जयपुर. बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान के सियासी घटनाक्रम को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की थी. जिस पर भाजपा का कहना है कि ये मायावती की पीड़ा है लेकिन साथ में यह भी कहा कि BJP की अभी इस तरह की कोई मांग नहीं है और भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए आगे कुछ निर्णय लिया जाएगा.
BJP प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पहले भी गहलोत सरकार ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में विलय करवाया था. उसी तरह इस बार भी सरकार ने वही कृत्य किया. जिसकी पीड़ा बसपा सुप्रीमो मायावती को है और इसी पीड़ा में उन्होंने प्रदेश में राज्यपाल से राष्ट्रपति शासन लागू करवाने आदि की भी मांग की है. साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल, बीजेपी की इस तरह की कोई भी मांग नहीं है. भविष्य में पार्टी मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार ही आगे का कोई निर्णय लेगी लेकिन फिलहाल तमाम घटनाक्रमों पर बीजेपी की पूरी नजर है.
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वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के अनुसार BSP के विधायकों का कांग्रेस में विलय का विरोध भाजपा ने भी किया था. उस प्रक्रिया को असंवैधानिक भी बताया था. कटारिया के अनुसार बसपा राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन बिना राष्ट्रीय पार्टी और केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा किए राजस्थान में 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय किया जाना गलत था. जिसकी पीड़ा मायावती को भी है. भाजपा ने भी इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका लगाई थी, लेकिन अब तक इस पर सुनवाई नहीं हुई.
बहुमत है तो सिद्ध करे सरकार
कटारिया ने कहा कि कांग्रेस की ओर से 19 विधायकों के खिलाफ लगाई गई याचिका पर आधी रात को विधानसभा सचिवालय खुलवा कर नोटिस जारी किए गए. दूसरे दिन सुबह उन विधायकों को घर पर नोटिस चस्पा भी हो गए. उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस प्रकार के मामलों में न्याय को लेकर किए गए व्यवहार भी उचित नहीं कहा जा सकता. इससे न्याय से विश्वास उठ जाएगा. वहीं गुलाबचंद कटारिया ने कहा फिलहाल, बीजेपी राष्ट्रपति शासन को लेकर कोई मांग नहीं करती बल्कि प्रदेश सरकार के पास बहुमत है तो उन्हें आगे बढ़कर सिद्ध करना चाहिए.