जयपुर. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहते हैं कि पूर्व में भी बजट में जो घोषणाएं की उसमें बजट का प्रावधान नहीं किया गया. ऐसे में मौजूदा सरकार केवल घोषणाओं के नाम पर ताली बजाने वाली सरकार ही बनकर रह गई है. इस दौरान कटारिया ने कई उदाहरण भी बताया और कहा कि असल में गहलोत सरकार ने क्या किया है और क्या उम्मीद कर सकते हैं. हालांकि, इन सबका जवाब तो 24 फरवरी को ही पता जल पाएगा.
प्रदेश सरकार हो रही दिवालिया, कर्जा भी लगातार बढ़ रहा : कटारिया
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान गुलाबचंद कटारिया ने आने वाले बजट को लेकर साफ तौर पर कहा कि वैसे ही प्रदेश सरकार दिवालिया हो रही है. कटारिया ने कहा कि सरकार पर अब तक 3 लाख 79 हजार का कर्जा है और बजट का अनुमानित घाटा भी 40 हजार करोड़ से अधिक बढ़ता हुआ दिख रहा है. नेता प्रतिपक्ष के अनुसार वर्तमान में बिजली कंपनियां ही 80 हजार करोड़ से अधिक के घाटे में हैं. वहीं, सरकार के रेवेन्यू कलेक्शन कि यदि बात की जाए तो रेवेन्यू हेड में तुलनात्मक रूप से 25 फीसदी की कमी साफ तौर पर दिख रही है.
दो बजट की घोषणा हुई, लेकिन अब तक नहीं उतरी धरातल पर : कटारिया
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह भी कहा कि गहलोत सरकार के पिछले दो बजट की घोषणाओं को ही देख लीजिए कि अधिकतर घोषणाएं अब तक धरती पर नहीं उतरीं. कटारिया ने यह भी कहा कि 5 करोड़ से अधिक की किसी योजना का काम अब तक पूर्णता की ओर नहीं बढ़ा, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कटारिया ने इस दौरान उदयपुर संभाग के लिए की गई घोषणाओं का भी जिक्र किया और कहा कि उदयपुर में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए के लिए करोड़ों रुपए की योजना की घोषणा की गई थी, लेकिन इस दिशा में एक रुपये भी खर्च नहीं किए गए. वहीं, उदयपुर से राजसमंद से पेयजल लाइन के लिए 251 करोड़ की योजना घोषित की गई थी, लेकिन ना तो पाइप लगा और ना कोई लाइन बनी.
पिछले बजट में घोषणा तो की, लेकिन प्रावधान नहीं किया : कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि अब तक तो आंकड़े निकाले हैं, इसमें 50 फीसदी से अधिक ही बजट का खर्चा हुआ है. वहीं, लास्ट 3 महीने में कुछ काम इधर-उधर करके सरकार ने 80 फीसदी तक बढ़ा दिया है. कटारिया ने यह भी कहा कि पूर्व के बजट में करीब 80 नए कॉलेज खोलने की घोषणा की थी, लेकिन बजट में इसका वित्तीय प्रावधान नहीं किया गया. इसी तरह नंदी गौशाला खोलने की घोषणा की गई थी, लेकिन बजटीय प्रावधान के चलते ऐसा नहीं हो पाया.
उपचुनाव के लिए घोषणा कर सकते हैं...
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार इस बजट में घोषणा कर सकती है और हाल ही में जिस तरह इन चारों क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री द्वारा आनन-फानन में जो घोषणा की गईं वह सबके सामने हैं. लेकिन इस प्रकार की घोषणाओं का क्या फायदा, जब आप बजट में इसके लिए प्रावधान नहीं करते. कटारिया के अनुसार इस बार भी जो घोषणा होगी केवल वह केवल कोहनी पर गुड़ लगाने वाली होगी, लेकिन मिलने वाला कुछ नहीं.
सदन में हम करते प्रतिकार, लेकिन मुख्यमंत्री केवल लिखा हुआ देते जवाब : कटारिया
कटारिया ने यह भी कहा कि जागरूकता पक्ष के नाते हम इस मुद्दे को सदन में उठाते आए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुद्दों को लेकर उठाए गए सवालों का सदन में जवाब नहीं दिया. कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल जो लिखा हुआ लेकर आते हैं, उसी को बोल कर चले जाते हैं.
कोरोना महामारी के दौरान भी केंद्र ने दिया अच्छा बजट तो राज्य क्यों नहीं दे सकती : कटारिया
ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से जब पूछा गया कि पूरे देश भर में कोरोना महामारी के चलते आर्थिक स्थिति खराब हुई है तो इसका असर आगामी बजट पर भी पड़ना लाजमी है, लेकिन कटारिया कहते हैं कि महामारी का प्रकोप पूरे देश भर में है. बावजूद इसके मोदी सरकार ने पिछले साल की तुलना में इस बार अच्छा बजट पेश किया तो राज्य क्यों नहीं कर सकती.
पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करके सरकार को देना चाहिए राहत : कटारिया
हालांकि, विपक्ष के रूप में भाजपा को आने वाले प्रदेश सरकार के बजट से कुछ खास उम्मीदें नहीं है. बावजूद इसके नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया कहते हैं कि यदि प्रदेश सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट की दरों को ही कम कर दे तो जनता को काफी राहत मिलेगी. कटारिया के अनुसार गुजरात सहित आसपास के कई प्रदेश है जहां पर राजस्थान की तुलना में ₹10 लीटर तक कम पेट्रोल और डीजल मिलता है, लेकिन राजस्थान में वैट की दर इतनी अधिक है कि राज्य के बॉर्डर पर बने पेट्रोल-डीजल पंप के ऊपर तो ताले लग चुके हैं. कटारिया के अनुसार सरकार ने हाल ही में 2 प्रतिशत वैट की दरों में कमी की थी और इसके लिए तालियां भी बजवाई, लेकिन पहले ही पेट्रोल-डीजल पर इतना वैट बढ़ा दिया गया है कि 2 प्रतिशत की कमी कुछ राहत देने वाली नहीं थी.