जयपुर. कांग्रेस के सोशल मीडिया पर शुरू हुए 'स्पीक अप इंडिया अभियान' पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कटारिया ने कांग्रेस और उनके नेताओं के लिए कहा है कि स्वयं कुछ करते नहीं हमेशा दिल्ली से मांगते हैं, ये उचित नहीं. वही प्रदेश में अभियान का आगाज करने वाले उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर भी कटारिया ने तंज कसते हुए कहा कि राजस्थान में उपमुख्यमंत्री अपने ही मुख्यमंत्री को नहीं कह सकते कि प्रदेश सरकार अपनी जेब से भी जनता के लिए कुछ करें. बस सब कुछ केंद्र से मांगते हैं, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने कहा कि केंद्र ने सभी राज्यों के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन प्रदेश की गहलोत सरकार ने अपने खजाने से प्रदेश की जनता के लिए क्या कुछ किया है उसका भी हिसाब देना चाहिए. कटारिया के अनुसार अभियान में पायलट और कांग्रेस नेता इनकम टैक्स के दायरे से बाहर वाले परिवारों के लिए 10 हजार केंद्र सरकार की ओर से दिलाए जाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं मनरेगा में काम के 100 दिनों को बढ़ाकर 200 दिन करने की भी उनकी मांग है.
सिर्फ वादे किए, निभाया कभी नहींः
कटारिया ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के नेता सरकार बनाने से पहले वादा किया था कि हर परिवार के खाते में 7500 रुपए डाले जाएंगे. लेकिन आज तक एक पैसा किसी के भी खातों में नहीं डाला गया. जबकि कर्नाटक सहित कई सरकारों ने यह काम कर डाला. कटारिया ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के नेता केवल केंद्र से मांगने का काम करते हैं, अपने स्तर पर कुछ नहीं करते. कटारिया के अनुसार केंद्र सरकार ने तो आपदा के समय 20 लाख करोड़ का विशेष आर्थिक पैकेज जारी किया है जो देश के सभी राज्यों के लिए है.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत में कटारिया ने कहा कि कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री केयर फंड में जमा पैसों का हिसाब मांगते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह भूल गए कि प्रदेश की जनता ने और कर्मचारियों ने भी आपदा के समय सीएम कोविड-19 फंड में खूब मदद की. लेकिन मुख्यमंत्री यह बता दें कि उस फंड में से अब तक कितने रुपए किस काम में खर्च किए गए.
प्रवासियों को लाने में गहलोत सरकार फिसड्डीः
कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही सबसे पहले प्रवासियों की अपने-अपने राज्यों में लाने की पहल की. विशेष ट्रेन की मांग भी की और केंद्र ने वह मांग पूरी की. लेकिन राजस्थान में आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यह बता दें कि ट्रेनों के जरिए डेढ़ लाख से भी कम प्रवासियों को अब तक राजस्थान में लाया गया है. वहीं बसों की यदि बात की जाए तो 40 से 50 हजार लोगों को ही राजस्थान में लाया गया है. कुल मिलाकर दो लाख के करीब प्रवासियों को राजस्थान में लाया गया है. जबकि अभी प्रदेश में करीब 10 लाख बाहरी राज्यों में काम करने वाले राजस्थान मूल के प्रवासी आ चुके हैं. मतलब बचे हुए 8 लाख या तो अपने साधनों से आए या सड़क मार्ग से स्वयं ही आए हैं