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी वेदव्यास को जाता है, इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था. महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं...

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करें
  • सबसे पहले शिव और विष्णु भगवान की पूजा करें उसके बाद गुरु बृहस्पति और वेदव्यास की पूजा करें
  • गुरु की पूजा करते वक्त सफेद और पीले वस्त्र पहनें
  • गुरु की पूजा करने के बाद उनका आशीर्वाद ले
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.