जयपुर. ग्रेटर नगर निगम (greater nagar nigam) में महापौर पद से सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद कार्यवाहक महापौर बनी शील धाभाई को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है. हालांकि उनके बयानों में पार्टी प्रेम भी नजर आया और पुरानी ठेस भी दिखी.
राजनीतिक गलियारों में पिछली बार हो चुके लाटा प्रकरण जैसे बड़े उलटफेर की चर्चाओं को लेकर अफवाहों का दौर तेज है. हालांकि कार्यवाहक महापौर बनी शील धाभाई ने स्पष्ट किया कि अफवाह तो अफवाह होती है. वो कभी सच होती है क्या. उनके रग-रग में बीजेपी है. पार्टी ने उन्हें क्या नहीं दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी मेरी मां है, मेरी पहचान है, मुझे कौन जानता था. लेकिन पार्टी ने मुझे पहले मेयर बनाया. तब जाकर लोग शील धाभाई को जानने लगे. जब ग्रेटर मेयर का चुनाव हो रहा था, तब भी मैंने पार्टी का आदेश माना.
कांग्रेस ने कोई एहसान नहीं किया
शील धाभाई को कार्यवाहक मेयर बनाया जाना कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है. जिसे लेकर उन्होंने कहा कि कार्यवाहक मेयर बनाया जाना एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी. मेयर को हटाने के बाद ये पद रिक्त नहीं रह सकता था. न्यायिक जांच में कितने दिन लगे ये तय नहीं. काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए ये दायित्व सौंपा गया है. ये फैसला भी राजस्थान सरकार ने लिया है. इसमें पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है और कांग्रेस ने भी कोई एहसान नहीं किया है, जो प्रक्रिया है उसका पालन किया है.
हालांकि उनके बयानों में पुरानी ठेस जरूर दिखी। उन्होंने कहा वरिष्ठता के आधार पर उनका चयन किया गया। अन्यथा कोई नई पार्षद आए और फिर वही स्थिति हो ये सोचकर निर्णय लिया गया है। इस संबंध में यदि पार्टी से भी पूछते तो वो भी उनका ही नाम देते। पहले भी मेयर पद के लिए उन्हीं का नाम सबसे आगे था।