जयपुर. राजधानी के आसमान पर काली घटाएं छाने के साथ ही कुछ क्षेत्र के लोग चिंतित हो जाते हैं. जिन क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति बनती है. वहां हालातों पर काबू पाने के लिए शहर में 6 बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाए गए हैं लेकिन इन केंद्रों पर संसाधनों का अभाव देखने को मिलता है. आलम ये है कि तीन पारियों में यहां टीम गठित कर तैनात की गई है. 10 बजे से सुबह 6 बजे तक की शिफ्ट में टीम नदारद नजर आती है.
अतिवृष्टि के दौरान राजधानी में बाढ़ पानी भरने और जल प्लावन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से राहत और बचाव की दृष्टि से निगम प्रशासन और जेडीए प्रशासन ने शहर में 6 बाढ़ नियंत्रण कक्ष बना रखें हैं. जहां फायर डिपार्टमेंट के कर्मचारियों के साथ-साथ इंजीनियर भी तैनात किए गए हैं.
कंट्रोल रूम को 24 घंटे चलाने के निर्देश हैं. इसके अलावा सर्वे कर ऐसे स्थानों को चिंहिंत किया गया है, जहां जलजमाव की स्थिति रहती है. साथ ही दावा किया गया की सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों पर संसाधन उपयुक्त मात्रा में पहुंचाए गए है.
रात्रि दल बांध नियंत्रण कक्ष में नहीं मिला मौजूद
हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में बनाए गए तीन बाढ़ नियंत्रण कक्ष पर ट्रैक्टर, ट्रॉली 50 एचपी के मड पंप, लाइफ जैकेट, रस्सा, मिट्टी के कट्टे और श्रमिक तो मौजूद हैं लेकिन गैस कटर महज बनीपार्क केंद्र पर और जेसीबी घाटगेट केंद्र पर ही मौजूद है. वहीं नांव और डंपर तो है ही नहीं. यही नहीं ईटीवी भारत जब बनीपार्क स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष पहुंचा तो सामने आया कि यहां तीन पारियों में अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. इसमें 6 बजे से 2 बजे की पारी में तो पूरी टीम उपस्थित मिली लेकिन उपस्थिति पंजिका के अनुसार रात के समय 10 बजे से 6 बजे की टीम उपस्थित नहीं थी.
यहां मौजूद मॉर्निंग टीम ने बताया कि प्रत्येक टीम में एक एईएन/जेईएन, कनिष्ठ सहायक और फायरमैन मौजूद हैं. यदि किसी क्षेत्र से शिकायत आती है तो वहां टीम भेजकर समस्या का निस्तारण किया जाता है. हालांकि, रात्रि दल क्यों मौजूद नहींं रहता. इसके बारे में उन्हें भी जानकारी नहीं.
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हेरिटेज नगर निगम क्षेत्र में घाट गेट, बनीपार्क और आमेर फायर स्टेशन जबकि ग्रेटर नगर निगम मालवीय नगर, मानसरोवर औरवीकेआई फायर स्टेशन पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं. इन केंद्रों को क्षेत्रीय सीमाओं में भी बांधा हुआ है. आलम ये है कि नगर निगम क्षेत्रों के अलावा जेडीए क्षेत्र अलग होने के चलते उनकी भी अलग जिम्मेदारी तय की गई है.
बहरहाल, कंट्रोल रूम के नंबर तो शुरू कर दिए गए हैं लेकिन अधूरे संसाधनों से ये बाढ़ नियंत्रण कक्ष भी कब तक राहत पहुंचा पाएंगे. यही नहीं राजधानी में बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे के लिए खोले गए हैं. प्रत्येक बाढ़ नियंत्रण कक्ष में तीन पारियों में अलग-अलग टीमों को तैनात भी किया गया है लेकिन मॉनिटरिंग के अभाव में रात्रि टीम की अनुपस्थिति विपरीत परिस्थितियों में जवाबदेही का कारण बन सकती है.